Scalping Trading क्या है? पूरी गाइड, रणनीति, टाइमफ्रेम और नियम 📈💹
शेयर बाजार में पैसा बनाने के कई तरीके हैं, और उन्हीं में से एक सबसे तेज और रोमांचक तरीका है स्कैल्पिंग ट्रेडिंग (Scalping Trading)। अगर आप भी उन लोगों में से हैं जो छोटे-छोटे लेकिन कई सारे मुनाफे कमाना चाहते हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है। चलिए, आज हम विस्तार से जानते हैं कि स्कैल्पिंग ट्रेडिंग क्या है, यह कैसे काम करती है, और आप इसे कैसे सीखकर एक बेहतर ट्रेडर बन सकते हैं।
1. Introduction – Scalping Trading Kya Hai? 🤔
Scalping की मूल परिभाषा
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग, इंट्राडे ट्रेडिंग का ही एक बहुत ही तेज रूप है। इसमें ट्रेडर एक ही दिन के भीतर कई सारे ट्रेड लगाता है और हर ट्रेड से थोड़ा-थोड़ा मुनाफा कमाने की कोशिश करता है। यहाँ "स्कैल्प" शब्द का मतलब है एक छोटा सा हिस्सा। जैसे कोई दुकानदार छोटे-छोटे मुनाफे पर सामान बेचता है, वैसे ही एक स्कैल्पर भी हर ट्रेड से छोटा मुनाफा कमाता है, लेकिन दिन भर में ढेर सारे ट्रेड करके अपना टारगेट पूरा करता है।
क्यों इसे सबसे तेज़ ट्रेडिंग स्टाइल कहा जाता है
स्कैल्पिंग को सबसे तेज ट्रेडिंग स्टाइल इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें ट्रेड सिर्फ कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों के लिए ही होते हैं। एक स्कैल्पर किसी स्टॉक को खरीदता है और कुछ ही पलों बाद मुनाफा होते ही बेच देता है। उसके लिए हर सेकंड मायने रखता है।
Scalping बनाम Day Trading का अंतर
बहुत से लोग स्कैल्पिंग और इंट्राडे ट्रेडिंग को एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।
- स्कैल्पिंग: इसमें ट्रेड कुछ सेकंड से 10-15 मिनट के बीच के होते हैं। ट्रेडर दिन में 20-50 या उससे भी ज्यादा ट्रेड कर सकता है। मुनाफा बहुत छोटा (कुछ रुपये या पैसे) होता है।
- डे ट्रेडिंग: इसमें ट्रेडर दिन में 2-4 ट्रेड लेता है और हर ट्रेड कुछ घंटों के लिए हो सकता है। मुनाफा स्कैल्पिंग के मुकाबले ज्यादा होता है, लेकिन ट्रेड कम होते हैं।
Scalper की मनोविज्ञान
एक सफल स्कैल्पर का दिमाग बहुत तेज और अनुशासित होता है। उसमें निम्नलिखित गुण होते हैं:
- तुरंत निर्णय लेने की क्षमता: बाजार में उतार-चढ़ाव देखते ही तुरंत एक्शन लेना।
- भावनाओं पर कंट्रोल: लालच और डर से ऊपर उठकर ट्रेडिंग करना।
- अनुशासन: अपनी बनाई रणनीति से बिल्कुल न हटना।
- धैर्य: सही सेटअप का इंतजार करना।
किसे Scalping करना चाहिए और किसे नहीं
किसे करना चाहिए:
- जिनके पास ट्रेडिंग के लिए अच्छा समय है।
- जो तेजी से निर्णय ले सकते हैं।
- जिनमें अनुशासन और धैर्य है।
- जो बाजार के छोटे-छोटे मूवमेंट को समझ सकते हैं।
- नए ट्रेडर्स जिन्हें अभी बाजार की अच्छी समझ नहीं है।
- जो पार्ट-टाइम ट्रेडिंग करते हैं।
- जो जोखिम लेने से डरते हैं।
- जिनमें भावनाओं पर कंट्रोल नहीं है।
2. Scalping Trading कैसे काम करता है? (Step-by-Step) 🔄
Market micro-movements की समझ
स्कैल्पिंग की नींव ही है बाजार के सूक्ष्म उतार-चढ़ाव (Micro-Movements) को पहचानना। बाजार हर पल हिलता-डुलता रहता है। एक स्कैल्पर इन्हीं छोटी-छोटी हलचलों में से मुनाफा ढूंढता है। जैसे, अगर रिलायंस का शेयर 2450.00 पर है और वह 2450.10 पर पहुँच जाता है, तो सिर्फ 10 पैसे के इस मूवमेंट को पकड़कर भी मुनाफा कमाया जा सकता है, अगर बड़ी मात्रा में ट्रेड किया गया हो।
Price ticks क्या होते हैं?
