2025 में IPO में निवेश कैसे करें? आसान भाषा में पूरी जानकारी

Hemant Saini
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IPO का परिचय और शेयर बाजार में इसकी भूमिका

Initial Public Offering - IPO यह शेयर बाजार में निवेश करने का बड़ा ही रोमांचक हिस्सा है। आईपीओ एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से निजी कंपनियां पहली बार आम जनता के लिए अपने शेयर्स उपलब्ध करवाती है, जिससे ये कंपनी भारत की दो बड़ी एक्सचेंज नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर लिस्ट होती हैं। आईपीओ के जरिये कंपनियां धन जुटाने का काम करती हैं और जुटाए धन से कर्ज चुकाने का काम, कंपनी का विस्तार करने का काम, और नयी परियोजनों में इस्तेमाल करती हैं। इसके साथ ही कंपनी निवेशकों को कंपनी के विकास में हिस्सेदारी लेने और उच्च रिटर्न कमाने का अवसर प्रदान करती है।

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भारतीय शेयर बाजार में अब आईपीओ की लोकप्रियता बढ़ी जा रही है। इस लेख में हम आईपीओ से सम्बंधित हर एक पहलू को विस्तार से समझेंगे, जैसे कि इसकी परिभाषा, लाभ, प्रकार, जोखिम, निवेश रणनीति, विश्लेषण और SEBI नियम इत्यादि। यह लेख हिंदी पाठकों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है जो आईपीओ के बारे में सम्पूर्ण जानकारी चाहते हैं और इसमें निवेश के अवसर जानना चाहते हैं।


IPO क्या होता है? (What is an IPO?)

IPO वह प्रक्रिया है जिसमें एक निजी कंपनी अपने शेयर्स पहली बार जनता को बेचती है। इससे पहले कंपनी के शेयर्स उनके मालिक, कर्मचारियों या जो भी निवेशक उस कंपनी में पहले से मौजूद है उनके पास रहते हैं। IPO लाने के बाद कंपनी के शेयर्स जनता के लिए उपलब्ध हो जाते हैं जिन्हे कोई भी स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से खरीद या बेच सकता है।

IPO का उद्देश्य क्या है?

आईपीओ लाने का फैंसला कंपनी इन कारणों से लेती है।
  1. धन जुटाना: कंपनी आईपीओ से प्राप्त हुए धन का इस्तेमाल अपने व्यवसाय को बढ़ाने, अनुसंधान और विकास, नई परियोजनाएँ या फिर तकनीकी उन्नति के लिए कर सकती है। उदाहरण के लिए एक टेक्सटाइल कंपनी अपनी एक नयी यूनिट लगाने के लिए पैसा जुटा सकती है।
  2. कर्ज को कम करना: कभी-कभी कंपनी के ऊपर कर्ज ज्यादा हो जाता है तो ऐसी स्तिथि में कंपनी कर्ज को कम करने के लिए आईपीओ ला सकती है जिससे वित्तीय स्तिथि को मजबूत किया जा सके।
  3. कंपनी की ब्रांड वैल्यू को बढ़ाना: जब कोई कंपनी आईपीओ लाकर स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होती है तो इससे कंपनी की ब्रांड वैल्यू बढ़ती है। यानि कंपनी की विश्वास मार्केट में बढ़ता है।
  4. निवेशकों की निकासी का रास्ता: कंपनी के अंदर पहले से जो निवेशक होते हैं जैसे एंजेल निवेशक या वेंचर कैपिटलिस्ट्स अपने शेयर्स को आईपीओ के माध्यम से बेच सकते हैं।
  5. कर्मचारियों को प्रोत्साहन: आईपीओ लाने के बाद कंपनी काम कर रहे कर्मचारियों को ESOP (Employee Stock Ownership Plan) के माध्यम से शेयर्स दे सकती है जिससे कर्मचारी ओर अधिक ईमानदारी से काम करें और कंपनी के विकास में योगदान दें।
  6. बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना: कंपनी को IPO से जो धन प्राप्त होता है उसका इस्तेमाल बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने या नए बाजारों में प्रवेश करने के लिए कर सकती है।

IPO का इतिहास क्या है?

