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Valuation Trap क्या है? Value Investing में Investor की बड़ी गलती
नमस्ते दोस्तों! 👋
शेयर बाजार में निवेश करने वाले ज्यादातर लोगों का सपना होता है एक 'सस्ता' और 'अंडरवैल्यूड' शेयर ढूंढना, उसमें पैसा लगाना और फिर उसके महंगे होने का इंतज़ार करना। यही तो वैल्यू इन्वेस्टिंग (Value Investing) का मूल मंत्र है, जिसे महान निवेशकों जैसे वॉरेन बफेट (Warren Buffett) और बेंजामिन ग्राहम (Benjamin Graham) ने दुनिया के सामने रखा।
पर क्या आपने कभी सोचा है कि कई बार जो शेयर 'सस्ते' दिखते हैं, वो असल में एक जाल (Trap) होते हैं? 🤔
जी हाँ! ऐसा शेयर जो numbers के हिसाब से बहुत सस्ता लगे, लेकिन असल में वो हमेशा के लिए सस्ता ही बना रहे, या और भी सस्ता हो जाए... इसे ही "Valuation Trap" या "मूल्यांकन जाल" कहते हैं।
आज के इस लेख में, हम इसी Valuation Trap के बारे में गहराई से जानेंगे। हम समझेंगे कि यह जाल क्या है, यह कैसे काम करता है, और सबसे महत्वपूर्ण बात - कैसे एक समझदार Value Investor बनकर हम इस जाल में फंसने से बच सकते हैं। चलिए, शुरू करते हैं!
Valuation Trap क्या है? सरल भाषा में समझिए
बहुत ही सरल शब्दों में कहें तो, "Valuation Trap वह स्थिति है जहाँ एक कंपनी का शेयर traditional valuation metrics (जैसे P/E Ratio, P/B Ratio, आदि) की नज़र से बहुत सस्ता लगता है, लेकिन वह सस्ता इसलिए है क्योंकि उस कंपनी की business quality, growth prospects, या industry की स्थिति खराब है।"
इस जाल में फंसा निवेशक सोचता है कि उसने एक "सस्ता सौदा" किया है, लेकिन समय के साथ यह शेयर या तो और नीचे जाता है या फिर बहुत लंबे समय तक sideways चलता रहता है, जिससे निवेशक का पैसा बेकार पड़ा रहता है। 💸
एक Real-Life Example लेते हैं:
मान लीजिए आप बाजार में एक पुरानी, famous कंपनी 'X' का शेयर देखते हैं। उसका P/E Ratio (Price-to-Earning Ratio) बहुत low है, मान लीजिए 5 या 6। बाकी कंपनियों का P/E Ratio 20-25 है। आपके दिमाग में तुरंत ख्याल आता है - "वाह! कितना सस्ता शेयर है! यहाँ तो मौका है मुनाफा कमाने का।" ✨
लेकिन, जब आप गहराई से research करते हैं, तो पता चलता है कि:
- कंपनी का business outdated हो चुका है।
- नई technology ने उसके product की demand खत्म कर दी है।
- कंपनी लगातार loss में जा रही है और उस पर कर्ज का बोझ बहुत ज्यादा है।
- management कोई नया plan नहीं ला रही है।
यहाँ, low P/E Ratio कंपनी की strength नहीं, बल्कि उसकी कमजोरी दिखा रहा है। यही एक क्लासिक Valuation Trap है। जो शेयर सस्ता दिख रहा था, वह वास्तव में एक Value Trap (मूल्य जाल) था।
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सार: Valuation Trap एक ऐसा भ्रम है जहाँ Numbers आपको लुभाते हैं, लेकिन Business की Reality आपको नुकसान पहुँचाती है।
Valuation Trap के पीछे का मनोविज्ञान: हम क्यों फंसते हैं?