प्राइस टिक वह सबसे छोटी unit होती है जिससे किसी शेयर की कीमत बदलती है। भारतीय बाजार में ज्यादातर शेयर्स का टिक साइज 5 पैसा होता है। मतलब, शेयर की कीमत 5 पैसे के steps में ऊपर-नीचे होती है। एक स्कैल्पर इन्हीं टिक्स को कैप्चर करने की कोशिश करता है।
5 सेकंड – 1 मिनट की candle importance
स्कैल्पिंग के लिए 5 सेकंड, 15 सेकंड, 30 सेकंड और 1 मिनट के चार्ट सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। इन छोटे टाइमफ्रेम पर बनने वाली कैंडल्स बाजार की रियल-टाइम स्पीड और दिशा दिखाती हैं। इन कैंडल्स के पैटर्न को पढ़कर स्कैल्पर अंदाजा लगाता है कि अगले कुछ सेकंड में प्राइस किधर जा सकता है।
Spread, liquidity और volatility का रोल
- स्प्रेड (Spread): यह बोली (Bid Price) और पूछ (Ask Price) के बीच का अंतर होता है। स्कैल्पिंग में स्प्रेड बहुत मायने रखता है क्योंकि मुनाफा छोटा होता है। अगर स्प्रेड ज्यादा है तो मुनाफा खत्म हो सकता है। इसलिए हमेशा कम स्प्रेड वाले शेयर्स में ही स्कैल्पिंग करनी चाहिए।
- लिक्विडिटी (Liquidity): इसका मतलब है शेयर्स की खरीद-बिक्री आसानी से हो पाना। हाई लिक्विडिटी वाले शेयर्स (जैसे RIL, TCS, INFY) में आप आसानी से बिना प्राइस को प्रभावित किए बड़ी मात्रा में खरीद-बिक्री कर सकते हैं।
- वोलैटिलिटी (Volatility): यह बाजार के ऊपर-नीचे होने की स्पीड है। स्कैल्पिंग के लिए वोलैटिलिटी जरूरी है क्योंकि जितना ज्यादा बाजार हिलेगा, उतने ही ज्यादा मौके मिलेंगे मुनाफा कमाने के।
Entry → Exit → Quick Profit का model
स्कैल्पिंग का पूरा मॉडल बहुत सीधा है:
- एंट्री (Entry): कोई भी ट्रेड लेने से पहले एक प्लान बनाएँ। किस प्राइस पर एंट्री लेनी है, टारगेट क्या है और स्टॉप लॉस कहाँ रखना है, यह तय करें।
- एग्जिट (Exit): जैसे ही आपका छोटा सा टारगेट (जैसे 0.2% या 0.5% प्रॉफिट) हिट हो, बिना लालच किए तुरंत ट्रेड से बाहर निकल जाएँ।
- क्विक प्रॉफिट (Quick Profit): यहाँ लक्ष्य बड़ा मुनाफा कमाना नहीं, बल्कि लगातार छोटे-छोटे मुनाफे कमाते रहना है।
Scalping में risk/reward क्यों छोटा होता है?
स्कैल्पिंग में रिस्क/रिवार्ड का अनुपात (यानी जितना रिस्क ले रहे हैं, उसके मुकाबले मुनाफा कितना है) आमतौर पर 1:1 या उससे भी कम होता है। इसका मतलब है कि अगर आप 10 रुपये का रिस्क ले रहे हैं तो आपका टारगेट भी 10 या 8 रुपये ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि स्कैल्पिंग में विन रेट (जीतने की दर) ज्यादा होती है। आप 10 में से 6-7 ट्रेड में मुनाफा कमा सकते हैं, इसलिए छोटा रिस्क-रिवार्ड भी काम कर जाता है।
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3. Scalping Trading के फायदे (Advantages) ✅
Small but consistent profits
स्कैल्पिंग का सबसे बड़ा फायदा है लगातार और संतुलित मुनाफा कमाना। बड़े ट्रेड्स में कभी बहुत बड़ा प्रॉफिट तो कभी बहुत बड़ा लॉस हो सकता है, लेकिन स्कैल्पिंग में हर दिन एक जैसा स्थिर मुनाफा कमाया जा सकता है।
कम capital में शुरुआत
आप कम पूंजी के साथ भी स्कैल्पिंग की शुरुआत कर सकते हैं। हालाँकि, मार्जिन का फायदा लेकर आप बड़ी पोजीशन ले सकते हैं, जिससे छोटे प्राइस मूवमेंट पर भी अच्छा मुनाफा हो जाता है।
Overnight risk नहीं
चूंकि सभी ट्रेड एक ही दिन के अंदर बंद कर दिए जाते हैं, इसलिए रातोंरात बाजार के गिरने या अगले दिन गैप डाउन ओपन होने का कोई रिस्क नहीं रहता।
High liquidity वाले स्टॉक्स से instant trades
आप हमेशा ऐसे शेयर्स में ट्रेड करते हैं जिनकी खरीद-बिक्री बहुत आसानी से हो जाती है। इससे आपको अपनी मनचाही कीमत पर ऑर्डर execute करने में कोई दिक्कत नहीं आती।
Psychological edge (fast profits)
जब आपको दिन के शुरुआती एक-दो घंटे में ही कुछ सफल ट्रेड्स से मुनाफा होने लगता है, तो इससे आत्मविश्वास बढ़ता है और आगे के ट्रेड्स के लिए मनोबल मजबूत होता है।
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4. Scalping Trading के नुकसान (Disadvantages) ❌
High speed decision-making required
इसमें सोचने का बिल्कुल भी समय नहीं मिलता। एक पल की देरी आपको नुकसान में डाल सकती है। यह हर किसी के बस की बात नहीं है।
Overtrading का risk
क्योंकि लक्ष्य ज्यादा से ज्यादा ट्रेड लेना होता है, इसलिए कई बार ट्रेडर बिना किसी अच्छे सेटअप के ही ट्रेड लगाने लगता है। इस ओवरट्रेडिंग की वजह से कमीशन तो बढ़ता ही है, गलत ट्रेड्स की संख्या भी बढ़ जाती है।
Broker charges बढ़ जाते हैं