IPO का इतिहास 17वीं सदी से ही शुरू हो गया था जब सन 1602 में ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा दुनिया का पहला आईपीओ लाया गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें की 1990 के बाद जब भारत की आर्थिक स्तिथि थोड़ी ठीक हुई थी तब से भारत में आईपीओ का चलन बढ़ा है। सन 2000 में बड़े आईपीओ जैसे रिलायंस पावर, कोल् इंडिया ओर DLF जैसे बड़े आईपीओ मार्केट में आये थे। और अब भारत में बड़े-बड़े IPO निवेशकों को अपनी और आकर्षित कर रहे हैं।


IPO की पूरी प्रक्रिया: और यह कैसे काम करता है?

आईपीओ लाने की प्रक्रिया किसी भी कंपनी के लिए आसान नहीं होती। कंपनी आईपीओ लाने के लिए क्या प्रक्रिया करती है नीचे ध्यान दें।

1. कंपनी का फैंसला और प्रारंभिक तैयारी

IPO लाने से पहले किसी भी निजी कंपनी को यह तय करना जरूरी होता है की आईपीओ के कितनी पूंजी डिमांड रखनी है और कितने शेयर्स मार्केट में उतारने हैं। यह निर्णय कंपनी के मालिक यानि प्रोमोटर्स लेते हैं। कंपनी जब यह निर्णय कर लेती है तो उन्हें भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से आईपीओ के लिए मंजूरी लेनी पड़ती है। सेबी ही भारत के शेयर बाजार को रेगुलेट करता है। सेबी को यह देखना पड़ता है कि IPO प्रक्रिया पारदर्शी रूप से हो जिससे निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके।


2. ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) की तैयारी

कंपनी को एक ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) तैयार करना होता है जिसमें कंपनी की पूरी जानकारी शामिल होती है। इसमें क्या शामिल होता है आइये जानते हैं।
  • कंपनी का व्यवसाय मॉडल: कंपनी क्या कार्य करती है यानि कंपनी के क्या प्रोडक्ट या सर्विस है।
  • वित्तीय जानकारी: इसमें कंपनी की पूरी वित्तीय जानकारी जैसे मुनाफा, घाटा, कर्ज और लेन-देन शामिल होता है।
  • प्रोमोटर्स की जानकारी: कंपनी के मुख्य प्रोमोटर्स कौन हैं और उनका क्या ट्रैक रिकॉर्ड या अनुभव है ये सब जानकारी देनी होती है।
  • IPO लाने का उद्देश्य: कंपनी को यह बताना पड़ता है कि वह आईपीओ क्यों और किस उद्देश्य से लाना चाहती है। जैसे कर्ज चुकाना, व्यवसाय बढ़ाना या रिसर्च एंड डेवलपमेंट इत्यादि।
  • जोखिम कारक क्या हैं: कंपनी को यह बताना पड़ता है कि कंपनी के सामने क्या जोखिम आ सकते हैं जैसे कानूनी विवाद इत्यादि।
  • उद्योग का भविष्य: कंपनी जिस उद्योग में कार्य करती है उसमें आगे चलकर विकास की कितनी संभावनाएँ हैं।
Sebi DRHP/RHP check
Sebi official website DRHP/RHP check

SEBI द्वारा कंपनी के DRHP को अच्छे तरिके से जांच करने के बाद आईपीओ को मंजूरी मिलती है। इसके बाद कंपनी रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (RHP) जारी करती है, जिसमें कंपनी को प्राइस बैंड की जानकारी देनी होती है।

आप सेबी की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाकर किसी भी कंपनी का DRHP/RHP चेक कर सकते हैं जैसा की हमने ऊपर तस्वीर में दिखाया है। Fillings के ऑप्शन में Public Issues में सभी आईपीओ की जानकारी आप प्राप्त कर सकते हैं।


3. अंडरराइटर्स और बुक-रनिंग लीड मैनेजर्स (BLRM) की नियुक्ति

IPO प्रक्रिया के दौरान अंडरराइटर्स या बुक-रनिंग लीड मैनेजर्स (BRLM) संस्थान नियुक्त किये जाते हैं जो निम्नलिखित कार्य करते हैं
  • IPO की मार्केटिंग और प्रचार करने का काम करना।
  • शेयरों की कीमत निर्धारण में मदद करने का काम।
  • शेयरों की बिक्री सुनिश्चित करने का काम।
  • रेगुलेटरी का पालन सुनिश्चित करना।
कोटक महिंद्रा कैपिटल, ICICI सिक्योरिटीज, JM फाइनेंशियल और मॉर्गन स्टेनली भारत के प्रमुख अंडरराइटर्स हैं जिन्हे यह काम सौंपा जाता है।

