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हर कोई SIP कर रहा है, पर Return क्यों Zero आ रहा है? 😕
एसआईपी... आजकल हर कोई इसी शब्द का जाप कर रहा है। टीवी हो, अखबार हो, या सोशल मीडिया, हर जगह बस एक ही बात: "एसआईपी करो, नियमित करो, लंबे समय तक करो, फिर देखो चमत्कार!" ✨
पर क्या वाकई ऐसा होता है? बहुत से निवेशक, खासकर जो नए-नए हैं, अपना एसआईपी स्टेटमेंट देखकर निराश हो जाते हैं। उन्हें लगा था कि एक-दो साल में ही उनका पैसा बढ़ने लगेगा, लेकिन स्टेटमेंट में "कुल रिटर्न: ₹0" या "निरपेक्ष रिटर्न: -5%" जैसे आंकड़े देखकर उनका उत्साह ठंडा पड़ जाता है। ❌
मन में सवाल उठता है - क्या एसआईपी वास्तव में काम करता है? या फिर यह सिर्फ म्यूचुअल फंड कंपनियों का पैसा जुटाने का एक तरीका भर है?
जवाब है: एसआईपी निस्संदेह काम करता है! लेकिन, अगर आपको अपेक्षित रिटर्न नहीं मिल रहा, तो इसकी वजह एसआईपी नहीं, बल्कि कुछ और है। इस लेख में, हम उन्हीं 7 बड़े कारणों पर गहराई से बात करेंगे जिनकी वजह से आपके एसआईपी का रिटर्न शून्य या नकारात्मक दिखाई दे रहा है, और साथ ही उनके समाधान भी जानेंगे।
🤔 एसआईपी है क्या? आइए पहले मूल बातें समझ लेते हैं
SIP का मतलब है सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान। यह Mutual Fund में निवेश करने का एक तरीका है, जहां आप हर महीने एक निश्चित रकम (जैसे ₹500 या ₹5000) एक चुने हुए म्यूचुअल फंड योजना में लगाते हैं।
एसआईपी की खासियत "रुपया लागत औसतन" और "चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति" इन दो सिद्धांतों में छुपी है।
- रुपया लागत औसतन (Rupee Cost Averaging): जब बाजार नीचे होता है, तो आपकी निश्चित रकम से ज़्यादा यूनिट्स खरीदी जाती हैं। और जब बाजार ऊपर होता है, तो कम यूनिट्स। इस तरह, लंबे समय में, आपकी हर यूनिट की औसत लागत, बाजार भाव के मुकाबले कम हो जाती है।
- चक्रवृद्धि ब्याज की शक्ति (Power of Compounding): जो रिटर्न आपको मिलता है, वह फिर से निवेश हो जाता है और उस पर भी रिटर्न मिलने लगता है। यह एक बर्फ के गोले की तरह है, जो लंबे समय में बहुत बड़ा हो जाता है। ❄️⛄
तो फिर समस्या कहाँ है? समस्या हमारी उम्मीदों और कार्यान्वयन में है। आइए अब उन कारणों को विस्तार से समझते हैं।
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📉 कारण 1: आपका निवेश काल बहुत छोटा है (सबसे बड़ी गलती!)
यह सबसे बड़ी और सबसे आम भूल है। एसआईपी कोई जादू की छड़ी नहीं है जो रातों-रात आपको अमीर बना देगी। एसआईपी एक मैराथन है, 100 मीटर की दौड़ नहीं।
छोटी अवधि बनाम लंबी अवधि के रिटर्न का गणित
मान लीजिए, आपने जनवरी 2020 में ₹10,000 प्रति महीने का एसआईपी एक अच्छे इक्विटी फंड में शुरू किया। अगर आप सिर्फ 1 साल बाद, यानी दिसंबर 2020 में अपना स्टेटमेंट देखते, तो आपका रिटर्न शानदार 20-25% तक दिखाई देता! 🎉
लेकिन अगर आपने जनवरी 2022 में शुरू किया होता और 2022 के अंत में स्टेटमेंट देखा होता, तो आपका रिटर्न नकारात्मक (-5% से -10%) दिखाई देता। 😭
क्या इसका मतलब है कि 2020 का फंड अच्छा था और 2022 का बुरा? बिल्कुल नहीं!