इंसान का दिमाग "सस्ते" में "अच्छा" खोजने के लिए बना है। 🧠 यही psychology हमें Valuation Trap में फंसाती है। आइए, उन mental errors को समझते हैं जो हमसे यह गलती करवाते हैं।
1. Anchoring Bias (एंकरिंग प्रभाव)
हमारा दिमाग किसी एक number या price point से चिपक जाता है। जैसे, अगर किसी शेयर का भाव 6 महीने पहले ₹500 था और अब वह ₹250 है, तो हम सोचते हैं, "वाह! ₹500 के मुकाबले आधे दाम पर मिल रहा है।" हम यह भूल जाते हैं कि शेयर का भाव उसकी future earnings पर निर्भर करता है, past price पर नहीं। हम ₹500 "anchor" से खुद को जोड़ लेते हैं।
2. Confirmation Bias (पुष्टिकरण पूर्वाग्रह)
एक बार जब हमें लगने लगता है कि कोई शेयर सस्ता है, तो हम ऐसी हर खबर और analysis को ignore करने लगते हैं जो उस कंपनी के बारे में negative हो। हम सिर्फ वही पढ़ते और याद रखते हैं जो हमारी belief को support करता हो। अगर कोई expert उस शेयर के बारे में चेतावनी दे भी दे, तो हम सोचते हैं, "उन्हें क्या पता, मैंने तो deep research किया है।"
3. Herd Mentality (झुंड मानसिकता)
अगर बहुत से लोग, खासकर social media पर, किसी सस्ते दिखने वाले शेयर के बारे में बात कर रहे हैं, तो हम भी उसे खरीदने के लिए tempted हो जाते हैं। हमें डर लगता है कि कहीं हम "मौका" न चूक जाएं। इस herd behavior के कारण हम proper analysis किए बिना ही निवेश कर बैठते हैं।
4. Overconfidence (अति आत्मविश्वास)
Value Investing सीखने के बाद निवेशकों में एक अलग तरह का आत्मविश्वास आ जाता है। उन्हें लगता है कि वे बाजार की भीड़ से अलग हैं और सिर्फ वे ही "असली सस्ते शेयर" को पहचान सकते हैं। यह overconfidence ही उन्हें trap की तरफ धकेल देता है।
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5. Fear of Missing Out (FOMO - मौका चूने का डर)
यह herd mentality का ही एक part है। जब कोई शेयर तेजी से नीचे आता है और low valuation पर पहुँच जाता है, तो FOMO होता है कि अगर अब नहीं खरीदा तो शायद यह दोबारा इतना सस्ता न मिले। इस डर के कारण लोग जल्दबाजी में decision ले लेते हैं।
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सार: Valuation Trap सिर्फ numbers का game नहीं है, यह हमारे दिमाग का game है। इस जाल से बचने के लिए सबसे पहले अपनी सोच और emotions पर कंट्रोल करना जरूरी है।
Valuation Trap के प्रमुख प्रकार और उदाहरण
Valuation Trap सिर्फ एक तरह का नहीं होता। यह कई अलग-अलग रूप लेकर आता है। इन्हें पहचानना बहुत जरूरी है।
1. The Cyclical Trap (चक्रीय व्यवसाय का जाल)
क्या है: कुछ businesses ऐसे होते हैं जो economic cycles के साथ चलते हैं। जैसे - सीमेंट, स्टील, ऑटोमोबाइल, real estate आदि। अच्छे economic time में इनकी earnings बहुत high होती हैं, जिससे उनका P/E Ratio low दिखता है। लेकिन जैसे ही economic cycle नीचे आता है, earnings गिर जाती हैं और P/E Ratio बढ़ जाता है, भले ही share price वही का वही हो।
उदाहरण: मान लीजिए, एक स्टील कंपनी का शेयर अच्छे समय में ₹100 है और EPS (Earning Per Share) ₹20 है। तो P/E Ratio 5 होगा, जो बहुत low लगेगा। अगर आपने इसे सस्ता समझकर खरीद लिया, और फिर economic slowdown आ गया। अगले साल EPS घटकर ₹5 रह गया, तो भले ही शेयर ₹80 पर आया हो, P/E Ratio 16 हो जाएगा। आपका "सस्ता" शेयर अब "महंगा" हो गया और price fall हो सकता है।
2. The Value Destruction Trap (मूल्य नष्ट करने वाला जाल)