4. प्राइस बैंड निर्धारित करना - (Price Band Decision)

कंपनी द्वारा आईपीओ के शेयर्स की कीमत दो तरह से तय की जाती है।
  • फिक्स्ड प्राइस इशू: इस इशू का मतलब है जिसका मूल्य फिक्स होता है जैसे 100 रूपए के भाव पर ही निवेशक आवेदन कर सकते हैं।
  • बुक बिल्डिंग इशू: इसमें कंपनी उदाहरण के लिए 150-170 प्राइस इशू करती है। निवेशक इन्ही प्राइस के अंदर अपनी बोली लगा सकते हैं। इसमें अंतिम कीमत को कट-ऑफ प्राइस बोला जाता है। और आजकल कट-ऑफ प्राइस पर ही आईपीओ की अलॉटमेंट होती है।
Issue Type Example in IPO
Issue Type Example in IPO

5. मार्केटिंग के जरिये IPO की मांग बढ़ाना

कंपनी और इसके अंडरराइटर्स IPO लॉन्च होने से पहले मार्केटिंग का कार्य करते हैं। इस मार्केटिंग से बड़े निवेशकों जैसे म्यूच्यूअल फंड और विदेशी निवेशकों का विश्वास जीता जाता है। ऐसा करने से आईपीओ की मांग बढ़ती है और कंपनी जो पैसा जुटाने जा रही है उसका कार्य आसान हो सके।

6. IPO आवेदन और शेयर आवंटन

भारत में आईपीओ के लिए आवेदन ज्यादातर ASBA (Application Supported by Blocked Amount) द्वारा किये जा रहे हैं। ASBA प्रक्रिया में:
  • निवेशक के बैंक खाते में राशि केवल ब्लॉक रहती है काटी नहीं जाती।
  • शेयर अलॉटमेंट होने के बाद ही बैंक खाते से राशि डेबिट की जाती है।
  • अगर शेयर अलॉट नहीं होते, तो राशि को बैंक द्वारा अनब्लॉक कर दिया जाता है।

शेयर्स अलॉटमेंट निम्नलिखित श्रेणियों में होता है:

  • रिटेल इंडिविजुअल इनवेस्टर्स (RII): छोटे निवेशक या आम आदमी जिनका निवेश ₹2 लाख रूपए से कम होता है। इनके लिए पूरे आईपीओ का 10% या 35% शेयर कोटा निर्धारित होता है।
  • नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII): ये वो निवेशक हैं जिनकी नेट वर्थ ज्यादा होती है। इनका कोटा 15% तक होता है।
  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB): ये वो निवेशक हैं जिनमे विदेशी निवेशक, म्यूचुअल फंड्स या अन्य बड़े संस्थान होते हैं जिनके लिए 50% कोटा होता है। 
IPO Category Example
IPO Category Example

यदि आईपीओ में ओवरसब्सक्रिप्शन आता है तो अलॉटमेंट की प्रक्रिया आनुपातिक आधार पर किया जाता है। 


7. लिस्टिंग और ट्रेडिंग

शेयर्स अलॉटमेंट के बाद लिस्टिंग डेट वाले दिन कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है। लिस्टिंग वाले दिन शेयर्स की कीमत डिमांड सप्लाई के आधार पर ऊपर नीचे होती रहती है। यदि लिस्टिंग कीमत आईपीओ के निर्धारित प्राइस बैंड से ऊपर होती है तो इसे लिस्टिंग गेन कहा जाता है। उदाहरण के लिए अगर आईपीओ की कीमत 200 रूपए रखी गई थी और लिस्टिंग वाले दिन आईपीओ 300 रूपए पर लिस्ट हुआ तो निवेशकों को 50% का मुनाफा होगा। लिस्टिंग के बाद 10 बजे इस आईपीओ के शेयर्स को ख़रीदा या बेचा जा सकता है।