इसका मतलब है कि अल्पकालिक बाजार की चाल (Short-Term Market Movements) एसआईपी के रिटर्न पर भारी पड़ती हैं। इक्विटी बाजार स्वभाव से ही उतार-चढ़ाव वाला (Volatile) होता है। कम समय में, यह कभी ऊपर जाता है, तो कभी नीचे आता है।
समाधान:
- एसआईपी को कम से कम 7-10 साल का समय दें। लंबी अवधि में बाजार के उतार-चढ़ाव औसत हो जाते हैं और बाजार की वास्तविक वृद्धि का फायदा आपको मिल पाता है।
- कभी भी अल्पकालिक लक्ष्य (जैसे 1-2 साल में कार खरीदना) के लिए इक्विटी एसआईपी में पैसा न लगाएं। इसके लिए डेट फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट बेहतर विकल्प हैं।
📈 कारण 2: बाजार का चक्रीय स्वभाव
शेयर बाजार एक चक्र में चलता है। इसमें तेजी का दौर (Bull Phase), मंदी का दौर (Bear Phase) और रुकावट का दौर (Consolidation Phase) आते-जाते रहते हैं।
- तेजड़िया बाजार (Bull Market): जब बाजार लगातार ऊपर जा रहा होता है। हर कोई खुश होता है।
- मंदड़िया बाजार (Bear Market): जब बाजार लगातार गिर रहा होता है। डर और निराशा का माहौल होता है।
- रुकावट (साइडवेज मार्केट): जब बाजार न तो ऊपर जाता है, न नीचे, बल्कि एक ही दायरे में घूमता रहता है।
अगर आपके एसआईपी की शुरुआत मंदड़िया बाजार या रुकावट के दौर में हुई है, तो शुरुआती 2-3 साल तक आपको नकारात्मक या सपाट रिटर्न दिखना बिल्कुल सामान्य है।
यही तो एसआईपी का जादू है! मंदी के दौर में, आप सस्ते भाव पर ज़्यादा यूनिट्स खरीद रहे होते हैं। यही यूनिट्स भविष्य में, जब तेजी का दौर आएगा, तो आपको भारी रिटर्न दिलाएंगे।
समाधान:
- बाजार के चक्रों को समझें और उनसे डरें नहीं। मंदी का दौर एसआईपी निवेशकों के लिए वरदान होता है।
- "बाजार में समय देना, बाजार का समय निकालने से बेहतर है" इस बात को याद रखें। बाजार की तली का पता लगाने की कोशिश में पैसा रोककर रखने से अच्छा है, नियमित एसआईपी जारी रखें।
🧐 कारण 3: गलत म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव
सभी म्यूचुअल फंड एक जैसे नहीं होते। सिर्फ "एसआईपी" शब्द सुनकर किसी भी फंड में पैसा डाल देना बहुत बड़ी गलती हो सकती है।
लोग कैसे चुनते हैं?
- "टीवी पर एक विशेषज्ञ ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला फंड बताया था, बस वही ले लिया।"
- "मेरे दोस्त/रिश्तेदार ने कहा, इस फंड ने उसे अच्छा रिटर्न दिया है।"
- "इंटरनेट पर टॉप 5 फंड्स की सूची देखकर जो सबसे ऊपर था, वही चुन लिया।"
ये सभी तरीके गलत हैं। पुराना प्रदर्शन भविष्य के अच्छे रिटर्न की गारंटी नहीं है।
समाधान: सही फंड कैसे चुनें?
1.) निवेश लक्ष्य: सबसे पहले अपना लक्ष्य तय करें (रिटायरमेंट, बच्चे की पढ़ाई, घर, आदि)।जोखिम सहनशीलता: अपनी जोखिम उठाने की क्षमता पहचानें। क्या आप उच्च जोखिम-उच्च रिटर्न चाहते हैं या मध्यम जोखिम-स्थिर रिटर्न?
2.) फंड श्रेणी: लक्ष्य और जोखिम के हिसाब से श्रेणी चुनें (लार्ज-कैप, मिड-कैप, स्मॉल-कैप, फ्लेक्सी-कैप, हाइब्रिड वगैरह)।
3.) फंड का विश्लेषण:
- प्रदर्शन: सिर्फ 1 साल का रिटर्न न देखें। 3 साल, 5 साल, 10 साल का रिटर्न देखें और उसकी तुलना अपने बेंचमार्क (जैसे लार्ज कैप के लिए निफ्टी 50 TRI) और श्रेणी औसत से करें।
- फंड मैनेजर: फंड मैनेजर का अनुभव और ट्रैक रिकॉर्ड जांचें।
- पोर्टफोलियो: फंड किन कंपनियों में पैसा लगा रहा है? क्या पोर्टफोलियो अत्यधिक महंगे शेयरों से भरा है?
