Win-Rate vs Risk Reward – सफल ट्रेडिंग का असली रहस्य जानें अभी

Hemant Saini
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परिचय: कन्फ्यूजन की जड़ 😵‍💫

शेयर बाजार में नए हो या पुराने, एक सवाल हर ट्रेडर को परेशान करता है: "क्या ज्यादा मायने रखता है – मेरे ट्रेड्स का विन रेट या फिर रिस्क रिवॉर्ड रेशियो?"

आपने सुना होगा कोई कहता है – "मेरा 80% ट्रेड प्रॉफिटेबल है!" 🎉 तो दूसरा बोलता है – *"मैं तो 1:3 रिस्क-रिवॉर्ड पर ट्रेड करता हूँ!"* 📈

दोनों नंबर्स अच्छे लगते हैं, पर सच्चाई ये है कि अकेला विन रेट या अकेला रिस्क रिवॉर्ड आपको सफल ट्रेडर नहीं बना सकता। असली मंत्र है इन दोनों का कॉम्बिनेशन समझना!

विन-रेट vs रिस्क रिवॉर्ड

चलिए, आज इसी कन्फ्यूजन को पूरी तरह साफ़ करते हैं – बिना जटिल टर्म्स के, सीधी हिंदी में। समझेंगे कि:

  • विन रेट असल में होता क्या है?
  • रिस्क रिवॉर्ड रेशियो क्यों है जानदार?
  • कैसे दोनों को मिलाकर अपनी स्ट्रैटेजी बनाएं?
  • और क्यों SEBI की गाइडलाइंस भी यहाँ मायने रखती हैं?

शुरू करते हैं! 🚀


विन रेट क्या है? समझें बेसिक्स ✅

सीधे शब्दों में: विन रेट (Win Rate) = आपके जीते हुए ट्रेड्स का प्रतिशत।

मान लीजिए आपने पिछले महीने 100 ट्रेड किए। इनमें से 60 ट्रेड प्रॉफिट में बंद हुए। तो आपका विन रेट है 60%।

विन रेट कैलकुलेट करने का फॉर्मूला 🧮

विन रेट (%) = (जीते हुए ट्रेड्स की संख्या / कुल ट्रेड्स) × 100

उदाहरण:

  • जीते ट्रेड्स = 45
  • कुल ट्रेड्स = 75
  • विन रेट = (45/75) × 100 = 60%

हाई विन रेट = जरूरी नहीं सफलता! 🚨

यहाँ सबसे बड़ा भ्रम ये है कि लोग सोचते हैं "जितना ज्यादा विन रेट, उतना बेहतर ट्रेडर!" – लेकिन ये पूरी सच्चाई नहीं है!

क्यों? 🤔
क्योंकि विन रेट सिर्फ जीत की संख्या बताता है, न कि कितना कमाया या गंवाया

मान लें दो ट्रेडर:

  1. राजू: विन रेट 70% (7 में से 7 ट्रेड जीते), पर हर जीत पर सिर्फ ₹500 कमाता है। 1 हार पर ₹3000 गंवाता है।
  2. प्रिया: विन रेट 40% (10 में से 4 जीते), पर हर जीत पर ₹2000 कमाती है। हार पर सिर्फ ₹500 रिस्क लेती है।

कैलकुलेशन:

  • राजू का नेट प्रॉफिट: (7 * ₹500) - (3 * ₹3000) = ₹3,500 - ₹9,000 = -₹5,500 (लॉस) 😱
  • प्रिया का नेट प्रॉफिट: (4 * ₹2000) - (6 * ₹500) = ₹8,000 - ₹3,000 = +₹5,000 (प्रॉफिट) 💰

सीख: विन रेट अकेला कुछ नहीं बताता। प्रिया का विन रेट कम था फिर भी वो प्रॉफिट में है!