हर ट्रेड के साथ ब्रोकरेज, STT, GST, और अन्य चार्जेस लगते हैं। अगर आप दिन में 30 ट्रेड करते हैं तो यह चार्जेस काफी ज्यादा हो जाते हैं, जो आपके मुनाफे पर भारी पड़ सकते हैं।
Emotionally exhausting
पूरे 3-4 घंटे लगातार स्क्रीन के सामने बैठकर, हर सेकंड concentration बनाए रखना बहुत थकाऊ काम है। मानसिक तनाव बहुत ज्यादा होता है।
Beginner mistakes (FOMO, revenge trading)
नए ट्रेडर्स अक्सर दो गलतियाँ करते हैं:
- FOMO (Fear Of Missing Out): कोई ट्रेड मिस हो जाने का डर और उसमें बिना सोचे-समझे कूद पड़ना।
- रिवेंज ट्रेडिंग (Revenge Trading): एक ट्रेड में नुकसान होने के बाद गुस्से में आकर तुरंत दूसरा ट्रेड लगा देना, जिससे नुकसान और बढ़ जाता है।
5. Scalping कहाँ सबसे अच्छा काम करता है? (Ideal Markets) 📊
NSE Stocks
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के बड़े और लिक्विड शेयर्स स्कैल्पिंग के लिए आदर्श हैं। जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा मोटर्स, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक आदि।
Nifty & BankNifty Futures
इंडेक्स के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में वोलैटिलिटी और लिक्विडिटी दोनों बहुत ज्यादा होती है, जो स्कैल्पिंग के लिए परफेक्ट कॉम्बिनेशन है।
Option scalping (CE/PE)
ऑप्शन्स में स्कैल्पिंग बहुत लोकप्रिय है, खासकर BankNifty के ऑप्शन्स में। इनमें प्राइस बहुत तेजी से चलता है, जिससे कम समय में अच्छा मुनाफा हो सकता है। हालाँकि, रिस्क भी बहुत ज्यादा है।
Commodity scalping (Gold, Silver, Crude)
कमोडिटी मार्केट, खासकर क्रूड ऑयल और गोल्ड के फ्यूचर्स, भी स्कैल्पिंग के लिए अच्छे हैं क्योंकि इनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार के असर से वोलैटिलिटी आती रहती है।
Forex scalping
विदेशी मुद्रा (फॉरेक्स) बाजार दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे लिक्विड बाजार है। यहाँ 24 घंटे ट्रेडिंग होती है और मेजर करेंसी पेयर्स (जैसे USD/INR, EUR/INR) में स्कैल्पिंग की जा सकती है।
High liquidity वाले assets की सूची
- Nifty 50 के शेयर्स
- Bank Nifty के कंस्टीट्येंट्स
- Nifty और BankNifty के फ्यूचर्स और ऑप्शंस
- क्रूड ऑयल और नैचुरल गैस फ्यूचर्स
- गोल्ड और सिल्वर फ्यूचर्स (MCX)
- एक्टिव करेंसी फ्यूचर्स (SEBI की अनुमति से)
6. Scalping Trading की जरूरी Requirements (Tools + Setup) 🛠️
Hardware
- High-speed इंटरनेट: स्कैल्पिंग में एक सेकंड की देरी भी नुकसान दे सकती है। इसलिए फाइबर या हाई-स्पीड ब्रॉडबैंड कनेक्शन जरूरी है।
- Low latency connections: कुछ ट्रेडर्स ब्रोकर के सर्वर के पास रहते हैं या डेडिकेटेड लो-लेटेंसी कनेक्शन लेते हैं ताकि ऑर्डर तुरंत execute हो।
- Fast laptop / dual screens: एक तेज चलने वाला कंप्यूटर और दो या तीन मॉनिटर बहुत मददगार होते हैं। एक स्क्रीन पर चार्ट, दूसरी पर ऑर्डर बुक और तीसरी पर वॉचलिस्ट रखी जा सकती है।
Software
- Charting platforms: ट्रेडिंगव्यू (TradingView), एमसीएक्स (MCX), मेटाट्रेडर (MetaTrader) जैसे प्लेटफॉर्म पर एडवांस्ड चार्टिंग की सुविधा मिलती है।
- Scanners: स्टॉक स्क्रीनर्स आपको मार्केट में चल रही अलग-अलग एक्टिविटीज को रियल-टाइम में स्कैन करके दिखाते हैं। जैसे, कौन से शेयर में वॉल्यूम बढ़ रहा है, कौन सा शेयर ब्रेकआउट कर रहा है, आदि।
- Level 2 data / DOM: लेवल 2 डेटा और डेप्थ ऑफ मार्केट (DOM) आपको ऑर्डर बुक दिखाते हैं कि किस प्राइस पर कितने खरीदार और बेचने वाले हैं। यह स्कैल्पिंग के लिए बहुत शक्तिशाली टूल है।
- Algo support: कुछ एक्सपीरियंस्ड ट्रेडर्स अपनी रणनीतियों को कोड में बदलकर ऑटोमेटिक ट्रेडिंग (Algo Trading) करते हैं, ताकि स्पीड और एक्यूरेसी बढ़ सके।
Broker
- Low brokerage: क्योंकि ट्रेड्स बहुत ज्यादा होते हैं, इसलिए जीरो या कम ब्रोकरेज वाले ब्रोकर चुनना जरूरी है।
- High execution speed: ब्रोकर का ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म तेज होना चाहिए और ऑर्डर तुरंत execute होना चाहिए।
- Zero latency: कई ब्रोकर अब जीरो-लेटेंसी ट्रेडिंग की सुविधा देते हैं।
7. Scalpers के लिए Best Timeframes ⏱️
1 min
1 मिनट का टाइमफ्रेम स्कैल्पर्स के बीच सबसे ज्यादा पॉपुलर है। यह प्राइस मूवमेंट को डिटेल में दिखाता है और काफी सारे ट्रेडिंग अवसर देता है।
3 min
3 मिनट का चार्ट 1 मिनट के मुकाबले थोड़ा स्थिर होता है। इसमें नॉइज (झूठे सिग्नल) कम आते हैं।
5 sec / 10 sec scalping
