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ETF SIP vs म्यूचुअल फंड SIP: आपकी हार्ड-अर्नड मनी के लिए सही चुनाव कौन? 💰📊
आज के समय में वित्तीय सुरक्षा और भविष्य के लक्ष्यों को पाने के लिए निवेश जरूरी हो गया है। Systematic Investment Plan (SIP) ने भारतीय निवेशकों के बीच निवेश को आसान, अनुशासित और किफायती बना दिया है। लेकिन अक्सर एक सवाल दिमाग में आता है: "क्या ETF SIP, म्यूचुअल फंड SIP से बेहतर है?" 🤔
सीधा जवाब है: "यह पूरी तरह आपकी जरूरतों, जोखिम सहनशीलता और निवेश शैली पर निर्भर करता है।" दोनों के अपने फायदे और सीमाएं हैं। आइए, विस्तार से समझते हैं कि ETF SIP और म्यूचुअल फंड SIP क्या हैं और आपके लिए कौन सा बेहतर विकल्प हो सकता है।
SIP क्या है? एक त्वरित रिफ्रेशर 🔄
इससे पहले कि हम ETF SIP और म्यूचुअल फंड SIP की तुलना में उतरें, आइए SIP की मूल अवधारणा को फिर से समझ लें।
- SIP (Systematic Investment Plan): यह एक निवेश करने का तरीका है, न कि खुद एक निवेश उत्पाद। इसमें आप हर महीने (या त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक आदि) एक निश्चित रकम निवेश करते हैं।
- रुपये की लागत औसत (Rupee Cost Averaging): SIP का मुख्य फायदा। जब बाजार नीचे होता है, तो आपकी निश्चित रकम से ज्यादा यूनिट्स खरीदी जाती हैं। जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट्स। इससे समय के साथ आपकी औसत खरीद लागत कम हो जाती है। 📉➡️📈
- अनुशासन और सुविधा: SIP आपको अनुशासित तरीके से नियमित निवेश करने में मदद करता है, चाहे बाजार की स्थिति कैसी भी हो। यह छोटी-छोटी बचतों से भी बड़ा कोष बनाने का रास्ता है।
SIP एक विधि है जिसे आप म्यूचुअल फंड में या अब ETF में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
म्यूचुअल फंड SIP क्या है? समझिए विस्तार से 🏦💡
म्यूचुअल फंड SIP आज भारत में सबसे लोकप्रिय निवेश तरीकों में से एक है। यह कैसे काम करता है?
1. अवधारणा: आप हर महीने एक निश्चित तारीख को एक निश्चित रकम किसी चुने हुए म्यूचुअल फंड स्कीम में निवेश करते हैं। फंड हाउस उस दिन के Net Asset Value (NAV) पर आपके लिए फंड यूनिट्स खरीद लेता है।
2. विकल्पों की भरमार: म्यूचुअल फंड्स आपको विभिन्न श्रेणियों में निवेश करने का विकल्प देते हैं:
- इक्विटी फंड्स (लार्ज कैप, मिड कैप, स्मॉल कैप, फ्लेक्सी कैप, सेक्टोरल/थीमेटिक)
- डेट फंड्स (लिक्विड, शॉर्ट टर्म, गिल्ट, क्रेडिट रिस्क आदि)
- हाइब्रिड फंड्स (इक्विटी और डेट का मिश्रण)
- सोल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स (बच्चों की शिक्षा, रिटायरमेंट)
- इंडेक्स फंड्स / ETFs (लेकिन इन्हें अलग से देखा जाता है)
3. प्रबंधन शैली:
- एक्टिवली मैनेज्ड: ज्यादातर म्यूचुअल फंड्स एक्टिवली मैनेज्ड होते हैं। यानी एक फंड मैनेजर और उनकी टीम यह तय करती है कि कौन से शेयर या बॉन्ड खरीदे जाएं और कब बेचे जाएं। उनका लक्ष्य बेंचमार्क इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50) से बेहतर रिटर्न देना होता है। 🎯
- पैसिवली मैनेज्ड (इंडेक्स फंड्स): कुछ म्यूचुअल फंड्स सिर्फ किसी इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड) को फॉलो करते हैं। इनका प्रबंधन शुल्क कम होता है।
