(toc)
🎯 ऑप्शन ग्रीक्स: आपका रिस्क मैनेजमेंट टूलकिट
ग्रीक्स कोई गणित नहीं, बल्कि आपके ट्रेड के "वाइटल साइन्स" हैं! जैसे डॉक्टर BP, हार्ट रेट और ऑक्सीजन लेवल चेक करता है, वैसे ही ग्रीक्स आपको बताते हैं:
- ट्रेड कितना हेल्दी है?
- कहाँ रिस्क ज़्यादा है?
- कब एक्शन लेना है?
एक कहानी से समझते हैं। मेरे दोस्त राजेश ने HDFC बैंक का कॉल ऑप्शन खरीदा। शेयर ऊपर जा रहा था, फिर भी उसका प्रीमियम घट गया! क्यों?
- थीटा ने प्रीमियम खाया (टाइम डिके)
- वेगा ने मारा (IV घट गई)
अगर वो ग्रीक्स समझता, तो 48% लॉस से बच जाता। यही वजह है कि प्रोफेशनल ट्रेडर्स हर ट्रेड में ग्रीक्स चेक करते हैं।
🎯 डेल्टा ग्रीक: शेयर की कीमत का जादूगर
डेल्टा = प्रीमियम की स्पीड! ये बताता है:
"अंडरलाइंग में ₹1 का बदलाव → प्रीमियम में कितना बदलाव?"
💡 रियल-लाइफ उदाहरण:
मान लीजिए आपने टाटा मोटर्स का CE (कॉल ऑप्शन) खरीदा:
- स्ट्राइक प्राइस: ₹950
- करंट प्रीमियम: ₹20
- डेल्टा: 0.45
अगर टाटा मोटर्स ₹955 से ₹956 हुआ (₹1 की बढ़त):
नया प्रीमियम = ₹20 + 0.45 = ₹20.45
अगर ₹5 चढ़े (₹955 → ₹960):
नया प्रीमियम = ₹20 + (0.45 × 5) = ₹22.25
📌 डेल्टा के 3 गोल्डन रूल:
कॉल ऑप्शन्स में डेल्टा: 0 से 1 के बीच
- OTM (Out of Money): 0-0.3 (जैसे स्ट्राइक से 10% दूर)
- ATM (At the Money): ~0.5
- ITM (In the Money): 0.7-1 (जितना डीप ITM, उतना 1 के करीब)
पुट ऑप्शन्स में डेल्टा: 0 से -1 के बीच
- OTM पुट: -0.3 से 0
- ATM पुट: ~ -0.5
- ITM पुट: -1 से -0.7
डेल्टा = प्रोबेबिलिटी
- डेल्टा 0.6 = 60% चांस एक्सपायरी पर ITM रहने के
🚗 एनालॉजी: डेल्टा आपकी गाड़ी का एक्सीलरेटर है। जितना ज़्यादा (1 के करीब), उतना तेज़ प्रीमियम बढ़ेगा!
![]() |
Sensibull Option Greeks Example |
🎯 गामा ग्रीक: डेल्टा का एक्सीलरेटर
गामा = डेल्टा की स्पीड! ये बताता है:
"अंडरलाइंग में ₹1 बदलाव → डेल्टा में कितना बदलाव?"
💡 गामा क्यों मायने रखता है?
मान लीजिए आपने Reliance का OTM कॉल खरीदा:
- डेल्टा = 0.30, गामा = 0.04
- रिलायंस ₹10 चढ़ा → नया डेल्टा = 0.30 + (0.04 × 10) = 0.70
अब आपका OTM ऑप्शन ATM हो गया! अगले ₹5 उछाल पर:
- नया डेल्टा = 0.70 + (0.04 × 5) = 0.90
यानी शेयर के ऊपर जाने से डेल्टा तेज़ी से बढ़ा!