यह सबसे एडवांस्ड लेवल की स्कैल्पिंग है। सिर्फ वही ट्रेडर इसे इस्तेमाल करते हैं जिन्हें बाजार की बहुत गहरी समझ है और जिनके पास सुपर-फास्ट एक्जिक्यूशन स्पीड है।
Volatility zones
बाजार में कुछ खास समय ऐसे होते हैं जब वोलैटिलिटी सबसे ज्यादा होती है और स्कैल्पिंग के लिए वह सबसे अच्छा समय होता है:
- मार्केट ओपनिंग (9:15–9:35): बाजार खुलते ही जमाखोरी (accumulation) और वितरण (distribution) का दबाव बहुत ज्यादा होता है, जिससे प्राइस तेजी से मूव करता है।
- मार्केट क्लोजिंग (3:00–3:30): दिन के आखिर में ट्रेडर्स अपनी पोजीशन बंद करते हैं, जिससे वोलैटिलिटी बढ़ जाती है।
Market opening scalping (9:15–9:35)
इस समय ओपनिंग रेंज ब्रेकआउट (ORB) जैसी रणनीतियाँ बहुत अच्छा काम करती हैं। बाजार की दिशा का पता चल जाता है।
Lunch-time scalping
दोपहर 12:30 से 1:30 के बीच वोलैटिलिटी थोड़ी कम हो जाती है, लेकिन फिर भी रेंज बाउंड मार्केट में अच्छी स्कैल्पिंग की जा सकती है।
Closing scalping
मार्केट बंद होने से ठीक पहले, खासकर अगले दिन के गैप अप या गैप डाउन की संभावना को देखते हुए, अंतिम मूवमेंट से फायदा उठाया जा सकता है।
8. Scalping में कौनसे Indicators सबसे ज्यादा काम करते हैं? 📉
स्कैल्पिंग में इंडिकेटर्स का चुनाव बहुत ही सोच-समझकर करना चाहिए। बहुत सारे इंडिकेटर्स लगाने से चार्ट confuse हो जाता है। 2-3 सही इंडिकेटर्स काफी हैं।
VWAP (सबसे लोकप्रिय scalping indicator)
VWAP (Volume Weighted Average Price) यानी वॉल्यूम-भारित औसत मूल्य। यह इंडिकेटर बताता है कि दिन भर में अब तक जितना भी ट्रेडिंग वॉल्यूम हुआ है, उसके आधार पर औसत प्राइस क्या है। स्कैल्पर्स इसका इस्तेमाल इस तरह करते हैं:
- अगर प्राइस VWAP लाइन के ऊपर है, तो मार्केट अपट्रेंड में माना जाता है। VWAP के पास डिप आने पर खरीदारी के मौके ढूंढे जाते हैं।
- अगर प्राइस VWAP के नीचे है, तो मार्केट डाउनट्रेंड में है। VWAP के पास रैली आने पर बिकवाली के मौके ढूंढे जाते हैं।
- VWAP एक मजबूत सपोर्ट और रेजिस्टेंस का काम करता है।
EMA 9 & EMA 20
EMA (Exponential Moving Average) यानी घातीय चलती औसत। यह साधारण मूविंग एवरेज से ज्यादा सटीक और तेज होता है।
- EMA 9: बहुत शॉर्ट-टर्म ट्रेंड दिखाता है। स्कैल्पिंग के लिए बेस्ट है।
- EMA 20: थोड़ा लॉन्ग-टर्म ट्रेंड दिखाता है।
- रणनीति: जब EMA 9, EMA 20 को ऊपर से काटे तो खरीदारी का सिग्नल और जब नीचे से काटे तो बिकवाली का सिग्नल।
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| 9 EMA and 20 EMA Chart Example |
Supertrend
सुपरट्रेंड एक ट्रेंड-फॉलोइंग इंडिकेटर है जो खरीदो और बेचो का साफ-साफ सिग्नल देता है। जब सुपरट्रेंड लाइन प्राइस के नीचे होती है और हरी होती है तो खरीदारी का सिग्नल होता है। जब लाइन प्राइस के ऊपर होती है और लाल होती है तो बिकवाली का सिग्नल होता है। यह स्कैल्पिंग में स्टॉप लॉस तय करने में भी मदद करता है।
RSI → overbought/oversold scalping
RSI (Relative Strength Index) 0 से 100 के बीच ऊपर-नीचे होता है। स्कैल्पिंग में इसका इस्तेमाल ओवरबॉट और ओवरसोल्ड कंडीशन पहचानने के लिए किया जाता।
- जब RSI 70 से ऊपर जाता है तो मार्केट ओवरबॉट माना जाता है और प्राइस के गिरने की संभावना होती है (बेचने का मौका)।
- जब RSI 30 से नीचे जाता है तो मार्केट ओवरसोल्ड माना जाता है और प्राइस के बढ़ने की संभावना होती है (खरीदने का मौका)।
- स्कैल्पिंग में RSI के साथ डायवर्जेंस (divergence) भी पकड़ी जा सकती है।
MACD
MACD (Moving Average Convergence Divergence) ट्रेंड और मोमेंटम दोनों को मापता है। स्कैल्पिंग में हिस्टोग्राम में होने वाले बदलावों पर नजर रखी जाती है। जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को ऊपर से काटती है तो बुलिश सिग्नल और जब नीचे से काटती है तो बेयरिश सिग्नल माना जाता है।
Volume
वॉल्यूम किसी भी ट्रेड की सबसे महत्वपूर्ण पुष्टि है। बिना वॉल्यूम के प्राइस मूवमेंट फेल हो सकता है।
- वॉल्यूम स्पाइक: जब कोई शेयर अचानक हाई वॉल्यूम के साथ चलता है, तो इसका मतलब है कि बड़े प्लेयर्स उसमें दिलचस्पी ले रहे हैं। यह स्कैल्पिंग के लिए एक अच्छा अवसर हो सकता है।
Order flow / Footprint charts
यह एक एडवांस्ड टेक्निक है। ऑर्डर फ्लो चार्ट्स आपको दिखाते हैं कि किस खास कीमत पर कितने ऑर्डर execute हुए हैं। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि खरीदार ज्यादा मजबूत हैं या बेचने वाले। यह स्कैल्पिंग में बहुत हाई एक्यूरेसी दे सकता है।