4. SIP शुरू करना: बहुत आसान! आप सीधे फंड हाउस की वेबसाइट, AMFI रजिस्टर्ड पोर्टल (जैसे MFUtility, Kuvera, Groww, Zerodha Coin), या अपने बैंक/डीमैट अकाउंट के माध्यम से ऑनलाइन SIP शुरू कर सकते हैं। मंथली ऑटो-डेबिट का ऑप्शन होता है।
म्यूचुअल फंड SIP के प्रमुख लाभ 👍
- सुविधा और पहुंच: शुरू करना और मैनेज करना बेहद आसान है। छोटी रकम (कुछ फंड्स में ₹500 प्रति माह से) से भी शुरुआत की जा सकती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स ने इसे और सरल बना दिया है। 📱💻
- व्यावसायिक प्रबंधन: एक्टिव फंड्स में अनुभवी फंड मैनेजर आपके पैसे का प्रबंधन करते हैं। उनका लक्ष्य बाजार को मात देना होता है (हालांकि हमेशा सफल नहीं होते)। 🤵♂️📈
- विविधीकरण (Diversification): एक ही SIP के जरिए आप कई कंपनियों के शेयरों या विभिन्न बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं, जो अकेले शेयर खरीदने की तुलना में जोखिम कम करता है। 🌐
- फंड्स की विस्तृत श्रृंखला: विभिन्न जोखिम प्रोफाइल और लक्ष्यों के लिए सैकड़ों फंड उपलब्ध हैं। आप अपनी जरूरत के हिसाब से चुन सकते हैं।
- स्वचालित निवेश: एक बार SIP स्थापित करने के बाद, रकम अपने आप डेबिट हो जाती है और निवेश हो जाता है, जिससे अनुशासन बना रहता है।
- लिक्विडिटी: ओपन-एंडेड फंड्स में आप अपनी यूनिट्स आमतौर पर अगले ही कार्य दिवस (T+1/ T+2) पर भुनवा सकते हैं। 💧
म्यूचुअल फंड SIP की संभावित सीमाएं 👎
- उच्च खर्चे (Higher Expense Ratios - TER): एक्टिवली मैनेज्ड फंड्स का प्रबंधन शुल्क (TER) अपेक्षाकृत अधिक होता है (आमतौर पर 1%-2.25% सालाना, इक्विटी फंड्स के लिए)। यह आपके कुल रिटर्न पर दीर्घावधि में महत्वपूर्ण असर डाल सकता है। 💸
- फंड मैनेजर पर निर्भरता: एक्टिव फंड्स का प्रदर्शन काफी हद तक फंड मैनेजर की क्षमता पर निर्भर करता है। अगर मैनेजर का प्रदर्शन खराब रहा या उन्हें बदल दिया गया, तो इसका असर फंड पर पड़ सकता है।
- बेंचमार्क को मात देने की गारंटी नहीं: अधिकांश एक्टिव फंड्स लंबी अवधि में अपने बेंचमार्क इंडेक्स से बेहतर प्रदर्शन करने में विफल रहते हैं।
- एक्सिट लोड (कुछ फंड्स में): कुछ फंड्स में निवेशकों से प्रारंभिक खरीद पर (एंट्री लोड) या जल्दी निकासी पर (एक्जिट लोड) शुल्क लिया जाता है, हालांकि अधिकांश फंड्स में यह अब शून्य है। ⚠️
- ओवर-डायवर्सिफिकेशन का जोखिम: बहुत सारे फंड्स में SIP करने से पोर्टफोलियो जटिल हो सकता है और होल्डिंग्स ओवरलैप हो सकते हैं।
ETF SIP क्या है? एक नया विकल्प 📊➡️💡
Exchange Traded Funds (ETFs) पहले से मौजूद थे, लेकिन उनमें SIP की सुविधा हाल के वर्षों में ही आसानी से उपलब्ध हुई है। आइए समझते हैं।
1. ETF क्या है? ETF एक्सचेंज (जैसे NSE, BSE) पर सूचीबद्ध ऐसे फंड्स हैं जो किसी विशिष्ट इंडेक्स (जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स, गोल्ड), सेक्टर (बैंक निफ्टी), कमोडिटी (गोल्ड, सिल्वर) या थीम को ट्रैक करते हैं। आप इन्हें स्टॉक की तरह खरीद और बेच सकते हैं। 📉📈
2. ETF SIP कैसे काम करता है? पारंपरिक म्यूचुअल फंड SIP की तरह, ETF SIP में भी आप हर महीने एक निश्चित रकम निवेश करते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि:
