इंट्राडे ट्रेडिंग की ABCD – एकदम आसान और स्पष्ट गाइड
personHemant Saini
मई 30, 2025
0
share
(toc)
इंट्राडे ट्रेडिंग को डे ट्रेडिंग भी कहा जाता है। शेयर बाजार में यह ट्रेडिंग स्टाइल बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। इस लेख में आज हम इंट्राडे ट्रेडिंग की पूरी कुंडली जाने वाले हैं। यदि आप शेयर बाजार में नए हैं तो इस लेख के माध्यम से आप इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में सब कुछ जान जायेंगे। इंट्राडे ट्रेडिंग उनके लिए बेस्ट हैं जो कम समय में मार्केट के छोटे-छोटे मूव पकड़कर मुनाफा करना चाहते हैं। लेकिन बिना जानकरी और अनुभव के यह मुमकिन नहीं है। आइये विस्तार से इंट्राडे ट्रेडिंग के सभी टॉपिक को समझते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है? (What is Intraday Trading)
जब एक ट्रेडर एक ही दिन के अंदर किसी स्टॉक, डेरीवेटिव, या करेंसी को खरीदता या बेचता है तो उसे इंट्राडे ट्रेडिंग कहते हैं। यानि वह किसी भी पोजीशन को अगले दिन के लिए होल्ड नहीं करता। भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग का समय सुबह 9:15 से 3:30 तक होता है। इसी समय के बीच ट्रेडर्स शेयर्स को खरीदते या बेचते हैं। उदाहरण के लिए यदि राम ने 100 रूपए में कोई स्टॉक इंट्राडे के लिए ख़रीदा तो उसे यह स्टॉक 3:30 बजे से पहले बेचना ही पड़ेगा चाहे उसमें घाटा मुनाफा कुछ भी हो. इंट्राडे ट्रेडिंग का उदेशय मार्केट के छोटे मूव को पकड़कर मुनाफा बनाना होता है। इंट्राडे में काम करने वाले अपनी सभी पोजीशन को 3:30 बजे से पहले क्लोज कर देते हैं।
इंट्राडे और डिलीवरी ट्रेडिंग में क्या अंतर है?
इंट्राडे ट्रेडिंग: एक ही दिन में शेयर्स को खरीदना और बेचना। सभी पोजीशन को मार्केट बंद होने से पहले काटना। इससे ओवरनाइट रिस्क खत्म हो जाता है।
डिलीवरी ट्रेडिंग: इसमें शेयर्स को लम्बे समय के लिए ख़रीदा जाता है और लम्बी अवधि दिनों, हफ़्तों, और महीनों की हो सकती है। इसमें ओवरनाइट रिस्क शामिल होता है यानि कोई खराब न्यूज़ से शेयर्स की कीमतें ज्यादा गिर सकती हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग में काफी एक्टिव होना पड़ता है क्यूंकि मिनटों के हिसाब से कभी प्राइस ऊपर कभी प्राइस नीचे होते रहते हैं। इस प्रकार की ट्रेडिंग उन लोगों के लिए है जो काफी एक्टिव होते हैं और मार्केट की वोलैटिलिटी का फायदा उठाना चाहते हैं और कोई ओवरनाइट रिस्क नहीं चाहते।
इंट्राडे ट्रेडिंग का महत्व
इंट्राडे ट्रेडिंग शेयर बाजार में इसलिए लोकप्रिय हैं क्यूंकि
इस प्रकार की ट्रेडिंग रोजाना मुनाफा या ट्रेड करने का मौका देती है।
इस प्रकार की ट्रेडिंग में ब्रोकर की तरफ से मार्जिन मिलता है जिससे कम पूंजी से भी ट्रेड करना संभव है।
मार्केट में छोटे-छोटे और बड़े मूव को तुरंत कैप्चर करने का अवसर मिलता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के प्रकार (Intraday trading types)
इंट्राडे ट्रेडिंग में भी चार तरह की ट्रेडिंग को ट्रेडर्स द्वारा चुना जाता है। आइये जानते हैं क्या हैं वो टाइप