9. Scalping के लिए Best Chart Patterns 📈
Flag & pole
यह एक कॉन्टिन्यूएशन पैटर्न है। एक तेज मूव (पोल) के बाद प्राइस एक छोटी सी रेंज में साइडवेज चलने लगता है (फ्लैग)। जब प्राइस इस फ्लैग पैटर्न को ब्रेक करता है, तो अक्सर पहले वाली दिशा में ही तेज मूवमेंट होता है। स्कैल्पर्स इस ब्रेकआउट को पकड़ते हैं।
Breakout scalping
जब प्राइस किसी महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस लेवल को ऊपर से तोड़ता है, तो उसमें और ऊपर जाने की संभावना बनती है। स्कैल्पर्स इस ब्रेकआउट के ठीक बाद खरीदारी का ट्रेड लेते हैं।
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| Breakout Scalping Strategy Example |
Breakdown scalping
यह ब्रेकआउट का उल्टा है। जब प्राइस किसी महत्वपूर्ण सपोर्ट लेवल को नीचे से तोड़ता है, तो उसमें और नीचे गिरने की संभावना होती है। स्कैल्पर्स इस ब्रेकडाउन के ठीक बाद बिकवाली का ट्रेड लेते हैं।
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| Breakdown Trading Example |
Pullback scalping
ट्रेंड के बीच-बीच में प्राइस थोड़ा सा उल्टा चलता है, इसे पुलबैक कहते हैं। जैसे, अपट्रेंड में प्राइस गिरकर मूविंग एवरेज या ट्रेंडलाइन के सपोर्ट पर आता है। स्कैल्पर्स इस पुलबैक के खत्म होने और ट्रेंड के दोबारा शुरू होने पर एंट्री लेते हैं। यह एक सुरक्षित एंट्री पॉइंट देता है।
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| Pullback Scalping Example |
Reversal scalping
इसमें ट्रेंड के बदलने के संकेतों को पकड़ा जाता है। जैसे, डबल टॉप, डबल बॉटम, हेड एंड शोल्डर्स जैसे पैटर्न। जब यह पैटर्न पूरा होता है और प्राइस रिवर्सल की दिशा में चलना शुरू करता है, तो स्कैल्पर्स उसमें ट्रेड लेते हैं।
Open = High / Open = Low
यह एक बहुत ही शक्तिशाली इंट्राडे पैटर्न है।
- Open = High (O=H): जब किसी शेयर का ओपनिंग प्राइस ही दिन का हाई हो जाता है और प्राइस उसके नीचे ही ट्रेड करता है। यह बेयरिश साइन है और दिन भर बिकवाली का संकेत देता है।
- Open = Low (O=L): जब किसी शेयर का ओपनिंग प्राइस ही दिन का लो होता है और प्राइस उसके ऊपर ही ट्रेड करता है। यह बुलिश साइन है और दिन भर खरीदारी का संकेत देता है।
Order block zone scalping
यह एक स्मार्ट मनी कॉन्सेप्ट है। ऑर्डर ब्लॉक वह प्राइस जोन होता है जहाँ से बड़े इंस्टीट्यूशनल ट्रेडर्स ने बड़े ऑर्डर दिए थे, जिसके कारण प्राइस में तेज मूवमेंट हुआ। जब प्राइस वापस इसी ऑर्डर ब्लॉक जोन में आता है, तो फिर से एक तेज मूवमेंट होने की संभावना रहती है। स्कैल्पर्स इस जोन में एंट्री लेते हैं।
Range scalping
जब मार्केट किसी खास रेंज (सपोर्ट और रेजिस्टेंस के बीच) में फंसा हुआ होता है, तो स्कैल्पर्स रेंज के निचले हिस्से पर खरीदारी और ऊपरी हिस्से पर बिकवाली करते हैं। जब तक रेंज टूट नहीं जाती, यह रणनीति काम करती रहती है।
10. Scalping Strategies (Beginner से लेकर Advance तक) 🧩
1. VWAP Rejection Scalping Strategy
यह स्कैल्पर्स के बीच सबसे भरोसेमंद रणनीतियों में से एक है।
कैसे काम करती है:
- चार्ट पर VWAP इंडिकेटर लगाएँ।
- जब प्राइस VWAP लाइन के ऊपर हो और फिर VWAP लाइन के पास आकर रुक जाए (यानी VWAP उसे रोक रहा हो या रिजेक्ट कर रहा हो), तो यह एक शॉर्ट-टर्म सेलिंग का मौका है।
- एंट्री: जब प्राइस VWAP को टच करने के बाद नीचे की तरफ मुड़ने लगे और एक मंदी (बेयरिश) कैंडल बने।
- स्टॉप लॉस: एंट्री कैंडल के हाई के ऊपर।
- टारगेट: नजदीकी सपोर्ट लेवल या 0.3% से 0.5% का क्विक प्रॉफिट।
उदाहरण: मान लीजिए RIL का शेयर 2450 पर है और VWAP 2448 पर है। प्राइस ऊपर जाकर 2452 पर पहुँचता है, लेकिन फिर VWAP के पास आकर 2450 पर ही रुक जाता है और एक लाल कैंडल बनती है। आप 2450 या 2449.5 पर सेल ऑर्डर दे सकते हैं। स्टॉप लॉस 2452.5 और टारगेट 2445 रख सकते हैं।
11. Scalping में Risk Management (बहुत important section) 🛡️
0.5%–1% stoploss
किसी भी एक ट्रेड में अपने कुल कैपिटल का 0.5% से 1% से ज्यादा का रिस्क नहीं लेना चाहिए। अगर आपके पास 1 लाख रुपये हैं, तो एक ट्रेड में अधिकतम 1000 रुपये का नुकसान उठाने के लिए तैयार रहें।
Position sizing rules
पोजीशन साइज यह तय करती है कि आपको एक ट्रेड में कितने शेयर्स खरीदने चाहिए। इसे स्टॉप लॉस के आधार पर कैलकुलेट करें।
फॉर्मूला: पोजीशन साइज = (कैपिटल x रिस्क %) / (एंट्री प्राइस - स्टॉप लॉस प्राइस)
उदाहरण: कैपिटल = 1,00,000 रु., रिस्क = 1% (1000 रु.), एंट्री प्राइस = 100 रु., स्टॉप लॉस = 99 रु.