क्या है: यह सबसे खतरनाक trap है। इसमें कंपनी का business model ही टूट चुका होता है। कंपनी लगातार अपना market share, profitability और brand value खो रही होती है। ऐसी कंपनियों का book value या asset value भी high हो सकता है, लेकिन वे assets अब कोई value create नहीं कर पा रहे होते।
उदाहरण: पुराने cassette, CD player बनाने वाली कंपनियाँ। जब smartphones और streaming services आईं, तो इन कंपनियों का business model ही obsolete (अप्रचलित) हो गया। भले ही उनकी factory, machine (assets) की value balance sheet पर दिखती, लेकिन वे future में profits नहीं बना पा रही थीं। ऐसे शेयर सस्ते दिखकर भी निवेशकों का पैसा डूबा देते हैं।
3. The High-Debt Trap (उच्च कर्ज़ का जाल)
क्या है: कई बार कंपनी का P/E Ratio low इसलिए होता है क्योंकि उस पर बहुत ज्यादा कर्ज (debt) होता है। कंपनी की सारी कमाई ब्याज (interest) चुकाने में ही चली जाती है। थोड़ी सी भी मंदी आई या interest rate बढ़े, तो कंपनी debt repay नहीं कर पाती और दिवालिया होने के कगार पर पहुँच जाती है।
उदाहरण: कई infrastructure और power companies इस trap का शिकार हुई हैं। उन्होंने projects शुरू करने के लिए बहुत ज्यादा loan लिया, लेकिन projects delay होने या demand कम होने की वजह से expected profits नहीं मिल पाए। नतीजा? शेयर की price लगातार गिरती चली गई, भले ही valuation cheap लग रहा था।
4. The Low-Growth Trap (कम वृद्धि वाला जाल)
क्या है: कुछ कंपनियाँ "value stocks" इसलिए बन जाती हैं क्योंकि उनकी growth रुक चुकी होती है। वे एक mature industry में operate कर रही होती हैं, जहाँ नई growth के मौके बहुत कम हैं। ऐसी कंपनियाँ stable profits तो दे सकती हैं, लेकिन उनके शेयर की price में long-term appreciation की उम्मीद कम होती है। आपका पैसा वहाँ years तक पड़ा रह सकता है बिना किसी significant return के।
उदाहरण: कुछ traditional PSU (Public Sector Undertaking) banks very old manufacturing companies। उनका P/E और P/B low रहता है, लेकिन उनकी growth भी बहुत slow होती है।
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सार: हर low valuation के पीछे का कारण अलग हो सकता है। यह जानना जरूरी है कि आप जिस सस्ते शेयर को देख रहे हैं, वह किस category का trap है।
कैसे पहचानें एक Valuation Trap? 10 चेतावनी संकेत
अब सबसे important question: उस जाल को आखिर पहचाना कैसे जाए? नीचे दिए गए 10 लक्षण आपको Valuation Trap की पहचान करने में मदद करेंगे। 🔍
1. लगातार गिरती हुई Revenue और Earnings
कंपनी की sales (revenue) और profit (earnings) लगातार 2-3 साल से falling trend में हैं। सिर्फ एक साल की गिरावट को ignore किया जा सकता है, लेकिन consistent decline एक बड़ी red flag है।
2. उद्योग की स्थिति खराब होना
कंपनी अकेले मुसीबत में नहीं है, बल्कि पूरा industry ही संकट में है। जैसे, जब online streaming आई, तो entire cable TV industry पर मुसीबत आ गई। अगर पूरा sector ही downhill जा रहा है, तो उसकी सबसे सस्ती कंपनी भी एक trap हो सकती है।
3. बहुत ज्यादा कर्ज (High Debt)
कंपनी पर उसकी earning capability के हिसाब से बहुत ज्यादा कर्ज है। Debt-to-Equity Ratio 1 से ज्यादा हो और Interest Coverage Ratio 2 से कम हो, तो सावधान हो जाएँ। (Interest Coverage Ratio = Operating Profit / Interest Expense)।
4. Negative Free Cash Flow (FCF)