स्केल्पिंग ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में एक ट्रेडर दिनभर में कई ट्रेड करते हैं और मार्केट के छोटे-छोटे मूव को कैप्चर करते हैं। उदाहरण के लिए 0.5 से 1% तक कमाने के लिए ऐसा किया जाता है। स्केल्पिंग ट्रेडर छोटा टाइम फ्रेम जैसे 2-5 मिनट का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं।
मोमेंटम ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में ट्रेंडिंग स्टॉक्स को चुना जाता है और उनमे ट्रेड किया जाता है। ऐसे स्टॉक जिनमे हलचल ज्यादा हो और तेजी से ऊपर नीचे जा रहे हों। मोमेंटम ट्रेडिंग के लिए न्यूज़ का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता है। या फिर एक दिन पहले स्टॉक्स की लिस्ट बनाई जाती है जिनमे ट्रेडर्स की स्ट्रेटेजी के अनुसार अगले दिन मूव आने चांस होते हैं।
ट्रेंड रिवर्सल ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में प्राइस एक्शन जब अपना ट्रेंड बदलता है तब फायदा उठाया जाता है। यह बड़ी रिस्की तो होती है लेकिन इसमें हाई रिवॉर्ड भी मिलता है। इसके लिए मार्केट का अनुभव होना जरूरी है।
ब्रेकआउट ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में सपोर्ट और रेजिस्टेंस के लेवल के ब्रेकआउट पर ट्रेड किया जाता है। ब्रेकआउट होने के बाद जब मूव आता है तो उस मूव को कैप्चर करने के लिए ट्रेडर्स ब्रेकआउट ट्रेडिंग करते हैं। ब्रेकआउट का मतलब है किसी सपोर्ट लेवल या रेजिस्टेंस लेवल का टूटना।
ट्रेडिंग तो कई तरह की है किसके लिए क्या सही है उसके अनुसार की ट्रेडिंग चुनी जाती है। हर ट्रेडिंग के अपने फायदे और चुनौतियां होती है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए जरूरी चीजें क्या हैं?
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कुछ जरूरी चीजों की आवश्यकता होती है जिनके बिना इंट्राडे ट्रेडिंग संभव नहीं है। आइये जानते हैं:
ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट: इंट्राडे करने के लिए एक ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट चाहिए होता है और भारत में पॉपुलर ब्रोकर जैसे zerodha, angel one, upstox हैं जिनमे फ्री में डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं जिसके लिए आधार कार्ड, पैन कार्ड, और बैंक की जानकारी चाहिए होती है।
बेहतर ट्रेडिंग प्लेटफार्म: डीमैट खाता किसी अच्छे ब्रोकर पर ही खोले जो बेहतर चार्ट और बेहतर टूल्स देता हो. क्यूंकि ट्रेडिंग के लिए अच्छे टूल्स होना अनिवार्य है।
अच्छा इंटरनेट कनेक्शन: आपके पास चार्ट्स को पढ़ने और टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए अच्छा इंटरनेट होना जरूरी है वरना जो कैंडल चार्ट पर बनती हैं उनका आकार गलत दिखाई दे सकता है। इंट्राडे ट्रेडिंग में रुकावट नहीं होनी चाहिए क्यूंकि इसमें काफी एक्टिव रहना पड़ता है।
पूंजी: इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए अब पूंजी की जरुरत तो होगी ही। डीमैट खाते में ऐसी पूंजी रखना जरूरी है जिससे ट्रेड किया जा सके। पूंजी छोटी बड़ी हो सकती है क्यूंकि सबकी अपनी सीमा है। स्टॉक, फ्यूचर ऑप्शन या कमोडिटी किसको ट्रेड करने के लिए कितनी पूंजी लगेगी यह ब्रोकर पर दिख जाता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग के क्या फायदे हैं?