पोजीशन साइज = 1000 / (100 - 99) = 1000 / 1 = 1000 शेयर्स।
Win rate vs Risk:Reward
- विन रेट: आपके कुल ट्रेड्स में से कितने प्रतिशत ट्रेड प्रॉफिटेबल हैं।
- रिस्क:रिवार्ड: आप एक ट्रेड में कितना रिस्क ले रहे हैं और उससे कितने गुना मुनाफे की उम्मीद कर रहे हैं।
- अगर आपका विन रेट 60% है, तो भले ही आपका रिस्क:रिवार्ड 1:1 ही क्यों न हो, आप लंबे समय में मुनाफे में रहेंगे।
Maximum loss per day
दिन के लिए एक मैक्सिमम लॉस लिमिट तय कर लें। जैसे, अगर आपके कैपिटल का 3% नुकसान हो जाए, तो उस दिन की ट्रेडिंग बंद कर दें। यह आपको बड़े नुकसान से बचाता है।
Consistency importance
स्कैल्पिंग में लगातार (consistent) बने रहना जरूरी है। रोज 1% मुनाफा भी अगर 20 दिनों तक हो, तो यह 20% से ज्यादा का मुनाफा है। छोटे-छोटे मुनाफों को हल्के में न लें।
Spread और slippage का impact
- स्प्रेड: हमेशा कम स्प्रेड वाले शेयर्स चुनें।
- स्लिपेज: कई बार आप जिस प्राइस पर ऑर्डर देते हैं, उससे थोड़ा अलग प्राइस पर ऑर्डर execute होता है, इसे स्लिपेज कहते हैं। वोलैटिल टाइम में स्लिपेज ज्यादा होता है। इसका असर आपके मुनाफे पर पड़ता है, इसलिए इसका ध्यान रखें।
12. Scalping Psychology 🧠
Fast decision making
स्कैल्पिंग में दिमाग एक हाई-स्पीड प्रोसेसर की तरह काम करता है। आँख देखती है, दिमाग पैटर्न पहचानता है और हाथ तुरंत ऑर्डर लगा देता है। यह सब कुछ ही सेकंड्स में होना चाहिए।
No emotions
लालच और डर स्कैल्पर के सबसे बड़े दुश्मन हैं। लालच में टारगेट हिट होने के बाद भी ट्रेड में बने रहना और डर में स्टॉप लॉस हिट होने से पहले ही ट्रेड बंद कर देना, दोनों ही गलत हैं। रोबोट की तरह अपने प्लान को फॉलो करें।
Fear of missing out
FOMO आपको गलत ट्रेड्स में घसीट सकता है। यह याद रखें कि बाजार हर रोज खुलता है। अगर कोई ट्रेड मिस भी हो जाए तो कोई बात नहीं, अगला मौका जरूर आएगा।
Impulse trades control
बिना प्लान के, सिर्फ अटकल लगाकर ट्रेड लगाना इम्पल्स ट्रेडिंग है। यह आपको बर्बाद कर देगी। हमेशा एक तय रणनीति और सेटअप के आधार पर ही ट्रेड लगाएँ।
Patience for perfect setup
पूरे दिन ट्रेड करने की जगह, सही और परफेक्ट सेटअप का इंतजार करें। एक दिन में 4-5 अच्छे सेटअप्स मिल जाएँ तो भी काफी हैं।
Losing streaks को handle करना
हर ट्रेडर के लॉसिंग स्ट्रीक (लगातार नुकसान) आते हैं। इसे स्वीकार करें। इस दौरान ट्रेडिंग का साइज घटा दें या एक-दो दिन के लिए ब्रेक ले लें। अपनी डायरी में गलतियाँ ढूंढें और सुधारें।
13. Scalping में Common Mistakes और कैसे बचें ⚠️
Overtrading
यह सबसे कॉमन मिस्टेक है। जबरदस्ती ट्रेड ढूंढना। बचाव: रोज के ट्रेड्स की एक लिमिट तय करें। जैसे, दिन में सिर्फ 10 ट्रेड।
Overleveraging
मार्जिन का ज्यादा इस्तेमाल करना। लीवरेज दोधारी तलवार है। यह मुनाफा बढ़ा सकता है, लेकिन नुकसान भी उतना ही बढ़ा देता है। बचाव: हमेशा सही पोजीशन साइजिंग का इस्तेमाल करें।
Indicators overload
चार्ट पर 5-10 इंडिकेटर्स लगा लेना। इससे कन्फ्यूजन होती है और सिग्नल एक-दूसरे का विरोध करते नजर आते हैं। बचाव: मैक्सिमम 3 इंडिकेटर्स का इस्तेमाल करें जो एक-दूसरे के कॉम्प्लीमेंटरी हों।
News-based scalping
खबर आते ही बिना सोचे-समझे ट्रेड में कूद पड़ना। खबर के समय वोलैटिलिटी बहुत ज्यादा होती है और प्राइस अनप्रिडिक्टेबल हो जाता है। बचाव: खबर के समय ट्रेडिंग से बचें।
Tight stoploss mistakes
बहुत ही टाइट स्टॉप लॉस लगाना, जो बाजार के नॉर्मल नॉइज में ही हिट हो जाता है। बचाव: सपोर्ट-रेजिस्टेंस या एटीआर (Average True Range) के आधार पर logical स्टॉप लॉस लगाएँ।
Wrong stock selection
कम लिक्विडिटी या कम वोलैटिलिटी वाले शेयर्स में स्कैल्पिंग करना। बचाव: हमेशा Nifty 50 के टॉप लिक्विड शेयर्स या इंडेक्स फ्यूचर्स/ऑप्शन्स में ही स्कैल्पिंग करें।
14. Scalping के लिए Best Stocks & Indices (India specific) 🇮🇳