रिस्क रिवॉर्ड रेशियो (RRR) – दमदार हथियार ⚖️🔍

अगर विन रेट "कितनी बार जीता" बताता है, तो रिस्क रिवॉर्ड रेशियो (RRR) बताता है "जीतने या हारने पर कितना कमाया/गंवाया"।

सरल भाषा में:

  • रिस्क (Risk) = एक ट्रेड में आप कितना पैसा गंवाने को तैयार हैं? (Stop Loss तक)
  • रिवॉर्ड (Reward) = आप उस ट्रेड से कितना कमाने की उम्मीद करते हैं? (Target तक)
  • रिस्क रिवॉर्ड रेशियो (RRR) = रिवॉर्ड ÷ रिस्क

RRR कैलकुलेशन – उदाहरण से समझें 📝

मान लें आप Nifty के एक ट्रेड में:

  • खरीदारी (Buy): 22,000 पर
  • स्टॉप लॉस (Stop Loss): 21,900 (रिस्क = 100 पॉइंट्स)
  • टार्गेट (Target): 22,300 (रिवॉर्ड = 300 पॉइंट्स)

तो,
RRR = रिवॉर्ड / रिस्क = 300 / 100 = 3
इसे 1:3 के रूप में भी लिखते हैं। मतलब हर 1 रुपए के रिस्क पर 3 रुपए कमाने का चांस।

RRR क्यों है जरूरी? सोने की चाबी 🗝️

  1. लॉस को कंट्रोल करता है: RRR आपको पहले से तय करने को मजबूर करता है कि "इस ट्रेड में मैं कितना गंवा सकता हूँ?"
  2. प्रॉफिटेबिलिटी का दारोमदार: अगर आपका RRR 1:2 या उससे बेहतर है, तो कम विन रेट पर भी आप प्रॉफिट में रह सकते हैं (जैसा प्रिया के उदाहरण में देखा)।
  3. भावनाओं पर कंट्रोल: SL और टार्गेट पहले से तय होने से FOMO या ग्रीड कम होता है।

SEBI गाइडलाइंस लिंक: SEBI निवेशकों को रिस्क मैनेजमेंट पर जागरूक करती है। SEBI's Investor Education Page पर जाकर रिस्क के बारे में और पढ़ें।


विन रेट बनाम रिस्क रिवॉर्ड – असली जंग कहाँ है? ⚔️

अब आता है सबसे जरूरी सवाल: "किस पर फोकस करूँ? विन रेट या RRR?"

जवाब है: दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं! इन्हें अलग-अलग नहीं, साथ में देखना होगा।

केस 1 - हाई विन रेट, लेकिन पूरा पैसा डूबा! 😭

ऐसा तब होता है जब:

  • आपका RRR बहुत खराब हो (जैसे 1:0.5)।
  • आप छोटे प्रॉफिट के लिए तो बहुत सारे ट्रेड जीत जाते हैं।
  • लेकिन एक-आध बड़ी हार (जहाँ SL बड़ा था या लगाया ही नहीं!) सारा प्रॉफिट उड़ा देती है।

क्यों होता है ऐसा?

  • टार्गेट जल्दी बुक कर लेना (छोटे प्रॉफिट के लालच में)।
  • स्टॉप लॉस न लगाना या उसे इग्नोर करना।
  • "हारने वाले ट्रेड" को होप में लंबा खींचते रहना।

केस 2 - लो विन रेट, मगर मोटा प्रॉफिट! 🚀

ऐसा तब होता है जब:

  • आपका RRR बहुत अच्छा हो (जैसे 1:3 या उससे ऊपर)।
  • आप कई ट्रेड हार भी जाते हैं।
  • मगर जो 2-4 ट्रेड जीतते हैं, उनसे इतना कमा लेते हैं कि सारे लॉस कवर हो जाते हैं + अच्छा प्रॉफिट रहता है।

कैसे संभव है?