इंट्राडे ट्रेडिंग लोग क्यों करते हैं क्यूंकि इसके कुछ फायदे होते हैं आइये जानते है:
तेजी से मुनाफा: मार्केट के छोटे-छोटे मूव को पकड़ कर पैसा बनाने का अवसर होता है। यह सब कुछ मिनटों का काम होता है। कुछ कामयाब ट्रेडर्स मिनटों में ही अच्छा मुनाफा बना लेते हैं।
ओवरनाइट रिस्क नहीं होता: इंट्राडे ट्रेडिंग की ख़ास बात यह है की इसमें ओवरनाइट की कोई चिंता नहीं होती। बेशक मार्केट में कोई भी बेकार न्यूज़ या अच्छी न्यूज़ रातों रात आ जाये इससे से इंट्राडे ट्रेडर को फर्क नहीं पड़ता। इसलिए इंट्राडे करने वाले रात को चैन से सोते हैं।
मार्जिन का फायदा: जो स्टॉक में इंट्राडे करते हैं उन्हें मार्जिन का फायदा मिलता है। कुछ ब्रोकर 5 गुना तक का मार्जिन देते हैं यानि अगर आपके पास 10000 रूपए हैं तो आप 50000 रूपए तक के शेयर्स खरीद सकते हैं। लेकिन इससे रिस्क और रिवॉर्ड दोनों बढ़ जाते हैं।
फ्लेक्सिबिलिटी: इंट्राडे ट्रेडिंग का यह फायदा है कि आप अपने समय तय समय के अनुसार ट्रेड कर सकते हैं। आप एक पार्ट टाइम या फुल टाइम ट्रेडर अपने हिसाब से बन सकते हैं। आपके पास आजादी होती है बेशक आप एक घंटे के लिए ही ट्रेड करें।
इंट्राडे ट्रेडिंग के नुकसान और जोखिम
यदि इंट्राडे ट्रेडिंग में फायदे हैं तो नुकसान भी तो होंगे। आइये जानते हैं क्या नुकसान और रिस्क होते हैं:
बड़ा नुकसान: कभी-कभी ज्यादा वोलैटिलिटी या खराब न्यूज़ की वजह से बड़ा नुकसान भी झेलना पद सकता है। अचानक आने वाले मूव ट्रेडर्स को बड़ा नुकसान भी करवा सकते हैं।
ट्रेडिंग इमोशंस: हर इंसान में इमोशंस होते हैं और ज्यादा इमोशन की वजह से गलत निर्णय हो सकते हैं जिसके कारण बड़ा नुकसान या कैपिटल भी खत्म हो सकता है। नुकसान होते ही ट्रेडर ओवर ट्रेड करते हैं और ज्यादा नुकसान कर बैठते हैं।
ओवर ट्रेडिंग: नुकसान को कवर करने के लिए बार-बार गलत ट्रेड करने से पूरा कैपिटल साफ़ हो सकता है। इससे ब्रोकरेज और टैक्स भी ज्यादा हो जाते हैं।
ब्रोकर की मार्जिन कॉल: यदि आप मार्जिन का इस्तेमाल कर रहे हैं तो ब्रोकर मार्जिन कॉल कर सकते है और अधिक फंड्स की डिमांड कर सकते हैं। ऐसा ऑप्शन सेल्लिंग करने वालों के साथ हो सकता है।
लगातार मार्केट पर नजर: इंट्राडे ट्रेडिंग काफी स्ट्रेस से भरी होती है क्यूंकि चार्ट पर गहराई से नजर रखनी पड़ती है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में समय की भूमिका
एक ट्रेडर के लिए यह जानना जरूरी है कि इंट्राडे का कोनसा समय ट्रेडिंग के लिए बेस्ट है।
सुबह 9:15 से 10:30 बजे के समय ज्यादा वोलैटिलिटी होती है। यह समय विंडो काफी ट्रेडर्स को पसंद आती है क्यूंकि इसमें मोमेंटम मिलने के चांस ज्यादा होते हैं।
11:00 से 2:00 बजे: यह ट्रेडिंग का वह समय है जिसमें बाजार स्थिर रहता है। टेक्निकल एनालिसिस को फॉलो करने वाले इस समय में ट्रेड करते हैं।
2:30 से 3:15 बजे: यह वह समय है जिसमें मुनाफा वसूली होती है। अक्सर रिवर्सल इसी समय में देखने को मिलते हैं। रिवर्सल ट्रेडिंग करने वाले इस समय को चुनते हैं।
इंट्राडे में समय का महत्व इसलिए है ताकि आप अपनी कैपेसिटी के अनुसार ट्रेडिंग निर्णय ले सकें।
इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?