कंपनी accounting profit तो दिखा रही है, लेकिन उसके पास actual cash नहीं आ रहा। Negative free cash flow का मतलब है कंपनी के operations से cash inflow, cash outflow से कम है। यह business के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
5. Management पर भरोसा न हो
Management ईमानदार नहीं है या उनकी capability पर सवाल उठ रहे हैं। वे promoter लगातार अपने shares market में बेच रहे हैं (promoter pledging या selling), company के future plans के बारे में clear नहीं हैं, या फिर corporate governance issues हैं।
6. Dividend Cut या Stop
कंपनी लगातार dividend देती आ रही थी, लेकिन अचानक उसने dividend देना कम कर दिया या बंद कर दिया। इसका मतलब है कि कंपनी के पास cash flow की problem है।
7. Low Return on Equity (ROE) और Return on Capital Employed (ROCE)
कंपनी का ROE और ROCE लगातार 10% से कम है या फिर गिर रहा है। इसका मतलब है कि कंपनी अपने shareholders के पैसे या business में लगे capital पर अच्छा return नहीं कमा पा रही।
8. पुराना Business Model
कंपनी का business model नई technology और changing customer habits के साथ adjust नहीं कर पा रहा। कंपनी innovation में invest नहीं कर रही।
9. Asset Quality पर सवाल
कंपनी की balance sheet में दिख रहे assets (जैसे inventory, machinery) की actual market value बहुत कम है, या वे assets obsolete हो चुके हैं।
10. High Promoter Pledge
कंपनी के promoters ने अपने shares banks से loan लेने के लिए गिरवी (pledge) रखे हुए हैं। अगर pledge की गई percentage बहुत high है (मान लीजिए 50% से ज्यादा), तो risk बढ़ जाता है। अगर share price गिरती है, तो banks those shares sell कर सकती हैं, जिससे price और भी गिरेगी।
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सार: इन 10 points को checklist की तरह use करें। कोई भी शेयर खरीदने से पहले इनपर एक नजर जरूर डालें। अगर 3-4 points भी match हो रहे हैं, तो हो सकता है आप एक Valuation Trap देख रहे हैं।
Valuation Trap से बचने के 5 जबरदस्त उपाय
पहचानने के बाद, अब जानते हैं कि इस जाल में फंसने से कैसे बचा जाए। ये 5 powerful strategies आपकी मदद करेंगी।
1. Quality over Quantity (क्वालिटी पर ध्यान दें, क्वांटिटी पर नहीं)
सबसे पहला और जरूरी rule। एक अच्छी quality की कंपनी, जिसका business strong है, brand power है, management अच्छी है, और balance sheet clean है, थोड़े expensive valuation पर भी खरीदना, एक सस्ती लेकिन खराब कंपनी से कहीं बेहतर है। "It's better to buy a wonderful company at a fair price than a fair company at a wonderful price." - यह Warren Buffett का golden rule है।
2. Deep Fundamental Analysis (गहन मौलिक विश्लेषण)
सिर्फ P/E Ratio, P/B Ratio देखकर शेयर न खरीदें। पूरी company का deep analysis करें।
- Business Model: कंपनी पैसा कैसे कमाती है? क्या यह business model future में भी relevant रहेगा?
- Industry Analysis: इस industry का future क्या है? Growth के क्या chances हैं?
- Management: Management capable और honest है? उनका track record कैसा है?
- Financials: कम से कम 5-7 साल का financial data देखें - Revenue, Profit, Debt, Cash Flow, ROE, ROCE का trend क्या है?
- Competitive Advantage (Moats): कंपनी का competition पर क्या advantage है? क्या कोई दूसरी कंपनी आसानी से उसकी जगह ले सकती है?