  • हर ट्रेड में रिस्क को सख्ती से लिमिट करना (छोटा SL)।
  • प्रॉफिट को बढ़ने देना (Letting profits run)।
  • सिर्फ हाई कॉन्विक्शन वाले सेटअप्स पर ट्रेड लेना।


दोनों को बैलेंस करने का जबरदस्त फॉर्मूला 🧩

असली मास्टर ट्रेडर वो होता है जो विन रेट और RRR को कॉम्बिनेशन में यूज करके अपनी "एक्सपेक्टेंसी" (Expectancy) कैलकुलेट करता है।

एक्सपेक्टेंसी – सफलता का गणित 🔢

ये फॉर्मूला बताता है कि औसतन आप हर ₹1 के रिस्क पर कितना कमा सकते हैं।

एक्सपेक्टेंसी = (विन रेट × औसत रिवॉर्ड) - (लॉस रेट × औसत रिस्क)

चलिए एक उदाहरण से समझते हैं:

  • आपका विन रेट = 50% (मतलब लॉस रेट भी 50%)
  • औसतन जीतने पर कमाते हैं: ₹3000 (रिवॉर्ड)
  • औसतन हारने पर गंवाते हैं: ₹1000 (रिस्क)

तो,
एक्सपेक्टेंसी = (0.50 * ₹3000) - (0.50 * ₹1000) = ₹1500 - ₹500 = ₹1000

मतलब, हर ₹1 के रिस्क पर आप ₹1 कमाने की उम्मीद कर सकते हैं! (क्योंकि ₹1000 प्रति ट्रेड, जहाँ रिस्क था ₹1000)।

प्रैक्टिकल उदाहरण – टेबल से समझें 📊

कंडीशनविन रेटऔसत रिवॉर्डऔसत रिस्कएक्सपेक्टेंसीनतीजा
केस A60%₹500₹1000(0.6x500)=₹300
(0.4x1000)=₹400
₹300 - ₹400 = -₹100
नेट लॉस 😞
केस B (आदर्श)40%₹2000₹500(0.4x2000)=₹800
(0.6x500)=₹300
₹800 - ₹300 = +₹500
मोटा प्रॉफिट 💰
केस C30%₹4000₹1000(0.3x4000)=₹1200
(0.7x1000)=₹700
₹1200 - ₹700 = +₹500
प्रॉफिट 👍

सीख:

  • केस A में विन रेट ऊँचा (60%) फिर भी नेट लॉस क्यों? क्योंकि RRR खराब था (₹500 रिवॉर्ड vs ₹1000 रिस्क = RRR सिर्फ 1:0.5)।
  • केस B और C में विन रेट कम (40% और 30%) फिर भी प्रॉफिट क्यों? क्योंकि RRR शानदार था (क्रमशः 1:4 और 1:4)।

निष्कर्ष: अपनी ट्रेडिंग स्ट्रैटेजी बनाते समय दोनों को ऑप्टिमाइज करने पर ध्यान दें!


अपने ट्रेडिंग स्टाइल के हिसाब से कैसे सेट करें? 🛠️

हर ट्रेडर का स्टाइल अलग होता है। आपकी पर्सनैलिटी के हिसाब से विन रेट और RRR का बैलेंस बदल सकता है:

स्कैल्पर्स (Scalpers):

  • बहुत सारे छोटे-छोटे ट्रेड (दिन में 10-20+).
  • फोकस: हाई विन रेट (60-80%+) चाहिए।
  • RRR: 1:1 या 1:0.75 भी चल सकता है, बशर्ते विन रेट बहुत ऊँचा हो।
  • कुंजी: सटीक एंट्री, टाइट स्टॉप लॉस, क्विक एक्शन।

स्विंग ट्रेडर्स (Swing Traders):

  • ट्रेड 2-5 दिनों के लिए.
  • फोकस: बैलेंस्ड विन रेट (40-60%)।
  • RRR: 1:2 या बेहतर जरूरी है।
  • कुंजी: क्वालिटी सेटअप्स का इंतजार करना, प्रॉफिट को रन करने देना।