अच्छा ब्रोकर चुनें: यह सबसे जरूरी है कि आप एक अच्छे और बड़े ब्रोकर का चुनाव करें ताकि ट्रेडिंग को आसान बनाया जा सके। भारत के टॉप ब्रोकर्स zerodha, angel one, upstox हैं।
टेक्निकल एनालिसिस सीखें: बिना इसे सीखे आप इंट्राडे ट्रेडिंग नहीं कर सकते। टेक्निकल एनालिसिस सीखने के बाद ही आप चार्ट को अच्छे से पढ़ पाएंगे और मार्केट की डायरेक्शन को प्रिडिक्ट कर पाएंगे।
डेमो ट्रेडिंग से शुरुआत करें: ट्रेडिंग की शुरुआत डेमो ट्रेडिंग से करें। इससे आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा और रिस्क भी नहीं होगा।
छोटी पूंजी से शुरुआत:1-2 महीने प्रैक्टिस के बाद छोटी पूंजी से ट्रेडिंग करना स्टार्ट करें।
नुकसान और टारगेट तय करें: प्रतिदिन का एक सीमित नुकसान और सीमित लक्ष्य निर्धारित करें। इससे आप एक डिसिप्लिन ट्रेडर और प्रॉफिटेबल बनेंगे।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए रणनीतियां
ब्रेकआउट स्ट्रेटेजी: इंट्राडे के लिए सबसे पॉपुलर स्ट्रेटेजी ब्रेकआउट स्ट्रेटेजी है। इसके लिए मार्केट को समय देना पड़ता है। सही समय पर एंटी और एग्जिट करना बहुत जरूरी होता है। ब्रेकआउट होने से पहले टेक्निकल एनालिसिस की जाती है और उसके हिसाब से एक एंट्री, स्टॉप लोस्स और टारगेट निर्धारित किया जाता है। जब कोई सपोर्ट या रेजिस्टेंस लेवल टूटता है तब इस स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल होता है।
ब्रेकआउट स्ट्रेटेजी
मोमेंटम स्ट्रेटेजी: बहुत लोग मोमेंटम ट्रेडिंग पसंद करते हैं। इसके लिए काफी धैर्य रखना जरूरी होता है। इस तरह की ट्रेडिंग में कुछ ऐसे लेवल निकाले जाते हैं जहाँ से किसी भी तरफ मोमेंटम होने की प्रोबेबिलिटी होती है।
मोमेंटम स्ट्रेटेजी
रेंज ट्रैप ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में एक रेंज मार्क की जाती है, और जब प्राइस रेंज से बाहर निकलता है तो रिटेल निवेशक एंट्री करते हैं। ऐसे में एक स्मार्ट ट्रेडर उनके ट्रैप होने के बाद उलटी दिशा में ट्रेड करते हैं। इसे ही रेंज ट्रैप ट्रेडिंग कहते हैं। यह बड़ा रिवॉर्ड देने वाली स्ट्रेटेजी है।
रेंज ट्रैप ट्रेडिंग
रिवर्सल ट्रेडिंग: इस तरह की ट्रेडिंग में सपोर्ट, रेजिस्टेंस और कैंडल स्टिक का इस्तेमाल होता है। रिवर्सल का मतलब है जहाँ से ट्रेंड बदलने की प्रोबेबिलिटी ज्यादा होती है। यह भी काफी धैर्य रखने वाला काम होता है। इसमें भी छोटा रिस्क और बड़ा रिवॉर्ड मिलने के चांस होते हैं। रिवर्सल ट्रेडिंग के लिए स्ट्रांग सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल को देखा जाता है।
रिवर्सल ट्रेडिंग
इंट्राडे ट्रेडिंग टेक्निकल एनालिसिस कैसे करें?
टेक्निकल एनालिसिस की मदद से ही फ्यूचर प्राइस को प्रेडिक्ट किया जा सकता है। आइये जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण कांसेप्ट:
कैंडलस्टिक पैटर्न्स:
हैमर कैंडलस्टिक: यह कैंडलस्टिक पैटर्न तेजी आने का संकेत देती है। इस कैंडल में बॉडी छोटी और नीचे की लोअर विक बड़ी होती है। जब यह सपोर्ट पर बनती है तो डाउन ट्रेंड के ख़त्म होने की निशानी होती है।
शूटिंग स्टार कैंडलस्टिक: यह कैंडल बिलकुल हैमर कैंडल की उलटी होती है। इसमें बॉडी नीचे की तरफ और ऊपर की तरफ विक ज्यादा होती है। यह रेजिस्टेंस पर देखने को मिलती है और तेजी के रुकने का संकेत देती है।
Engulfing कैंडलस्टिक: यह दो तरह की होती है बुलिश और बेयरिश engulfing कैंडलस्टिक। यह ट्रेंड रिवर्सल का संकेत देती हैं। इन्हे भी सपोर्ट रेजिस्टेंस पर देखा जाता है ताकि बेहतर तरिके से काम करे।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस
सपोर्ट: यह स्टॉक का वह लेवल होता है जहाँ से प्राइस गिरना बंद होता है और डिमांड बढ़ने की प्रोबेबिलिटी बढ़ जाती है। जरूरी नहीं कि हर एक सपोर्ट लेवल से भाव ऊपर जाए। इसलिए कोनसा सपोर्ट अच्छा काम करेगा इसी को खोजना ही टेक्निकल एनालिसिस कहलाता है।
रेजिस्टेंस लेवल: यह वह लेवल होता है जहाँ से अब प्राइस गिरने की प्रोबेबिलिटी ज्यादा होती है। क्यूंकि इस लेवल पर तेजी वाले कमजोर होते हैं और बेचने वाले ज्यादा एक्टिव होते हैं।
ट्रेडिंग इंडीकेटर्स
RSI (Relative Strength Index): यह इंडिकेटर ओवर बोट और ओवर सोल्ड जैसी स्तिथि को जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
MACD (Moving Average Convergence Divergence): इसका इस्तेमाल मोमेंटम और ट्रेंड की डायरेक्शन को जानने के लिए किया जाता है।
Bollinger Bands: इसका इस्तेमाल ब्रेकआउट ट्रेडिंग के लिए और साइड वेज़ मार्केट की पहचान के लिए होता है।
VWAP (Volume Weighted Average Price): इसका इस्तेमाल एवरेज प्राइस निकालने के लिए किया जाता है।
चार्ट पैटर्न्स
M और W पैटर्न: जब भी किसी रेजिस्टेंस लेवल पर M पैटर्न बनता है तो यह प्राइस एक्शन के हिसाब से रिवर्सल का संकेत देता है जिसकी वजह से प्राइस नीचे आ सकता है। यदि W पैटर्न किसी सपोर्ट पर बनता है तो यह भाव के ऊपर जाने का संकेत देता है। यह भी काफी ट्रेडर्स द्वारा ट्रेडिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
हेड एंड शोल्डर्स: यह भी एक ट्रेंड रिवर्सल चार्ट पैटर्न है। यह बुलिश और बेयरिश दोनों तरह का होता है। यह पैटर्न ब्रेकआउट फेल होने की वजह से बनता है।
कप एंड हैंडल: यह पैटर्न इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए काफी प्रचलित है। जब भी चार्ट पर यह पैटर्न बनता है तब भाव बड़ी तेजी से ऊपर या नीचे जा सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग स्टॉक सिलेक्शन
इंट्राडे की सफलता के लिए सही स्टॉक सिलेक्शन बहुत जरूरी होता है। आइये जानते हैं किस तरह के स्टॉक इंट्राडे के लिए बेस्ट होते हैं:
अधिक लिक्विडिटी स्टॉक: इंट्राडे के लिए ऐसे ही स्टॉक सेलेक्ट करें जिनमें लिक्विडिटी ज्यादा हो जैसे रिलायंस, hdfc बैंक, टाटा स्टील इत्यादि। इस तरह के स्टॉक में खरीदना बेचना आसान होता है।
अधिक वोलैटिलिटी: ऐसे स्टॉक जो ज्यादा वोलेटाइल हों यानि जिनमे प्राइस मूवमेंट ज्यादा हो।
सेक्टर एनालिसिस: हर रोज कोई ना कोई सेक्टर परफॉर्म करता है। जैसे किसी दिन फार्मा तो किसी दिन ऑटो सेक्टर परफॉर्म करता है। न्यूज़ से अपडेटेड रहें और देखें कि किस दिन कोनसा सेक्टर ज्यादा परफॉर्म कर सकता है।
न्यूज़ और इवेंट: ऐसे स्टॉक भी इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सही होते हैं जिनमे कोई न्यूज़ हो जैसे रिजल्ट, या कोई बड़ा इवेंट।
इंट्राडे ट्रेडिंग रिस्क और मनी मैनेजमेंट
इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता केवल टेक्निकल एनालिसिस सीख लेने से नहीं मिलती। इसके लिए रिस्क और मनी मैनेजमेंट सीखना भी जरूरी होता है। बिना इसके ट्रेडिंग से पैसा बनाना संभव नहीं है।
रिस्क रिवॉर्ड रेशो: किसी भी ट्रेड के लिए 1:2 या 1:3 रिस्क टू रिवॉर्ड राशन रखना जरूरी है। उदाहरण के लिए यदि आप 200 रूपए का रिस्क ले रहे हैं तो बदले में आपको 400 से 600 रूपए का प्रॉफिट करना चाहिए। ऐसा करने से आप एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर बनेंगे।