3. Margin of Safety (सुरक्षा का अंतर)
Benjamin Graham के इस concept का मतलब है, किसी भी asset को उसकी intrinsic value से काफी कम price पर खरीदना। अगर आपने calculate करके किसी शेयर की intrinsic value ₹100 निकाली है, तो उसे सिर्फ ₹70 या ₹80 पर ही खरीदें। ऐसा करने से अगर आपसे intrinsic value calculate करने में थोड़ी गलती भी हो जाए, या market condition खराब हो, तो भी आप safe रहेंगे। Valuation Trap में अक्सर margin of safety का concept गायब होता है।
4. Avoid Herd Mentality (भीड़ की मानसिकता से दूर रहें)
जो शेयर TV, newspaper या social media पर सबकी जुबान पर है, उसमें invest करने से पहले 10 बार सोचें। Independent research करें। दूसरों की बातों में आकर decision न लें। एक successful investor वही होता है जो भीड़ के opposite direction में सोचता है, लेकिन सही reasoning के साथ।
5. Patience and Long-Term View (धैर्य और दीर्घकालिक नजरिया)
Value Investing एक quick-rich scheme नहीं है। इसमें patience की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। अगर आपने सही कंपनी chosen है, लेकिन short-term में उसका price नहीं बढ़ रहा, तो घबराकर shares न बेचें। long-term (5-10 साल) के लिए invest करें। market एक दिन आपकी कंपनी की true value को पहचानेगा ही।
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सार: Valuation Trap से बचना है तो deep research करें, quality companies choose करें, margin of safety रखें, भीड़ से अलग सोचें और patient बनें।
Real-World Case Studies: भारतीय शेयर बाजार से उदाहरण
Theory समझने के बाद, अब भारतीय stock market के कुछ real examples देखते हैं। (नोट: यह सिर्फ शिक्षण के उद्देश्य के लिए है, निवेश की सलाह नहीं)।
Case Study 1: The Infrastructure Meltdown (2008-2013 के आसपास)
2000 के दशक में infrastructure companies like GMR, Lanco, JP Associates etc. का बहुत बोलबाला था। growth story बहुत strong थी। लेकिन, उन्होंने aggressive expansion के लिए बहुत ज्यादा debt ले लिया। जब economic cycle पलटा और projects delay होने लगे, तो उनकी cash flow problems शुरू हो गई।
Valuation Trap: इन कंपनियों के शेयरों की prices 80-90% गिर गई। उनका P/E Ratio और P/B Ratio बहुत low हो गया। निवेशकों ने सोचा, "यह तो rock-bottom price है, यहाँ से recovery होगी।" लेकिन, high debt और broken business model के कारण कई कंपनियाँ almost bankrupt हो गईं। जो investors सस्ता समझकर फंसे, उन्हें massive losses उठाने पड़े। यह एक classic High-Debt Trap था।
Case Study 2: The PSU Bank Dilemma (कई सालों तक)
कई PSU Banks लंबे समय तक low P/E और low P/B पर trade करती रहीं। वे "सस्ते" लगते थे।
Valuation Trap क्यों? पीछे का कारण था उनकी high NPAs (Non-Performing Assets यानी bad loans)। उनकी balance sheet weak थी। growth prospects limited थे क्योंकि private banks उनसे market share छीन रहे थे। government के interference के कारण operational flexibility भी कम थी। इसलिए, भले ही valuation numbers cheap दिखे, लेकिन वे long time तक underperform करती रहीं। यह एक combination था Low-Growth Trap और Value Destruction Trap का।
Case Study 3: The Telecom Shake-Up (2016 onwards)
जब Reliance Jio ने market में entry की, तो entire telecom industry में price war शुरू हो गया। पुरानी established companies like Vodafone Idea का revenue और profit बहुत गिर गया। उनका शेयर price 90% से भी ज्यादा गिर गया, valuation extremely cheap हो गया।