Nifty, BankNifty
ये दोनों इंडेक्स स्कैल्पिंग के लिए सबसे बेस्ट हैं क्योंकि इनमें लिक्विडिटी और वोलैटिलिटी दोनों ही भरपूर होती है।
HDFC Bank, Reliance, ICICI, Infosys
ये सभी ब्लू-चिप स्टॉक्स हैं और Nifty के हेवीवेट कंस्टीट्येंट्स हैं। इनमें हर समय हाई वॉल्यूम रहता है।
Tata Motors, LT, SBI
ये स्टॉक्स भी काफी एक्टिव रहते हैं और इनमें अच्छी मूवमेंट मिल जाती है।
High liquidity midcaps
कुछ मिडकैप स्टॉक्स जैसे Tata Power, Adani Ports, Bajaj Finserv भी स्कैल्पिंग के लिए अच्छे हैं, लेकिन इनमें ट्रेड करने से पहले लिक्विडिटी जरूर चेक कर लें।
Stocks to avoid
- पेनी स्टॉक्स (Penny Stocks)
- कम वॉल्यूम वाले स्टॉक्स
- जिनमें स्प्रेड ज्यादा हो
15. Scalping में Taxes, Brokerage & Charges (Important) 💸
STT charges
यह सेक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स है जो हर ट्रेड पर लगता है। इक्विटी इंट्राडे सेल ट्रेड्स पर 0.025% की दर से STT लगता है।
GST
ब्रोकरेज और अन्य एक्सचेंज चार्जेस पर 18% GST लगती है।
Exchange transaction charges
यह एक्सचेंज द्वारा लिया जाने वाला चार्ज है। NSE इक्विटी पर यह 0.00325% के आसपास होता है।
SEBI charges
SEBI टर्नओवर फीस हर ट्रेड पर 0.0001% से 0.0002% के बीच होती है।
DP charges
इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर्स डिलीवरी नहीं होते, इसलिए डीपी (डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट) चार्जेस नहीं लगते।
कितनी trade करने पर कितना खर्च
मान लीजिए आपने 1 दिन में 20 ट्रेड किए, हर ट्रेड की वैल्यू 1 लाख रुपये है। तो कुल टर्नओवर 40 लाख रुपये (क्योंकि एक ट्रेड में खरीदना और बेचना दोनों होता है) होगा। इस पर ब्रोकरेज, STT, GST, एक्सचेंज चार्ज मिलाकर काफी रकम चार्जेस में चली जाएगी। इसलिए कम ब्रोकरेज वाले ब्रोकर चुनना जरूरी है।
Impact on profits
ये सभी चार्जेस आपके नेट प्रॉफिट को सीधे कम करते हैं। अगर आपका एक ट्रेड से 100 रुपये का ग्रोस प्रॉफिट हुआ है, तो चार्जेस काटने के बाद शायद 70-80 रुपये ही बचें। इसलिए इन चार्जेस को हमेशा गणना में रखें।
16. Scalping Apps & Platforms (India Specific) 📱
Zerodha
- प्लेटफॉर्म: Kite
- फायदे: बहुत ही यूजर-फ्रेंडली इंटरफेस, रेटलाइन डेटा फ्री, कम ब्रोकरेज।
- नुकसान: एडवांस्ड ऑर्डर टाइप्स की कमी।
Angel One
- प्लेटफॉर्म: Angel Broking App
- फायदे: फ्री स्टॉक स्क्रीनर (स्मार्ट मनी), अच्छा रिसर्च।
- नुकसान: कभी-कभी स्पीड में दिक्कत।
Dhan
- प्लेटफॉर्म: Dhan
- फायदे: मॉडर्न इंटरफेस, एकीकृत चार्टिंग (TradingView)।
- नुकसान: नया प्लेटफॉर्म है, कुछ फीचर्स पर काम जारी।
Upstox
- प्लेटफॉर्म: Upstox Pro Web & App
- फायदे: Kite जैसा इंटरफेस, कम चार्जेस।
- नुकसान: चार्टिंग में कभी-कभार ग्लिच।
Fyers
- प्लेटफॉर्म: Fyers One
- फायदे: TradingView के जैसा एडवांस्ड चार्टिंग।
- नुकसान: मोबाइल ऐप थोड़ा कमजोर।
Scalping के लिए कौनसा broker सबसे अच्छा
यह आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है। अगर आपको सिंपल इंटरफेस चाहिए तो Zerodha, अगर एडवांस्ड चार्टिंग चाहिए तो Fyers या Dhan, और अगर फ्री स्क्रीनर चाहिए तो Angel One अच्छा विकल्प हो सकता है। सबकी डेमो आईडी लेकर टेस्ट जरूर कर लें।
17. क्या Scalping एक Beginner के लिए सही है? 🎯
कौन कर सकता है
- जो पहले से इंट्राडे ट्रेडिंग कर चुका है।
- जिसके पास ट्रेडिंग का अच्छा खासा अनुभव है।
- जो तनाव को हैंडल कर सकता है।
कौन नहीं करे
- जिसने अभी-अभी शेयर बाजार में कदम रखा है।
- जो पार्ट-टाइम ट्रेडिंग करता है।
- जो भावनात्मक रूप से कमजोर है।
कब शुरू करें
पहले स्विंग ट्रेडिंग और फिर इंट्राडे ट्रेडिंग में महारत हासिल करने के बाद ही स्कैल्पिंग की तरफ कदम बढ़ाएँ।
कितना capital चाहिए
कम से कम 50,000 से 1,00,000 रुपये की कैपिटल होनी चाहिए ताकि पोजीशन साइजिंग सही रहे और चार्जेस का ज्यादा असर न हो।