- ब्रोकर/प्लेटफॉर्म की भूमिका: आपका ब्रोकर (जैसे Zerodha, Groww, Angel One) आपकी ओर से हर महीने उस ETF की निश्चित संख्या में यूनिट्स मार्केट में खरीदता है। यह खरीदारी मार्केट ऑर्डर या लिमिट ऑर्डर के जरिए हो सकती है।
- कीमत: खरीदारी उस समय के मार्केट प्राइस पर होती है, जो पूरे दिन बदलता रहता है (जबकि म्यूचुअल फंड में दिन का एक ही NAV होता है)। इससे "रुपये की लागत औसत" का फायदा मिलता है।
3. पैसिव मैनेजमेंट: ज्यादातर ETFs पैसिवली मैनेज्ड होते हैं। यानी वे सिर्फ अपने अंतर्निहित इंडेक्स को रेप्लिकेट करते हैं। उनमें फंड मैनेजर के फैसलों की कोई भूमिका नहीं होती। 🤖
ETF SIP के प्रमुख लाभ 👍
- कम खर्चे (Lower Expense Ratios - TER): चूंकि ETFs पैसिवली मैनेज्ड होते हैं, इनका प्रबंधन शुल्क (TER) म्यूचुअल फंड्स (खासकर एक्टिव वालों) की तुलना में काफी कम होता है (आमतौर पर 0.05% से 0.50% के बीच)। यह लंबी अवधि में रिटर्न पर बड़ा सकारात्मक प्रभाव डालता है। 💰➡️💰
- पारदर्शिता: ETF का पोर्टफोलियो पूरी तरह पारदर्शी होता है। आप रियल टाइम में जान सकते हैं कि वह किन शेयरों में निवेश कर रहा है और उनका वेटेज क्या है।
- इंडेक्स का प्रदर्शन: ETF का लक्ष्य इंडेक्स को ट्रैक करना होता है, उसे मात देना नहीं। इसलिए, आपको बेंचमार्क के करीब का रिटर्न मिलने की उम्मीद रखी जाती है (ट्रैकिंग एरर को छोड़कर)। 📊
- ट्रेडिंग फ्लेक्सिबिलिटी: चूंकि ETFs स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होते हैं, आप ट्रेडिंग घंटों (सुबह 9:15 से शाम 3:30) के दौरान किसी भी समय उन्हें खरीद या बेच सकते हैं। (हालांकि SIP में आपका ऑर्डर एक निश्चित तारीख/समय पर ही निष्पादित होता है)।
- विविधीकरण: एक ही ETF खरीदकर आप पूरे इंडेक्स में निवेश कर सकते हैं, जिससे विविधीकरण का फायदा मिलता है।
- टैक्स एफिशिएंसी (कुछ मामलों में): इक्विटी-ओरिएंटेड ETFs पर टैक्स ट्रीटमेंट इक्विटी म्यूचुअल फंड्स जैसा ही होता है (LTCG > ₹1 लाख पर 10%, STCG 15%)। डेट ETFs की टैक्स ट्रीटमेंट डेट म्यूचुअल फंड्स के समान है।
ETF SIP की संभावित सीमाएं 👎
- डीमैट अकाउंट अनिवार्य: ETF में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट होना जरूरी है। यह म्यूचुअल फंड SIP की तुलना में एक अतिरिक्त कदम है। 🔐
- ब्रोकरेज और अन्य शुल्क: ETF यूनिट्स खरीदने पर आपको ब्रोकरेज चार्ज (जो कुछ डिस्काउंट ब्रोकर्स में जीरो भी हो सकता है), STT (Securities Transaction Tax), GST, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज आदि देना पड़ सकता है। ये छोटे-छोटे शुल्क SIP की छोटी किश्तों पर असर डाल सकते हैं। 💸 (हालांकि कई प्लेटफॉर्म अब "फ्री" ETF SIP की पेशकश करते हैं, जहां ब्रोकरेज जीरो होता है, लेकिन अन्य स्टैच्युटरी शुल्क लग सकते हैं)।
- ट्रैकिंग एरर (Tracking Error): ETF का रिटर्न हमेशा उसके अंतर्निहित इंडेक्स के रिटर्न से थोड़ा कम होता है। इस अंतर को ट्रैकिंग एरर कहते हैं। यह फंड के खर्चों (TER), डिविडेंड रीइन्वेस्टमेंट की टाइमिंग, कैश होल्डिंग्स आदि के कारण होता है।
- तरलता का जोखिम (Liquidity Risk): कुछ ETFs (खासकर कम लोकप्रिय इंडेक्स या सेक्टोरल वाले) में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम हो सकता है। इससे आपको बेचते समय मनचाहा प्राइस नहीं मिल पाने या बिड-आस्क स्प्रेड ज्यादा होने का जोखिम होता है। 💧⚠️ (बड़े इंडेक्स जैसे निफ्टी 50, सेंसेक्स के ETFs में यह जोखिम कम है)।