स्टॉप लॉस निर्धारित रखें: इसके जरिये आप अपने नुकसान को कंट्रोल कर सकते हैं। यह निर्धारित करें कि प्रति ट्रेड में मुझे कितना लॉस लेना है। क्यूंकि यह जरूरी नहीं कि आप हर बार प्रॉफिट ही करें। जब नुकसान हो तो वो सीमित होना जरूरी है।
पोजीशन साइज: अपने पूरे कैपिटल का केवल 1-2% ही एक ट्रेड में रिस्क लें। इस से आपकी पूंजी सेफ रहेगी। ऐसा ना करें कि पूरे कैपिटल पर ही रिस्क लेकर आर या पार वाली ट्रेडिंग ना करें। यह नुकसान का कारण बन सकता है। इसके लिए हमारा Position Sizing Calculator इस्तेमाल करें।
डायवर्सिफिकेशन: एक ही ट्रेड में पूरा कैपिटल ना लगाएं। यदि आप पूरे दिन में 2-3 ट्रेड कर सकते हैं तो तीनों ट्रेड में बराबर रिस्क होना चाहिए।
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
सही समय में ट्रेड करें: अक्सर ऐसा देख गया है कि सुबह 9:15 से 10:00 AM और दोपहर 2:00 से 3:30 PM के समय में ट्रेड करना प्रॉफिटेबल माना जाता है। क्यूंकि इस समय में ही मोमेंटम मिलने के चांस होते है।
अनुशासन: इंट्राडे ट्रेडर के अंदर एक अनुशासन होना जरूरी है। अपनी रणनीतियों और रिस्क रिवॉर्ड को अच्छे से फॉलो करें। किसी भी रूल को ना तोड़ें नहीं तो प्रॉफिटेबल बनना मुश्किल हो जायेगा।
ट्रेडिंग जर्नल बनायें: अपनी हर ट्रेड के को एक डायरी में लिखते रहें। क्यूंकि आपकी यही डायरी आपको अनुशासन में रखने का काम करेगी और आप अपनी गलतियों को समझ पाएंगे। इसके लिए आप हमारा अपना Trade Score Calculator with trading journal इस्तेमाल कर सकते हैं।
ओवर ट्रेडिंग ना करें: अपने नुकसान को कवर करने के लिए ओवर ट्रेडिंग ना करें। नुकसान मुनाफा यह सब मार्केट का हिस्सा है।
न्यूज़ से अपडेटेड रहें: न्यूज़ के आधार पर ट्रेडिंग ना करें केवल न्यूज़ के टच में रहें कि किस कंपनी का रिजल्ट आने वाला है।
Tradingview: यह फ्री प्लेटफार्म है जहाँ आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स के चार्ट को देख सकते हैं और टेक्निकल एनालिसिस के सभी टूल्स और इंडीकेटर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। हालाँकि इसका प्रीमियम प्लान भी है लेकिन उसके बिना भी आपका काम हो जायेगा।
Tick-by tick Charting- यदि आप कैंडलस्टिक पर ट्रेड करना पसंद करते हैं तो आपके पास tick-by-tick चार्टिंग होना जरूरी है। इसका मतलब होता है कि आपके पास सटीक डाटा है। Upstox tick-by-tick डाटा देता है आप इसमें में अपना डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
स्क्रीनर: यदि आप स्टॉक लिस्ट कम समय में फ़िल्टर करके निकालना चाहते हैं तो आप स्टॉक स्क्रीनर का इस्तेमाल कर सकते हैं। गूगल पर आपको बहुत से स्टॉक स्क्रीनर मिल जायेंगे या फिर आपके ब्रोकर में भी यह ऑप्शन हो सकता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग टैक्स और रेगुलेशन
टैक्स: इंट्राडे ट्रेडिंग को शार्ट टर्म कैपिटल गेन की केटेगरी में देखा जाता है और इसपर 15% टैक्स लिया जाता है।
सेबी रेगुलेशन: इंट्राडे ट्रेडिंग के रूल्स जैसे मार्जिन सीमा, और ट्रेडिंग से जुड़े सभी कानून Securities and Exchange Board of India (SEBI) द्वारा निर्धारित किये जाते हैं।
ब्रोकरेज टैक्स: प्रति ट्रेड ब्रोकरेज, STT, GST और अन्य एक्सचेंज के चार्ज लगते हैं। इनका ध्यान जरूर रखें क्यूंकि ये प्रॉफिट को प्रभावित कर सकते हैं। अधिक ब्रोकरेज टैक्स की वजह से भी कुछ लोग प्रॉफिट नहीं बना पाते।
इंट्राडे ट्रेडिंग के भ्रम और सच्चाई