📌 गामा के 3 प्रैक्टिकल फैक्ट्स:
- ATM ऑप्शन्स में गामा सबसे ज़्यादा होता है (क्योंकि डेल्टा सबसे सेंसिटिव होता है)।
- शॉर्ट एक्सपायरी ऑप्शन्स में गामा का असर ज़्यादा खतरनाक (एक दिन में OTM → ITM हो सकता है!)।
- गामा ऑप्शन बायर्स का दोस्त और सेलर्स का दुश्मन (अचानक रिस्क बढ़ जाता है)।
☯️ एनालॉजी: गामा आपकी गाड़ी का टर्बो बूस्टर! डेल्टा को तेज़ी से बदलता है।
🎯 थीटा ग्रीक: टाइम डिके का शिकारी
थीटा = टाइम बम! ये बताता है:
"1 दिन बीतने पर प्रीमियम कितना घटेगा?"
💡 रियल-लाइफ ड्रामा:
सोमवार: आपने INFY का ATM कॉल खरीदा @ ₹80 (एक्सपायरी 15 दिन)
- थीटा = -₹1.20/दिन
- मंगलवार सुबह: प्रीमियम = ₹80 - ₹1.20 = ₹78.80
- शुक्रवार तक (4 दिन बाद): ≈ ₹80 - (1.20×4) = ₹75.20
एक्सपायरी वाले हफ्ते में थीटा बढ़ जाता है!
- बुधवार: थीटा = -₹2.50/दिन
- गुरुवार: प्रीमियम = ₹75.20 - ₹2.50 = ₹72.70
📌 थीटा के 3 सत्य:
- ATM ऑप्शन्स में सबसे ज़्यादा टाइम डिके होता है।
- एक्सपायरी के नज़दीक थीटा का असर डबल-ट्रिपल हो जाता है (आखिरी 5 दिन खतरनाक!)।
- थीटा हमेशा नेगेटिव होता है – समय किसी के लिए नहीं रुकता!
⏳ एनालॉजी: ऑप्शन प्रीमियम एक बर्फ का गोला है जो गर्मी (समय) बीतने से पिघलता जाता है। थीटा उस पिघलने की रफ्तार है!
🎯 वेगा ऑप्शन: वोलैटिलिटी का जासूस
वेगा = IV का पैमाना! ये बताता है:
"इम्प्लाइड वोलैटिलिटी (IV) 1% बढ़ने पर प्रीमियम कितना बदलेगा?"
💡 मार्केट साइकोलॉजी का असर:
फरवरी में RBI पॉलिसी आने वाली है। लोगों को डर है कि बैंक शेयर उछलेंगे/गिरेंगे।
- HDFC बैंक IV: 25% से बढ़कर 32% हुई (7% की छलांग)
- आपका कॉल ऑप्शन वेगा: ₹0.80/1% IV
- प्रीमियम बढ़ेगा = 7 × ₹0.80 = ₹5.60
IV घटने पर उल्टा होगा!
📌 वेगा के 3 सीक्रेट्स:
- लॉन्ग टर्म ऑप्शन्स में वेगा ज़्यादा होता है (क्योंकि उनमें IV बदलाव का जोखिम ज़्यादा होता है)।
- इवेंट्स से पहले IV बढ़ती है (बजट, रिजल्ट्स, चुनाव) → वेगा के कारण प्रीमियम महंगा हो जाता है।
- वेगा कॉल और पुट दोनों के लिए पॉजिटिव होता है (हाई IV = दोनों के प्रीमियम महंगे)।
🌪️ एनालॉजी: वेगा मार्केट की "आंधी की चेतावनी" है। जितनी तेज़ हवाएँ (IV), उतना ऊँचा लहरों का खतरा (प्राइस स्विंग)!