- फ्रैक्शनल यूनिट्स का मुद्दा: शेयर बाजार में आप आमतौर पर शेयरों की पूरी संख्या ही खरीद सकते हैं। अगर आपकी SIP रकम एक पूरी यूनिट की कीमत से कम है, तो आपका ब्रोकर उस रकम से जितनी पूरी यूनिट्स खरीद सकता है, खरीदेगा। बची हुई रकम कैश के रूप में रह जाती है और अगली SIP में जोड़ दी जाती है। यह थोड़ी सी अक्षमता पैदा कर सकता है।
- विकल्पों की सीमा: म्यूचुअल फंड्स की तुलना में ETFs के विकल्प अभी भारत में सीमित हैं, खासकर एक्टिव स्ट्रेटेजी वाले या विशिष्ट थीम्स वाले।
सीधी तुलना: ETF SIP बनाम म्यूचुअल फंड SIP (निर्णय लेने के लिए कुंजी कारक) ⚖️
पैरामीटर | ETF SIP | म्यूचुअल फंड SIP | टिप्पणी |
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खर्चे (TER) | आमतौर पर बहुत कम (0.05% - 0.50%) | एक्टिव फंड्स: अधिक (1% - 2.25%) इंडेक्स फंड्स: मध्यम (0.2% - 1%) | ETF SIP लागत-दक्षता में स्पष्ट विजेता है। लंबी अवधि में यह फर्क बहुत मायने रखता है। |
प्रबंधन शैली | ज्यादातर पैसिव (इंडेक्स को ट्रैक करते हैं) | ज्यादातर एक्टिव (फंड मैनेजर फैसले लेते हैं) पैसिव (इंडेक्स फंड्स) भी उपलब्ध | ETF पैसिव मैनेजमेंट का प्रतिनिधित्व करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में दोनों विकल्प हैं। |
पारदर्शिता | बहुत अधिक (रियल-टाइम होल्डिंग्स देखी जा सकती हैं) | कम (होल्डिंग्स त्रैमासिक अपडेट होती हैं) | ETF में पूर्ण पारदर्शिता। |
लिक्विडिटी | एक्सचेंज पर ट्रेडिंग घंटों में बेचा जा सकता है | अगले NAV पर रिडेम्पशन (आमतौर पर T+1/T+2) | ETF में इंट्राडे बिक्री की सुविधा, लेकिन तरलता ETF पर निर्भर। म्यूचुअल फंड्स में रिडेम्पशन सरल। |
निवेश प्रक्रिया | डीमैट अकाउंट जरूरी। ब्रोकर के माध्यम से। | सीधे फंड हाउस/प्लेटफॉर्म पर। डीमैट जरूरी नहीं। | म्यूचुअल फंड SIP शुरू करना अपेक्षाकृत सरल। ETF SIP के लिए डीमैट अकाउंट अनिवार्य। |
अतिरिक्त शुल्क | ब्रोकरेज (कुछ पर जीरो), STT, GST, एक्सचेंज चार्ज | आमतौर पर सिर्फ TER (एंट्री/एक्जिट लोड अब ज्यादातर नहीं) | ETF SIP में ट्रांजैक्शन से जुड़े छोटे-छोटे शुल्क लग सकते हैं। |
विकल्पों की विविधता | सीमित (मुख्य इंडेक्स, सेक्टर, गोल्ड) | बहुत व्यापक (विभिन्न इक्विटी श्रेणियां, डेट, हाइब्रिड, सोल्यूशन्स) | विशिष्ट लक्ष्यों के लिए म्यूचुअल फंड्स में ज्यादा विकल्प। |
फ्रैक्शनल यूनिट्स | आमतौर पर नहीं (पूरी यूनिट्स ही खरीदी जाती हैं) | हां (रकम के हिसाब से फ्रैक्शनल यूनिट्स मिलती हैं) | म्यूचुअल फंड SIP में पूरी रकम का उपयोग होता है। ETF SIP में छोटी रकम बच सकती है। |
जोखिम प्रोफाइल | अंतर्निहित इंडेक्स के जोखिम पर निर्भर | फंड के प्रकार और मैनेजमेंट पर निर्भर | दोनों बाजार जोखिम (मार्केट रिस्क) के अधीन। एक्टिव फंड्स में मैनेजर रिस्क अतिरिक्त है। |
रिटर्न की उम्मीद | इंडेक्स रिटर्न ~ ट्रैकिंग एरर | एक्टिव: बेंचमार्क से बेहतर/बराबर/कम इंडेक्स फंड: बेंचमार्क के करीब | ETF रिटर्न पूर्वानुमेय है। एक्टिव म्यूचुअल फंड्स में उच्च रिटर्न की संभावना (और जोखिम) दोनों हैं। |
किसे चुनना चाहिए: ETF SIP या म्यूचुअल फंड SIP? 🤔➡️✅