पोजिशनल ट्रेडर्स (Positional):

  • हफ्तों/महीनों के लिए ट्रेड।
  • फोकस: विन रेट कम भी चलेगा (30-50%), लेकिन...
  • RRR: बहुत हाई चाहिए (1:3, 1:5 या उससे ऊपर)।
  • कुंजी: बड़े ट्रेंड्स पकड़ना, बड़े टार्गेट्स।

SEBI गाइडलाइंस रिमाइंडर: किसी भी स्टाइल में ट्रेड करें, गारंटीड रिटर्न्स का वादा करने वालों से सावधान रहें। SEBI ने ऐसे फ्रॉड्स के खिलाफ चेतावनी जारी की है।


यह भी पढ़ें: 👉👉 ऐसे बनाएं ट्रेडिंग को एक प्रोफेशनल बिजनेस 


सफल ट्रेडर्स की 5 गोल्डन आदतें 🏆

  1. पहले रिस्क तय करो, बाद में एंट्री: कभी भी ट्रेड में एंटर मत करो जब तक SL और टार्गेट क्लियर न हो।
  2. जर्नल बनाओ रोज: हर ट्रेड का रिकॉर्ड रखो – एंट्री, एग्जिट, वजह, इमोशंस। ये आपका सबसे बड़ा गुरु बनेगा।
  3. RRR का कड़ाई से पालन: अगर स्ट्रैटेजी में 1:3 RRR है, तो 1:2 या 1:1 पर टार्गेट बुक न करें। अनुशासन बनाए रखें।
  4. विन रेट की बजाय "एक्सपेक्टेंसी" ट्रैक करो: महीने के अंत में देखें कि आपका एक्सपेक्टेंसी फॉर्मूला क्या कहता है।
  5. रिस्क पर कैप लगाओ: किसी एक ट्रेड में कैपिटल का 1-2% से ज्यादा रिस्क न लें। पूरी पूंजी कभी दांव पर मत लगाओ।


SEBI गाइडलाइंस का महत्व – कानूनी और सुरक्षित ट्रेडिंग 🛡️

ट्रेडिंग में सफल होने के लिए सिर्फ मैथ और साइकोलॉजी ही नहीं, नियमों का पालन भी जरूरी है। SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) निवेशकों की सुरक्षा के लिए गाइडलाइंस जारी करता है:

  1. रेगुलेटेड ब्रोकर्स ही यूज करें: किसी अनरेगुलेटेड प्लेटफॉर्म/एप पर ट्रेड न करें। SEBI की वेबसाइट पर ब्रोकर की वैधता चेक करें। SEBI Broker Check
  2. टिप्स/कॉल्स पर भरोसा न करें: SEBI के अनुसार, गारंटीड प्रॉफिट या "सुरा" टिप्स देना गैरकानूनी है।
  3. रिस्क डिस्क्लोजर समझें: हर ब्रोकरेज अकाउंट खोलते समय आपको रिस्क डिस्क्लोजर दस्तावेज पर साइन करना होता है। इसे ध्यान से पढ़ें।
  4. डेटा सुरक्षा: अपना ट्रेडिंग अकाउंट लॉगिन किसी के साथ शेयर न करें।

याद रखें: सफल ट्रेडिंग का पहला स्टेप है – कानूनी रूप से और जिम्मेदारी से ट्रेड करना।


निष्कर्ष: कन्फ्यूजन को अलविदा कहें! 🎯

तो दोस्तों, अब आप समझ गए होंगे कि विन रेट और रिस्क रिवॉर्ड रेशियो दोनों ही जरूरी हैं, पर अकेले नहीं।