📊 ऑप्शन ग्रीक्स इफेक्ट कम्पेरिजन टेबल
ग्रीक | प्रभावित करने वाला कारक | ऑप्शन बायर्स को | ऑप्शन सेलर्स को | सबसे ज़्यादा इफेक्ट |
---|---|---|---|---|
डेल्टा | शेयर की कीमत | फायदा जब शेयर ऊपर जाए (कॉल) या नीचे जाए (पुट) | रिस्क जब शेयर विपरीत दिशा में जाए | ITM/OTM ट्रांजिशन पर |
गामा | शेयर की कीमत | फायदा (तेज़ी से डेल्टा बढ़ता है) | नुकसान (अचानक रिस्क बढ़ता है) | ATM ऑप्शन्स में |
थीटा | समय बीतना | नुकसान (प्रीमियम घटता है) | फायदा (प्रीमियम डिके होता है) | एक्सपायरी के आखिरी हफ्ते |
वेगा | इम्प्लाइड वोलैटिलिटी | फायदा जब IV बढ़े | नुकसान जब IV बढ़े | लॉन्ग-टर्म ऑप्शन्स में |
🎯 रियल ट्रेडिंग में ग्रीक्स का यूज़: 3 गोल्डन स्ट्रैटेजीज़
थीटा हार्वेस्टिंग (क्रेडिट स्प्रेड)
- क्या करें: OTM कॉल + OTM पुट सेल करें (जैसे आयरन कंडोर)
- ग्रीक्स फायदा: थीटा आपके पक्ष में काम करेगा (प्रीमियम डिके होगा)
- रिस्क: वेगा और गामा से बचने के लिए IV कम होने पर करें
वोलैटिलिटी प्ले (लॉन्ग स्ट्रैडल)
- क्या करें: ATM कॉल + ATM पुट खरीदें
- ग्रीक्स फायदा: IV बढ़ने पर वेगा से फायदा, बड़ी मूव आने पर गामा से डेल्टा तेज़ी से बढ़ेगा
- टिप: इवेंट्स (रिजल्ट्स/बजट) से पहले IV कम हो तो एंट्री लें
डेल्टा-न्यूट्रल पोजीशन
- क्या करें: ऐसी पोजीशन जहाँ टोटल डेल्टा शून्य हो (जैसे लॉन्ग शॉर्ट कॉल रेश्यो)
- फायदा: शेयर प्राइस मूव से बचाव, गामा/थीटा पर फोकस कर सकते हैं
📝 प्रो टिप: Zerodha, Upstox जैसे प्लेटफॉर्म्स पर "ऑप्शन ग्रीक्स" कॉलम चालू करें। हर ट्रेड से पहले डेल्टा/थीटा/वेगा चेक करना आदत बनाएँ!
❓ऑप्शन ग्रीक्स पर अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. क्या ग्रीक्स हमेशा सही होते हैं?
नहीं! ये Black-Scholes जैसे मॉडल्स पर आधारित हैं। मार्केट सेंटीमेंट, गैप अप/डाउन या अचानक न्यूज़ से असर पड़ सकता है।
2. शुरुआती ट्रेडर्स कौन-से ग्रीक्स पर फोकस करें?
- पहले डेल्टा और थीटा समझें (सबसे ज़्यादा प्रभाव)
- फिर वेगा (खासकर इवेंट्स के समय)
- अंत में गामा (एडवांस्ड स्ट्रैटेजीज़ के लिए)
3. क्या थीटा कभी पॉजिटिव हो सकता है?
कभी नहीं! समय हमेशा आगे बढ़ता है, इसलिए थीटा हमेशा नेगेटिव रहता है।
4. ऑप्शन प्रीमियम पर सबसे ज़्यादा असर किसका होता है?
- शॉर्ट टर्म में: थीटा (टाइम डिके) + डेल्टा (प्राइस मूव)
- लॉन्ग टर्म में: वेगा (IV बदलाव) + गामा (डेल्टा का तेज़ बदलाव)
5. क्या ऑप्शन ग्रीक्स इंट्राडे में काम आते हैं?
बिल्कुल! इंट्राडे में गामा और डेल्टा सबसे ज़रूरी हैं – OTM ऑप्शन्स अचानक ITM हो सकते हैं!
यह भी पढ़ें:👉👉 Option Buyer vs Seller: असली पैसा कौन बनाता है?
📝 निष्कर्ष: ग्रीक्स आपका सुपरपावर बनें!
दोस्तों, ऑप्शन ग्रीक्स कोई "कम्प्लेक्स थ्योरी" नहीं, बल्कि आपके ट्रेड की "हियरिंग एड" हैं। जब आप इन्हें समझ लेते हैं, तो मार्केट की आवाज़ें साफ़ सुनाई देने लगती हैं!
शुरुआत में थोड़ा डर लगेगा – ये नॉर्मल है। मेरी सलाह है:
- पहले डेमो अकाउंट पर ग्रीक्स ऑब्ज़र्व करें
- छोटे पोजीशन साइज़ से शुरुआत करें
- हर ट्रेड के बाद ग्रीक्स का रिपोर्ट कार्ड बनाएँ