Zerodha IPO allotment Email
Zerodha IPO allotment Email




SEBI और IPO के लिए नियम

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हमारे भारत में IPO की पूरी प्रक्रिया को SEBI (Issue of Capital and Disclosure Requirements) Regulations, 2018 नियंत्रित करता है। नियम इस प्रकार हैं:
  1. आईपीओ के लिए योग्यता: पिछले तीन वर्षों में कंपनी का कम से कम 10 करोड़ मुनाफा होना चाहिए। इसमें छूट भी दी जा सकती है।
  2. पारदर्शिता होनी अनिवार्य: कंपनी द्वारा DRHP में वित्तीय और जोखिम संबंधी सही जानकारी देना अनिवार्य है।
  3. शेयर्स आवंटन: रिटेल निवेशकों के लिए कम से कम 35% शेयर, NII के लिए 15%, और QIB के लिए 50% शेयर आरक्षित होते हैं।
  4. लॉक-इन-पीरियड: प्री-IPO निवेशकों (जैसे संस्थापक) के लिए 1-3 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
  5. न्यूनतम सब्सक्रिप्शन: आईपीओ कम से कम 90% सब्सक्रिप्शन मिलना चाहिए नहीं तो रद्द किया जा सकता है।
  6. रिफंड प्रोसेस: यदि किसी निवेशक को शेयर्स अलॉट नहीं होते हैं तो सात दिनों के अंदर रिफंड देना अनिवार्य है।
सेबी का कार्य बाजार और निवेशक दोनों की सुरक्षा करना है।

IPO के प्रकार - Types of IPO

आईपीओ के प्रकार कंपनी के उद्देश्य और जरूरतों के हिसाब से हो सकते हैं। आइये जानते हैं:

1. Equity IPO- आईपीओ का यह बड़ा साधारण सा प्रकार है। इसमें कंपनी अपने इक्विटी शेयर्स जनता को बेचती है और साथ ही उन्हें हिस्सेदारी और मतदान का अधिकार भी देती है।
2. Debt IPO- डेट आईपीओ का मतलब है इसमें कंपनी बांड्स या डिबेंचर के जरिये पैसा जुटाती है। इससे निवेशकों को ब्याज के रूप में रिटर्न मिलता है।
3. फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO)- जो कंपनी पहले से ही एक्सचेंज में लिस्टेड होती है और नए शेयर्स जारी करती है तो इसे FPO कहा जाता है। यह आईपीओ से अलग इसलिए है क्यूंकि कंपनी पहले से ही लिस्टेड है।
4. ऑफर फॉर सेल (OFS): कंपनी के संस्थापक या प्राइवेट इक्विटी फर्म्स जब अपने खुद के शेयर्स को बेचते हैं तो इसे OFS कहा जाता है। इसमें कंपनी को कोई पैसा नहीं मिलता केवल शेयर्स बेचने वाले को पैसा मिलता है।
5. राइट्स इश्यू: इस तरह के इश्यू में मौजूदा निवेशकों को अतिरिक्त शेयर्स खरीदने का अधिकार दिया जाता है।
6. SME IPO: इस तरह के आईपीओ छोटे उद्यमों वालों के लिए बनाया गया है जो कि NSE Emerge और BSE SME जैसी एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाता है।
7. REITs और InvITs IPO: इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InvITs) और रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) जैसे आईपीओ रियल एस्टेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश के लिए लाये जाते हैं।

IPO में निवेश के लाभ- IPO Investing Benefits

1. अधिक रिटर्न की संभावना: यदि कंपनी अच्छी है और आईपीओ की डिमांड अच्छी हो तो अधिक रिटर्न मिलने की संभावना होती है। आईपीओ को लिस्टिंग गेन या लॉन्ग टर्म दोनों की नजर से निवेशकों द्वारा देखा जाता है।
2. शुरुआती चरण में हिस्सेदारी का अवसर: आईपीओ के जरिये कंपनी के शुरुआती चरण में निवेश का मौका मिलता है। आईपीओ के समय शेयर्स की कीमत कम होती है।
3. पोर्टफोलियो Diversification: आईपीओ में निवेश पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लिए भी किया जाता है। क्यूंकि इससे अलग-अलग सेक्टर जैसे रिन्यूएबल एनर्जी, फार्मा और टेक्नोलॉजी में निवेश का अवसर मिलता है।
4. लिस्टिंग गेन: बहुत से निवेशक आईपीओ के लिए अप्लाई केवल लिस्टिंग गेन के लिए करते हैं। कभी-कभी अच्छे आईपीओ पैसा दोगुना भी कर देता हैं।
5. कंपनी के विकास में हिस्सेदारी: आईपीओ में निवेश से आप उस कंपनी की ग्रोथ में हिस्सेदारी पा सकते हैं। वह कंपनी जो भी मुनाफा या विकास करेगी उसमें आप हिस्सेदार होंगे।
6. लिक्विडिटी: जब कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट हो जाती है तो उच्च लिक्विडिटी होने के कारण उसके शेयर्स आसानी से ख़रीदे बेचे जा सकते हैं।