Valuation Trap क्यों? Industry का structure ही बदल गया था। Vodafone Idea पर immense debt का burden था और losses की वजह से उसकी survival की question थी। cheap valuation के बावजूद, business model टूट चुका था। जो investors "सस्ता" समझकर फंसे, उन्हें huge losses झेलने पड़े। यह एक Value Destruction Trap था।
सार: इतिहास खुद को दोहराता है। पहले हुए mistakes से सीखें। हमेशा यह पूछें, "यह शेयर सस्ता क्यों है?" अगर जवाब business की fundamental weaknesses हैं, तो उसे छोड़ दें।
निष्कर्ष: एक सच्चे Value Investor की यात्रा
दोस्तों, Value Investing की राह आसान नहीं है। इसमें discipline, patience और deep understanding की जरूरत होती है। Valuation Trap इस राह का सबसे बड़ा और खतरनाक मोड़ है, जहाँ से होकर शायद हर investor गुजरता है। 🌄
कुछ key takeaways:
- Numbers से आगे देखें: सिर्फ P/E, P/B Ratio पर भरोसा न करें। उससे भी ज्यादा important है business की quality।
- "क्यों" पूछने की आदत डालें: कोई शेयर सस्ता है, तो उसका reason जानें। अगर reason negative है, तो avoid करें।
- Circle of Competence में रहें: उन्हीं industries में invest करें जिन्हें आप अच्छे से समझते हैं। unknown areas में जाकर trap में फंसने की probability ज्यादा होती है।
- Continuous Learning: Stock market always changing रहता है। नई technologies, new business models आते रहते हैं। अपने knowledge को हमेशा update करते रहें।
याद रखिए, stock market में पैसा कमाना है तो सबसे पहले नुकसान से बचना सीखें। Valuation Trap से बचकर आप अपने portfolio को massive losses से बचा सकते हैं। एक successful investor बनने की journey में यह एक very important step है।
शुभ निवेश! 👍
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
1. क्या Low P/E Ratio हमेशा Valuation Trap का संकेत होता है?
जवाब: नहीं, जरूरी नहीं। Low P/E Ratio किसी strong company के temporary bad phase की वजह से भी हो सकता है, जो एक opportunity हो सकती है। Trap तब होता है जब low P/E के पीछे business की fundamental weaknesses हों।
2. क्या Valuation Trap में फंसा शेयर कभी recover करता है?
जवाब: कभी-कभी, अगर कंपनी अपने business model को successfully turnaround कर ले, debt reduce कर ले, या industry conditions improve हो जाएँ, तो recovery हो सकती है। लेकिन, ऐसा होना rare है और इसमें बहुत लंबा time (5-10 साल) लग सकता है।
3. Value Investing में कौन सी valuation ratios सबसे जरूरी हैं?
जवाब: कोई एक ratio काफी नहीं है। P/E Ratio, P/B Ratio, Debt-to-Equity Ratio, ROE, ROCE, Free Cash Flow - इन सभी को एक साथ देखना चाहिए। सबसे जरूरी है इन ratios के long-term trend को analyze करना।
4. क्या Technical Analysis से Valuation Trap को पहचाना जा सकता है?
जवाब: Technical Analysis mainly price और volume के patterns को देखता है। यह आपको बता सकता है कि stock weak है और downtrend में है, लेकिन यह नहीं बता सकता कि यह downtrend temporary है या फिर fundamental weakness (Valuation Trap) की वजह से है। Trap पहचानने के लिए Fundamental Analysis ही सबसे जरूरी है।
5. कौन सी किताबें Valuation Trap को समझने में मददगार हैं?
जवाब:
- The Intelligent Investor by Benjamin Graham (Value Investing की Bible)
- Security Analysis by Benjamin Graham & David Dodd
- Common Stocks and Uncommon Profits by Philip Fisher (Quality vs. Quantity पर जोर)
- आप भी बन सकते हैं शेयर बाजार के विशेषज्ञ by सौरभ जैन (हिंदी में एक अच्छी किताब)
अस्वीकरण (Disclaimer)
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