इंट्राडे ट्रेडिंग से जुड़ा एक भ्रम है कि इंट्राडे से रातों रात अमीर बन सकते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह एक हाई रिस्क और हाई रिवॉर्ड वाली ट्रेडिंग है जिसके लिए अनुशासन, तजुर्बा चाहिए होता है।
दूसरा भ्रम यह है कि टेक्निकल एनालिसिस हमेशा सही होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि टेक्निकल एनालिसिस 100% सही नहीं होती। मार्केट में 100% जैसा कुछ भी नहीं है।
तीसरा भ्रम यह है कि लोग इंट्राडे ट्रेडिंग को जुआ बोलते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यह जुआ नहीं एक बिजनेस है जिसे अच्छे से समझ कर किया जाए तभी फायदा मिलता है।
नए लोगों के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग मुश्किल होती है लेकिन इन टिप्स कि मदद से आप शुरुआत कर सकते हैं:
छोटे कैपिटल से शुरुआत: बेशक आपके पास धन ज्यादा हो लेकिन हमेशा छोटे कैपिटल से शुरू करें ताकि अगर नुकसान हो भी जाये तो आप मार्केट से बाहर ना हों। मार्केट में टिकना बहुत जरूरी है तभी आप लम्बे समय में प्रॉफिटेबल होंगे।
पेपर ट्रेडिंग करें: बिना असली पूंजी का इस्तेमाल किये कम से कम 3 महीने प्रैक्टिस करें। जो भी स्ट्रेटेजी आप इस्तेमाल करना चाहते हैं वो क्या रिजल्ट दे रही है उसको लिखते जाएँ और डाटा इकठ्ठा करें। यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मदद करेगी।
मेंटोर चुनें: सेबी रजिस्टर्ड लोगों से सीखें। जिन्हे मार्केट का कई सालों का अनुभव हो।
प्रैक्टिस करें: जितनी प्रैक्टिस आप चार्ट पर करेंगे आप उतने ही एक्सपर्ट होते चले जायेंगे। चार्ट पर इतनी प्रैक्टिस कर लें कि चार्ट आपकी आँखों में बस जाये।
इंट्राडे के सफल ट्रेडर्स
अब आपको यह भी जान लेना चाहिए कि इंट्राडे में किसने अच्छा मुनाफा बनाया है:
राकेश झुनझुनवाला: इन्हे बिग बुल के नाम से भी जाना चाहते हैं। यह अपने दशक के एक सफल ट्रेडर और निवेशक रहे हैं।
विजय केडिया: यह ऐसे शक्श हैं जिन्होंने इंट्राडे और स्विंग ट्रेडिंग के दम पर अपना पोर्टफोलियो बनाया। इसके इलावा बहुत ऐसे इंट्राडे ट्रेडर हैं जो सफल हैं और मार्केट से मुनाफा बना रहे हैं।
इनकी स्टोरी, अनुशासन और रिसर्च से आप ट्रेडिंग के महत्व को जान सकते हैं।
ट्रेडिंग प्लान: बिना ट्रेडिंग प्लान के कभी मार्केट में ट्रेड नहीं करते।
होमवर्क: एक सफल इंट्राडे ट्रेडर एक दिन पहले ही अगले ट्रेडिंग दिन की तैयारी करता है। उदाहरण के लिए चार्ट स्टडी करना, लेवल्स मार्क करना इत्यादि।
ट्रेंड के साथ ट्रेड करना: सफल इंट्राडे ट्रेडर ट्रेंड को अच्छे से समझ कर ट्रेड करता है जिससे उसके जीतने की संभावना बढ़ती है।
लालच और डर पर कंट्रोल: यह बहुत जरूरी है कि इंट्राडे में अपने लालच और डर पर काबू पाया जाए।
स्टॉप लॉस का इस्तेमाल: एक सफल ट्रेडर हर स्तिथि में अपने स्टॉप लॉस को फॉलो करता है। वह कभी स्टॉप लॉस को बार-बार छोटा बड़ा नहीं करता।
ट्रेडिंग जर्नल बनाना: एक सफल ट्रेडर के पास अपने सभी पिछली ट्रेड और गलतियों का ट्रेडिंग जर्नल होता है जिससे वह अनुशासन को फॉलो कर सके।
धैर्य और अनुशासन: एक सफल ट्रेडर जनता है कि वह हर रोज प्रॉफिट नहीं कर सकता। इसलिए वह धैर्य रखता है और अपने अनुशासन को फॉलो करता है।
मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान: ट्रेडिंग के लिए जरूरी है अपने मानसिक स्वास्थ्य का अच्छे से ध्यान रखना और मैडिटेशन, एक्सरसाइज पर भी ध्यान देना। जरुरत पड़े तो ट्रेडिंग से ब्रेक भी लिया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए स्टॉक मार्केट में इमोशंस कैसे कंट्रोल करें वाला लेख पढ़ें।