IPO में निवेश के जोखिम - Risks in IPO Investing

आईपीओ में निवेश करना जोखिम से भरा होता है इसलिए आपको इन जोखिमों के बारे में समझना जरूरी है।

1. बाजार के जोखिम: यदि शेयर बाजार में मंदी है तो इससे आईपीओ की कीमत भी प्रभावित होती है। कभी-कभी आपको लिस्टिंग गेन अच्छा मिलेगा और कभी लिस्टिंग ना मिलने की भी संभावना होगी।
2. कंपनी का कमजोर प्रदर्शन: यदि कंपनी का व्यवसाय मॉडल अच्छा नहीं है और प्रोमोटर्स का अनुभव भी कम है तो आईपीओ में निवेश जोखिम भरा हो सकता है।
3. ओवर वैल्यू: कभी-कभी कंपनी आईपीओ की ओवर वैल्यूएशन मांगती है जिसके कारण लिस्टिंग के तुरंत बाद शेयर के भाव तेजी से गिर सकते हैं। जैसे Paytm IPO (2021) में लिस्टिंग के बाद बुरी तरह से गिरा था। कुछ आईपीओ ऐसे भी होते हैं जो अपने प्राइस बैंड से भी नीचे नेगेटिव में लिस्ट हो जाते हैं।
4. ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पर निर्भरता- कुछ निवेशक इसपर बहुत निर्भर होते हैं और केवल इसी को देखकर निवेश का निर्णय लेते हैं। ग्रे मार्केट गैर-आधिकारिक है जो गलत संकेत भी दे सकता है।
5. सीमित डेटा: नयी कंपनी के ऐतिहासिक डाटा कभी-कभी उपलब्ध नहीं होते जिसके कारण आईपीओ का विश्लेषण करना मुश्किल हो जाता है।

IPO में निवेश कैसे करें?

चलिए जानते हैं आईपीओ में किस तरह से निवेश किया जा सकता है।

1. डिमैट और ट्रेडिंग खाता अनिवार्य

  • यदि आप आईपीओ में निवेश करना चाहते हैं तो आपके पास एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता होना अनिवार्य है।
  • फ्री में डीमैट अकाउंट आप सेबी से रजिस्टर्ड ब्रोकर जैसे Zerodha, Upstox, Angel One पर खोल सकते हैं।
  • ट्रेडिंग अकाउंट शेयर्स खरीदने बेचने के लिए होता है और डीमैट अकाउंट में आपके ख़रीदे या होल्ड किये हुए शेयर्स डिजिटल फॉर्म में स्टोर होते हैं।

2. IPO की जानकारी जुटाएं 

  • आईपीओ लाने जा रही कंपनी का DRHP और RHP ध्यान से पढ़ें।
  • एक्सपर्ट की सलाह लें और कंपनी की ऑफिशल वेबसाइट पर जाकर डाटा चेक करें।
  • Moneycontrol, Economic Times जैसी विश्वसनीय वेबसाइट पर जाकर आईपीओ के बारे में पढ़ें।

3. आईपीओ भरने की प्रक्रिया

  • अपने ब्रोकर की वेबसाइट या एप्लीकेशन पर आईपीओ वाले सेक्शन में जाकर आवेदन करें। इसके लिए आप UPI या ASBA का उपयोग कर सकते हैं।
  • आप किस केटेगरी में आईपीओ भरना चाहते हैं यह जरूर अच्छे से जान लें। उदाहरण के लिए यदि आप रिटेल निवेशक हैं तो रिटेल केटेगरी की न्यूनतम राशि चेक कट-ऑफ प्राइस पर आईपीओ भरें।
  • यदि ऑफलाइन आवेदन उपलब्ध है तो अपने बैंक या ब्रोकर के ऑफिस में फॉर्म जमा करवाएं।
  • ज्यादातर एप्लीकेशन अब ऑनलाइन ही भरी जाती हैं।