अब सबसे महत्वपूर्ण सवाल: "आपके लिए क्या बेहतर है?" यहां कुछ परिदृश्य दिए गए हैं:
1. ETF SIP चुनें अगर:
- आप कम लागत (Low Cost) को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
- आप पैसिव निवेश (Passive Investing) में विश्वास रखते हैं और इंडेक्स के औसत रिटर्न से संतुष्ट हैं।
- आपको पूर्ण पारदर्शिता (Transparency) चाहिए।
- आप मुख्य बाजार इंडेक्स (निफ्टी 50, निफ्टी नेक्स्ट 50, सेंसेक्स) या गोल्ड जैसी एसेट क्लास में निवेश करना चाहते हैं।
- आपके पास पहले से डीमैट अकाउंट है और आप ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करने में सहज हैं।
- आप लंबी अवधि (Long Term) के निवेशक हैं जहां कम TER का फायदा बड़ा होता है।
2. म्यूचुअल फंड SIP चुनें अगर:
- आप सादगी और सुविधा (Simplicity & Convenience) चाहते हैं (डीमैट की जरूरत नहीं)।
- आप व्यापक विकल्प (Wide Choice) चाहते हैं - विभिन्न इक्विटी श्रेणियां, डेट फंड्स, हाइब्रिड फंड्स, थीमेटिक फंड्स आदि।
- आप एक्टिव मैनेजमेंट (Active Management) के जरिए बाजार से बेहतर रिटर्न पाने की संभावना तलाश रहे हैं (याद रखें, जोखिम भी है)।
- आप फ्रैक्शनल यूनिट्स चाहते हैं ताकि आपकी हर रुपये की SIP रकम पूरी तरह निवेश हो।
- आप विशिष्ट वित्तीय लक्ष्यों (Specific Goals) जैसे बच्चों की शिक्षा या रिटायरमेंट के लिए सोल्यूशन-ओरिएंटेड फंड्स चाहते हैं।
- आप छोटी SIP रकम (जैसे ₹500) से शुरुआत करना चाहते हैं और ब्रोकरेज/शुल्क से बचना चाहते हैं (हालांकि कई ETF SIP भी छोटी रकम स्वीकार करते हैं)।
3. हाइब्रिड दृष्टिकोण (Hybrid Approach) भी एक विकल्प है: 🔄
- कोर-सैटेलाइट स्ट्रेटजी: अपने पोर्टफोलियो के "कोर" (मुख्य हिस्से) को कम लागत वाले ETF SIP (जैसे निफ्टी 50 ETF) के जरिए बनाएं। "सैटेलाइट" (छोटा हिस्सा) एक्टिव म्यूचुअल फंड SIP में लगाएं जहां आपको बाजार से बेहतर रिटर्न की संभावना दिखे (जैसे एक अच्छा मिडकैप या स्मॉलकैप फंड)।
- एसेट एलोकेशन: इक्विटी के लिए ETF SIP और डेट या इंटरनेशनल एक्सपोजर के लिए म्यूचुअल फंड SIP का उपयोग करें।
निष्कर्ष: सर्वश्रेष्ठ क्या है? 🎯
"ETF SIP और म्यूचुअल फंड SIP में से कोई एक सर्वश्रेष्ठ नहीं है। दोनों ही SIP के फायदे (रुपये की लागत औसत, अनुशासन) प्रदान करते हैं, लेकिन अलग-अलग तरीकों से।" 🚀
- ETF SIP लागत-कुशलता, पारदर्शिता और इंडेक्स जैसा रिटर्न पाने के इच्छुक निवेशकों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प है, खासकर बड़े इंडेक्स में निवेश के लिए। यह उन लोगों के लिए आदर्श है जो पैसिव इन्वेस्टिंग में विश्वास रखते हैं और डीमैट अकाउंट रखने में सहज हैं।
- म्यूचुअल फंड SIP सुविधा, विकल्पों की विस्तृत श्रृंखला और एक्टिव मैनेजमेंट के जरिए संभावित रूप से बेहतर रिटर्न की चाहत रखने वालों के लिए बेहतर है। यह शुरुआती निवेशकों और विशिष्ट लक्ष्यों वालों के लिए अधिक सुलभ हो सकता है।
अंतिम निर्णय आपका: अपनी वित्तीय स्थिति, जोखिम सहनशीलता, निवेश लक्ष्यों, लागत के प्रति संवेदनशीलता और तकनीकी सहजता को ध्यान में रखकर ही चुनाव करें। जानकारीपूर्ण निर्णय लें और लंबी अवधि के लिए निवेशित रहें। शुभ निवेश! 🙏✨
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) ❓
Q:1 क्या ETF SIP भी म्यूचुअल फंड SIP की तरह सुरक्षित है?