18. Scalping vs Intraday vs Swing Trading ⚖️
| पहलू | Scalping Trading | Intraday Trading | Swing Trading |
|---|---|---|---|
| Speed | बहुत तेज (सेकंड/मिनट) | तेज (कुछ घंटे) | धीमी (कुछ दिन/हफ्ते) |
| Accuracy | बहुत हाई विन रेट चाहिए | मीडियम विन रेट काफी | लो विन रेट भी चल सकता है |
| Emotion | सबसे ज्यादा तनाव | मीडियम तनाव | कम तनाव |
| Capital | कम से मीडियम | मीडियम | मीडियम से ज्यादा |
| Profit | छोटे लेकिन लगातार | मीडियम और लगातार | बड़े लेकिन कभी-कभार |
| किसके लिए | अनुभवी, तेज दिमाग | अनुभवी | नए और अनुभवी दोनों |
19. Real-life Scalper का Daily Routine (Practical Guide) 🗓️
- सुबह 8:00 बजे (Pre-market analysis): अमेरिकी और एशियाई बाजारों का हाल देखना। प्री-ओपनिंग सेशन में शेयर्स की कीमतों पर नजर। दिन की वॉचलिस्ट बनाना।
- सुबह 9:15 बजे (Market Open): पहले 15 मिनट सिर्फ देखना, कुछ न करना। ORB सेटअप्स को ढूंढना।
- सुबह 9:30 से 11:00 बजे (First trade): सबसे ज्यादा वोलैटिल टाइम। अपनी बेस्ट रणनीति के सेटअप्स पर ट्रेड लेना।
- दोपहर 11:00 से 2:00 बजे (Breaks): बीच-बीच में ट्रेड लेना, लेकिन जबरदस्ती नहीं। लंच ब्रेक लेना।
- दोपहर 2:00 से 3:30 बजे (Closing session): क्लोजिंग वोलैटिलिटी का फायदा उठाना।
- शाम 4:00 बजे (Post-market journaling): दिन के सभी ट्रेड्स को एक डायरी में लिखना। क्या सही हुआ, क्या गलत हुआ, इसका विश्लेषण करना। अगले दिन के लिए प्लान बनाना।
20. Scalping Trading FAQs❓
1. Scalping safe है या risky?
स्कैल्पिंग हाई-रिस्क हाई-रिवार्ड वाला ट्रेडिंग स्टाइल है। अगर आपके पास अनुभव, अनुशासन और सही रणनीति है तो यह सेफ हो सकता है, वरना बहुत रिस्की है।
2. कितने पैसे चाहिए?
कम से कम 50,000 रुपये की शुरुआत अच्छी रहती है।
3. कितनी trades रोज करनी चाहिए?
गुणवत्ता पर ध्यान दें, मात्रा पर नहीं। दिन में 10-15 अच्छे सेटअप्स मिलने पर ही ट्रेड करें।
4. क्या scalping से full-time income बना सकते हैं?
हाँ, बना सकते हैं, लेकिन इसके लिए बहुत अभ्यास, अनुशासन और कैपिटल की जरूरत है।
5. Option scalping vs future scalping?
ऑप्शन स्कैल्पिंग में प्रॉफिट और लॉस दोनों अनलिमिटेड हो सकते हैं और टाइम डिके एक फैक्टर होता है। फ्यूचर स्कैल्पिंग में प्राइस मूवमेंट सीधा असर डालता है। शुरुआत में फ्यूचर स्कैल्पिंग आसान है।
6. Best indicator कौनसा है?
VWAP को स्कैल्पिंग का राजा माना जाता है। इसके साथ EMA और वॉल्यूम का कॉम्बिनेशन बेस्ट है।
21. Final Conclusion 🏁
स्कैल्पिंग ट्रेडिंग बाजार का सबसे तेज और मुनाफे वाला रास्ता हो सकता है, लेकिन यह हर किसी के बस की बात नहीं है। इसमें सफलता पाने के लिए लगन, अभ्यास, अनुशासन और मनोबल की जरूरत होती है। अगर आप एक नए ट्रेडर हैं तो जल्दबाजी न दिखाएँ। पहले बाजार को समझें, फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ें।
Consistency और discipline स्कैल्पिंग की सबसे बड़ी कुंजी हैं। छोटे-छोटे मुनाफों को इकट्ठा करके ही एक दिन बड़ा खजाना बनता है। याद रखें, बाजार हमेशा बना रहता है, मौका हर दिन आता है। अगर एक दिन नुकसान हो जाए तो हिम्मत न हारें।
सीखकर करें वरना नुकसान तय है। पेपर ट्रेडिंग से शुरुआत करें, फिर छोटी कैपिटल लगाएँ और जब लगातार प्रॉफिट आने लगे, तभी बड़ी कैपिटल के साथ आगे बढ़ें। आपकी ट्रेडिंग यात्रा शुभ हो! 🚀
Disclaimer (अस्वीकरण)
यह लेख सिर्फ शिक्षण और जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। यह निवेश या ट्रेडिंग की कोई सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश और ट्रेडिंग जोखिमों से भरा है। किसी भी तरह के निवेश या ट्रेडिंग निर्णय लेने से पहले, किसी योग्य वित्तीय सलाहकार (SEBI रजिस्टर्ड) से सलाह जरूर लें। लेखक और वेबसाइट किसी भी तरह के नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।