4. अलॉटमेंट की प्रतीक्षा

  • आईपीओ भरने के बाद शेयर्स को लॉटरी सिस्टम के आधार पर बांटा जाता है।
  • वैसे तो रिटेल निवेशकों के लिए 35% कोटा होता है लेकिन ओवर सब्सक्राइब होने के कारण अलॉटमेंट मिलना मुश्किल हो जाता है।
  • आपको आईपीओ अलॉट हुआ या नहीं उसे आप IPO Registrar की वेबसाइट जैसे Link Intime, KFintech की वेबसाइट पर चेक कर सकते हैं।

5. लिस्टिंग और ट्रेडिंग

  • यदि आपको शेयर्स अलॉट होते हैं तो ये आपके डीमैट अकाउंट में दिखने लगेंगे।
  • लिस्टिंग की तिथि पर आप इन शेयर्स को 10 बजे के बाद बेच सकते हैं या फिर लॉन्ग टर्म के लिए होल्ड कर सकते हैं।
  • यदि केवल अपने लिस्टिंग गेन के लिए आईपीओ भरा था और लिस्टिंग गेन मिल भी रहा है तो आप शेयर्स को बेच कर मुनाफा बुक भी कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन के लिए स्टेप्स

  1. अपने ब्रोकर की वेबसाइट या ऐप्प पर लॉग इन करें।
  2. IPO सेक्शन में जाकर आईपीओ की पूरी सूचि देखें।
  3. जो आईपीओ भरना है उसे चुनें और लोट साइज, कीमत और अन्य जानकारी भरें।
  4. UPI ID के माध्यम से mandate को accept करके अमाउंट ब्लॉक करें।
  5. अभी आपके खाते से पैसा नहीं कटेगा केवल ब्लॉक रहेगा।
  6. अलॉटमेंट की तिथि और लिस्टिंग की तिथि को ध्यान में रखें।
Zerodha पर आईपीओ कैसे भरें?
Zerodha पर आईपीओ भरने का प्रोसेस 

IPO का विश्लेषण कैसे करें?

IPO में निवेश करने से पहले इसका अच्छे से विश्लेषण करना बहुत जरूरी है। तो चलिए जानते हैं आपको क्या ध्यान रखना है।

कंपनी की वित्तीय स्थिति

  • आय और मुनाफा: क्या कंपनी पिछले 3-5 सालों में मुनाफा बना पा रही है या नहीं और आय में वृद्धि दिखाई दे रही है या नहीं।
  • कर्ज: यदि कंपनी कर्ज में डूबी है तो ऐसे आईपीओ में निवेश जोखिम भरा हो सकता है। कंपनी वही अच्छी जिसके ऊपर मामूली कर्ज है या कर्ज मुक्त है।
  • कैश फ्लो: कंपनी के कॅश फ्लो से इसकी वित्तीय स्तिथि का अंदाजा लगाएं।
  • P/E Ratio: प्राइस-टू-अर्निंग्स रेश्यो से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कंपनी ने सही वैल्यूएशन रखी है या फिर ज्यादा। अगर वैल्यूएशन ज्यादा होगी तो लिस्टिंग गेन नहीं मिलेगा और आईपीओ नेगेटिव भी लिस्ट हो सकता है।
  • EPS (Earnings Per Share): कंपनी की प्रति शेयर आय कितनी है यह ईपीएस से पता लगता है। ईपीएस जितना अधिक हो उतना अच्छा है। यह सब देखने के लिए screener वेबसाइट का इस्तेमाल करें।
Screener website profit loss statement example
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प्रोमोटर्स की विश्वसनीयता

  • कंपनी के प्रोमोटर्स का ट्रैक रिकॉर्ड, उनका अनुभव और अन्य जानकारी जुटाएं।
  • यदि प्रोमोटर्स का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है और अपने सेक्टर का अनुभव रखते हैं उदाहरण के लिए Zomato के CEO दीपिंदर गोयल का जोमाटो के आईपीओ की कामयाबी में महत्वपूर्ण योगदान था।

कंपनी का उद्योग विश्लेषण

  • कंपनी जो भी सेक्टर में काम करती है उसके भविष्य और उसमें विकास की संभावना क्या हो सकती है अच्छे से देख लें। 
  • उदाहरण के लिए टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तेजी है और कुछ सेक्टर मंदी में चल रहे हैं। 
  • अच्छे से अध्ययन कर लें कि जिस कंपनी में आप निवेश करने जा रहे हैं उसका कोई भविष्य है भी या नहीं। 