  • विन रेट आपको बताता है कि आप "कितनी बार" सही हैं।
  • रिस्क रिवॉर्ड रेशियो बताता है कि आपकी "सही और गलत" की क्वालिटी क्या है।
  • असली सफलता छिपी है एक्सपेक्टेंसी में – यानी दोनों को मिलाकर औसत प्रदर्शन क्या है।

अपनी ट्रेडिंग में इन स्टेप्स को फॉलो करें:

  1. हर ट्रेड से पहले SL और टार्गेट क्लियर तय करें।
  2. RRR कम से कम 1:2 रखें। 1:3 या बेहतर हो तो गजब!
  3. अपनी स्ट्रैटेजी के हिसाब से विन रेट और RRR का बैलेंस ढूंढें।
  4. ट्रेडिंग जर्नल बनाए रखें और महीने के अंत में एक्सपेक्टेंसी कैलकुलेट करें।
  5. SEBI गाइडलाइंस का हमेशा पालन करें।

याद रखें: शेयर बाजार कोई जुआ नहीं, स्किल है। धैर्य रखें, अनुशासन में रहें, और कन्फ्यूजन को दूर भगाएं! आप जरूर सफल होंगे। 🙏💪


FAQs: सवाल-जवाब ❓

Q1: क्या 90% विन रेट के साथ भी लॉस हो सकता है?
जी हाँ! अगर आपकी हारने वाली 10% ट्रेड्स में नुकसान बहुत बड़ा है (खराब RRR), तो सारा प्रॉफिट उड़ सकता है।

Q2: इंट्राडे के लिए कौन सा RRR ठीक रहेगा?
इंट्राडे में वोलैटिलिटी ज्यादा होती है। कम से कम 1:1.5 RRR टार्गेट करें। अगर मार्केट सपोर्ट करे तो 1:2 भी अच्छा है।

Q3: मेरा विन रेट सिर्फ 35% है। क्या मैं प्रॉफिटेबल बन सकता हूँ?
बिल्कुल! अगर आपका RRR 1:3 या बेहतर है (यानी हर जीत पर हार से तीन गुना कमाते हैं), तो 35% विन रेट पर भी आप प्रॉफिट में रहेंगे।

Q4: क्या हर ट्रेड में RRR फिक्स रखना जरूरी है?
जरूरी नहीं, लेकिन बेहतर है। मार्केट कंडीशन के हिसाब से थोड़ा एडजस्ट कर सकते हैं, पर कोई सिस्टम जरूर होना चाहिए।

Q5: SEBI ट्रेडर्स के लिए क्या हेल्प करती है?
SEBI निवेशकों को शिक्षित करती है, फ्रॉड से बचाती है, और मार्केट को फेयर बनाए रखती है। उनकी वेबसाइट पर फ्री एजुकेशनल रिसोर्सेज मौजूद हैं।

Disclaimer: यह लेख शिक्षा के उद्देश्य से है। ट्रेडिंग में रिस्क होता है। किसी भी स्ट्रैटेजी को अपनाने से पहले अपना रिस्क एनालिसिस जरूर करें। पास्ट परफॉर्मेंस भविष्य के रिजल्ट्स की गारंटी नहीं है।


आपका ट्रेडिंग सफर शानदार और प्रॉफिटेबल हो! 🌟

लेखक: हेमंत सैनी (Hemant Saini)

हेमंत सैनी एक SEBI Guidelines, IPO Research और Trading Psychology में विशेषज्ञ हैं।
🧠 पिछले 5+ सालों से शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
💬 Har Ghar Trader के माध्यम से, उद्देश्य है – भारत के हर घर तक सुरक्षित और समझदारी से निवेश की जानकारी पहुंचाना।

✉️ Contact: iamhsaini@gmail.com
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⚠️ अस्वीकरण (Disclaimer): यह जानकारी केवल शिक्षा और रिसर्च उद्देश्यों के लिए है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। SEBI Registered Advisor की सलाह लेना हमेशा बेहतर है।

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