90% लोगों का इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान का कारण
न्यूज़, टिप्स और दूसरों के कहने पर ट्रेड करना नुकसान का मुख्य कारण बनता है।
बिना ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और प्लान के कहीं पर भी खरीदना या बेचना।
स्टॉप लॉस ना लगाना और लॉस को होल्ड करके बैठना।
गलत पोजीशन साइज यानि कभी कम कभी ज्यादा quantity के साथ ट्रेड करना।
पूरे कैपिटल को एक ही ट्रेड में यह सोच कर इन्वेस्ट करना कि यह डबल हो जायेगा।
एक्सपायरी वाले दिन ऑप्शन buyer बनकर हीरो जीरो ट्रेड करना।
केवल ट्रेडिंग के भरोसे घर चलाने के बारे में सोचना। ऐसी स्तिथि में पैनिक में आकर ओवर ट्रेडिंग करना।
यदि आप इंट्राडे में सफल होना चाहते हैं तो रिस्क मैनेजमेंट, टेक्निकल एनालिसिस, अनुशासन से ही सफल हो सकते हैं। यदि इंट्राडे ट्रेडिंग हाई रिवॉर्ड देने में सक्षम है तो आपको यह भी जानना जरूरी है कि इंट्राडे ट्रेडिंग में 10% लोग ही मुनाफा बनाते हैं। इंट्राडे ट्रेडिंग में सफल होने के लिए दिमाग से मजबूत होना भी जरूरी है, केवल ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी से ही सफल नहीं हो सकते। इस लेख में हमने इंट्राडे ट्रेडिंग के हर टॉपिक को डिटेल में कवर किया है। हमें उम्मीद है कि आप सीधे इंट्राडे ट्रेडिंग में नहीं उतरेंगे और पहले ज्ञान अर्जित करेंगे और 3 महीने प्रैक्टिस करेंगे।
FAQ (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है?
एक ही दिन में शेयर्स को खरीदने बेचने की प्रक्रिया को इंट्राडे ट्रेडिंग कहता हैं। दिनभर में जो छोटे-छोटे मूवमेंट होते हैं उनसे मुनाफा कमाना ही इंट्राडे ट्रेडर का लक्ष्य होता है। इसमें ओवरनाइट कोई रिस्क शामिल नहीं होता।
2. इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू कैसे करें?
इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए एक ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट की जरुरत होती है। आप फ्री में Zerodha, Upstox, Angel One जैसे ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर खाता खोलकर ट्रेडिंग कर सकते हैं।
3. इंट्राडे ट्रेडिंग में सबसे बड़ी गलती क्या है?
बिना स्टॉप लॉस ट्रेडिंग करना, ओवर ट्रेड करना और गलत दिशा में ट्रेड करना सबसे बड़ी गलती हो सकती है।
4. इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कितना कैपिटल चाहिए?
इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए कम से कम 5000 और बेहतर मनी मैनेजमेंट के लिए 25000 तक की आवश्यकता होती है।
5. इंट्राडे के लिए कैसे स्टॉक चुनें?
ऐसे स्टॉक जिनमे लिक्विडिटी, वोलैटिलिटी और वॉल्यूम अधिक हो। निफ़्टी 50 के अंदर से ही स्टॉक सिलेक्शन करें।
6. क्या इंट्राडे ट्रेडिंग प्रॉफिटेबल है?
जी हाँ, टेक्निकल एनालिसिस का सही ज्ञान, रिस्क मैनेजमेंट, अनुशासन, और इमोशंस को ध्यान में रखकर एक प्रॉफिटेबल ट्रेडर बना जा सकता है।
डिस्क्लेमर (Disclaimer)
यह लेख केवल शिक्षा के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी हुई जानकारी किसी भी प्रकार से किसी भी स्टॉक या आईपीओ में निवेश की सलाह नहीं है। शेयर बाजार में बिना अपने वित्तीय सलाहकार से विचार विमर्श किये निवेश ना करें। इस लेख में दी गई जानकारी के आधार पर हुए किसी भी नुकसान या वित्तीय हानि के लिए लेखक, या वेबसाइट को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।