IPO वैल्यूएशन 

  • कंपनी की वैल्यूएशन सही है या नहीं ये जरूर देख लें।
  • इसके साथ के सेक्टर वाली कंपनियों के P/E रेशियो, P/B (Price-to-Book) का मूल्यांकन करें।
  • यदि वैल्यूएशन अधिक है तो लिस्टिंग गेन के लिए अप्लाई ना करें क्यूंकि शेयर्स की कीमतें लिस्टिंग के दिन गिर सकती हैं।

उदेश्य

  • आईपीओ से मिले पैसे का इस्तेमाल कंपनी किस उदेश्य के लिए करेगी यह जरूर जान लें। कंपनी की ग्रोथ में पैसा लगेगा तो अच्छा है। लेकिन अगर कर्ज चुकाने के लिए आईपीओ लाया गया है तो यह चेतवानी है।
  • पूंजी का उपयोग गलत तरिके से नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए गैर-उत्पादक कार्यों (जैसे प्रबंधन को बोनस).

जोखिम

  • DRHP में लिखे हुए सभी जोखिमों को ध्यान से पढ़ें।
  • कंपनी के ऊपर कोई कानूनी विवाद नहीं होना चाहिए।

लिस्टिंग गेन की संभावना

  • पहले जो आईपीओ लिस्ट हुए हैं उनका विश्लेषण करें और देखें कि क्या इसमें लिस्टिंग गेन की संभावना है या नहीं।
  • ग्रे मार्किट प्रीमियम GMP पर पूरी तरह निर्भर ना रहें। ग्रे मार्किट unofficial मार्केट है जिसमें थोड़ा बहुत manupulation भी हो सकता है।

एक्सपर्ट की रिपोर्ट देखें

  • बहुत से बैंक आईपीओ के ऊपर अपनी रिसर्च रिपोर्ट बनाते हैं उनकी रिपोर्ट को पढ़ें और देखें कि उन्होंने इसके बारे में सब्सक्राइब करने की रेटिंग दी है या नहीं।
  • यदि सब पॉजिटिव है तभी आईपीओ में निवेश कर निर्णय बनायें।

IPO में निवेश की रणनीति

IPO में सफल निवेश के लिए आप क्या कर सकते हैं आइये जानते हैं

1. लम्बी अवधि के लिए निवेश: 
  • यदि कंपनी है और उसका भविष्य अच्छा है तो लम्बी अवधि के लिए निवेश करना सही रहेगा।
  • रिलायंस जैसी कंपनी ने लम्बी अवधि में निवेशकों को अच्छे रिटर्न दिए हैं।
2. जोखिम देखें
  • केवल एक ही आईपीओ में अपना पूरा पैसा निवेश ना करें।
  • घाटे में चल रही कंपनियों के आईपीओ में निवेश करने से बचें।
3. लिस्टिंग गेन पर ध्यान दें 
  • यदि आप केवल लिस्टिंग गेन के लिए आईपीओ भरना चाहते हैं तो कंपनी की वैल्यूएशन और ग्रे मार्केट प्रीमियम पर नजर रखें।
  • लिस्टिंग के दिन ही जो भी मुनाफा मिले उसे लेकर आप जा सकते हैं।
4. बिना रिसर्च निवेश ना करें 
  • DRHP पढ़ें और एक्सपर्ट की सलाह लें।
  • कंपनी के उद्योग और भविष्य का अच्छे से अध्यन करें।
  • जिस क्षेत्र में आप निवेश करना चाहते हैं उसी क्षेत्र की लिस्टेड कंपनियों का अध्यन करें।
5. डायवर्सिफिकेशन करें 
  • अलग-अलग सेक्टर जैसे फार्मा, टेक्नोलॉजी के आईपीओ में निवेश करें।
  • ऐसा करने से रिस्क कम होता है और सूझ बूझ भरा निवेश होता है।
6. SEBI के दिशानिर्देशों का पालन करें 
  • यह बात ध्यान में रखें कि आप सेबी के रूल्स के अनुसार ही निवेश करें।
  • फर्जी आईपीओ या फिर बिना सेबी के रजिस्ट्रेशन वाले आईपीओ ना भरें।
7. बजट के अनुसार निवेश
  • आप अपने बजट के अनुसार ही रिटेल या HNI केटेगरी में निवेश करें।
  • किसी के कहने पर अपना बजट ना बढ़ाएं क्यूंकि उसमें रिस्क और मुनाफा दोनों ज्यादा होंगे।
IPO न्यूज़ और अपडेट्स के लिए आप विश्वसनीय वेबसाइट जैसे Chittorgarh और Moneycontrol का उपयोग कर सकते हैं