जी हां, दोनों ही SEBI द्वारा विनियमित हैं। सुरक्षा इस बात पर निर्भर करती है कि फंड किन एसेट्स में निवेश कर रहा है (इक्विटी, डेट आदि), न कि सिर्फ उत्पाद के प्रकार पर। इक्विटी ETF और इक्विटी म्यूचुअल फंड दोनों में बाजार जोखिम होता है। 🛡️
Q:2 क्या छोटी SIP रकम (जैसे ₹500) के लिए ETF SIP उचित है?
यह निर्भर करता है। अगर ETF का यूनिट प्राइस ₹500 से ज्यादा है (जैसे कई बार निफ्टी 50 ETF ₹200+ प्रति यूनिट होता है), तो आपकी पूरी ₹500 का उपयोग नहीं होगा (केवल 2 यूनिट्स खरीदी जा सकेंगी)। कुछ प्लेटफॉर्म फ्रैक्शनल ETF खरीद की सुविधा देने लगे हैं। म्यूचुअल फंड SIP में ₹500 का पूरा उपयोग हो जाता है (फ्रैक्शनल यूनिट्स मिलती हैं)। छोटी रकम के लिए म्यूचुअल फंड SIP अधिक कुशल हो सकती है, हालांकि कई ETF SIP भी ₹500 से शुरू होती हैं।
Q:3 क्या मैं एक ही पोर्टफोलियो में ETF SIP और म्यूचुअल फंड SIP दोनों कर सकता हूँ?
बिल्कुल! यह एक बहुत ही सामान्य और समझदारी भरा तरीका है (कोर-सैटेलाइट स्ट्रेटजी)। आप अपने पोर्टफोलियो का बड़ा हिस्सा कम लागत वाले ETF SIP में लगा सकते हैं (कोर) और एक छोटा हिस्सा विशेषज्ञता वाले एक्टिव म्यूचुअल फंड SIP में (सैटेलाइट)। 🔄
Q:4 ETF SIP में ब्रोकरेज शुल्क लगने पर भी क्या यह म्यूचुअल फंड SIP से सस्ता रहता है?
अक्सर हां, खासकर लंबी अवधि में। भले ही प्रति SIP ट्रांजैक्शन पर कुछ छोटे शुल्क (STT, GST, एक्सचेंज चार्ज - ब्रोकरेज अक्सर जीरो होता है) लगें, लेकिन ETF का सालाना TER म्यूचुअल फंड (खासकर एक्टिव) की तुलना में काफी कम होता है। यह कम TER साल-दर-साल बड़ी रकम पर लागू होता है, जिससे लंबे समय में कुल बचत काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।
Q:5 क्या सभी ETFs में SIP की सुविधा उपलब्ध है?
जरूरी नहीं। ज्यादातर ब्रोकर प्लेटफॉर्म्स लोकप्रिय और अधिक तरल ETFs (जैसे निफ्टी 50, निफ्टी नेक्स्ट 50, बैंक निफ्टी, गोल्ड Bees) में ही SIP की सुविधा देते हैं। कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले या नए ETFs में यह सुविधा नहीं हो सकती। प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सूची जांचें।
❌ डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह लेख केवल शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी हुई जानकारी किसी भी प्रकार से किसी भी स्टॉक या आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में बिना अपने वित्तीय सलाहकार से विचार विमर्श किये निवेश ना करें। इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर हुए किसी भी नुकसान या वित्तीय हानि के लिए लेखक, या वेबसाइट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।