भारत के प्रमुख IPO के केस स्टडीज

1. Bajaj Housing Finance IPO (2024):
  • ₹6,560 करोड़ जुटाए।
  • प्राइस बैंड: 66-70
  • लिस्टिंग के दिन 114% का गेन निवेशकों को मिला।
  • रिजल्ट: मजबूत पैरेंट कंपनी (Bajaj Finance) और उचित वैल्यूएशन की वजह से लिस्टिंग गेन निवेशकों को प्राप्त हुआ।
2. Paytm IPO (2021):
  • ₹18,300 करोड़ जुटाए।
  • प्राइस बैंड: 2080-2150
  • लिस्टिंग के बाद कीमत शेयर्स की कीमतों में भरी गिरावट हुई जिसका कारण अधिक वैल्यूएशन रहा।
  • रिजल्ट: कंपनी घाटे में है और वैल्यूएशन भी ज्यादा रखी गई। ऐसे आईपीओ लिस्टिंग गेन तो छोड़िये पैसा भी नेगेटिव करवा देते हैं।
3. LIC IPO (2022):
  • यह भारत का सबसे बड़ा IPO रहा, जिसने 21,000 करोड़ रूपए जुटाए थे।
  • प्राइस बैंड: 902-949
  • लिस्टिंग होने के बाद शेयर्स में गिरावट देखने को मिली जिसका कारण थोड़ा ओवर वैल्यूएशन रहा।
  • रिजल्ट: बड़े और अच्छे आईपीओ में लम्बी अवधि के लिए निवेश सही है।

निष्कर्ष

इस आईपीओ के लेख में हमने आपको पूरी जानकारी अच्छे से दी है। आईपीओ में निवेश भारत में अब बढ़ता जा रहा है। अब आईपीओ इतने ओवर सब्सक्राइब होने लगें हैं कि अलॉटमेंट मिलना भी मुश्किल हो गया है। लेकिन वो कहते हैं ना हमें केवल कर्म करना चाहिए बाकी भगवान पर छोड़ना चाहिए। अब आप आईपीओ के बारे में सब कुछ जान चुके हैं। अच्छे से आईपीओ का विश्लेषण करें और निवेश करके मुनाफा बनायें। आपको यह लेख अगर अच्छा लगा है तो इसे दूसरों के साथ भी शेयर करें। आपकी जो भी राय या कमेंट है हमारे साथ साझा जरूर करें। हम आपके लिए शेयर बाजार की बारीकियां शेयर करते रहेंगे।

FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. IPO लिस्टिंग गेन क्या है?
यदि कोई आईपीओ अपने निर्धारित प्राइस बैंड से ऊपर लिस्ट होता है तो उसे लिस्टिंग गेन कहते हैं। उदाहरण के लिए किसी आईपीओ का प्राइस बैंड 100 है और वह 150 रूपए पर लिस्ट होता है तो इसमें 50% लिस्टिंग गेन मन जायेगा।

2. क्या IPO में निवेश करना सुरक्षित है?
आईपीओ में निवेश जोखिम से भरा होता है लेकिन सही विश्लेषण करके निवेश करना फायदेमंद होता है।

3. IPO का अलॉटमेंट कैसे होता है?
लाटरी सिस्टम या फिर अनुपात के आधार पर आईपीओ निवेशकों को अलॉट किया जाता है।

4. आईपीओ में SEBI की भूमिका क्या है?
आईपीओ की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करना और निवेशकों के हितों की रक्षा करना।

5. IPO में निवेश के लिए कम से कम कितना पैसा चाहिए?
रिटेल केटेगरी में कम से कम निवेश 12000 से 15000 तक होता है।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह लेख केवल शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी हुई जानकारी किसी भी प्रकार से किसी भी स्टॉक या आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में बिना अपने वित्तीय सलाहकार से विचार विमर्श किये निवेश ना करें। इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर हुए किसी भी नुकसान या वित्तीय हानि के लिए लेखक, या वेबसाइट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

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