व्यय अनुपात (Expense Ratio): कम व्यय अनुपात वाले फंड ज्यादा बेहतर होते हैं।
4.) विविधीकरण (Diversification): सिर्फ एक फंड में निवेश न करें। अलग-अलग श्रेणियों के 3-4 फंड्स में पैसा बांटें।
सेबी की आधिकारिक वेबसाइट www.sebi.gov.in या www.amfiindia.com (एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया) से विश्वसनीय जानकारी ले सकते हैं।
😰 कारण 4: व्यवहार संबंधी पूर्वाग्रह (हमारी मनोवैज्ञानिक गलतियाँ)
हम इंसान हैं और भावनाएं हमारे निवेश के फैसलों को प्रभावित करती हैं।
- नुकसान से डर (Loss Aversion): जब फंड का NAV गिरता है, तो हम घबरा जाते हैं और एसआईपी रोक देते हैं या यूनिट्स को नुकसान में बेच देते हैं। यह सबसे नुकसानदायक कदम है।
- लालच (Greed): जब बाजार ऊँचाई पर होता है, तो हम सोचते हैं कि और ऊपर जाएगा और एकमुश्त पैसा डाल देते हैं, जोकि ऊँचे भाव पर यूनिट्स खरीदने जैसा है।
- भेड़चाल (Herding Behavior): जब सब लोग शेयर बाजार में पैसा लगा रहे होते हैं, तो हम भी लगा देते हैं (बाजार के शिखर पर), और जब सब निकाल रहे होते हैं, तो हम भी निकाल लेते हैं (बाजार की तली पर)।
समाधान:
- भावनारहित निवेशक बनें: एसआईपी का मकसद ही यही है कि आपको बाजार के समय का अनुमान लगाने की चिंता न करनी पड़े। अपने एसआईपी को स्वचालित (Automate) कर दें और बिना देखे चलते रहने दें।
- अनुशासन (Discipline) सबसे ज़रूरी है: बाजार चाहे जैसा भी व्यवहार करे, आपका एसआईपी जारी रहना चाहिए। यही दीर्घकालिक सफलता की कुंजी है।
💰 कारण 5: लक्ष्य, परिसंपत्ति आवंटन और विविधीकरण की कमी
बिना लक्ष्य और योजना के एसआईपी करना, बिना नक्शे के एक लंबी सड़क पर दौड़ लगाने जैसा है।
- लक्ष्य का अभाव: अगर आपका कोई विशिष्ट लक्ष्य नहीं है, तो बाजार के नीचे जाने पर आपका उत्साह आसानी से टूट जाएगा।
- गलत परिसंपत्ति आवंटन (Wrong Asset Allocation): अगर आपकी उम्र 50 साल है और आपने सारा पैसा स्मॉल-कैप फंड्स में डाल दिया है, तो यह जोखिम बहुत ज्यादा है। उम्र के हिसाब से इक्विटी और डेट का अनुपात तय होना चाहिए। (एक साधारण नियम: इक्विटी आवंटन = 100 - आपकी उम्र)।
- विविधीकरण का अभाव: अगर आपने सारा पैसा सिर्फ एक सेक्टोरल फंड (जैसे सिर्फ आईटी शेयरों वाला फंड) में लगा दिया है, और उस सेक्टर में मंदी आ गई, तो आपका पूरा पोर्टफोलियो डूब सकता है।
समाधान:
- लक्ष्य-आधारित निवेश करें: एक सूची बनाएं - अल्पकालिक लक्ष्य (5 साल से कम), मध्यम अवधि (5-7 साल), दीर्घकालिक (7+ साल)। हर लक्ष्य के लिए अलग फंड या परिसंपत्ति वर्ग चुनें।
- परिसंपत्ति आवंटन पर ध्यान दें: अपनी जोखिम प्रोफाइल और लक्ष्य समय के आधार पर इक्विटी, डेट और सोने में पैसा बांटें।
- विविधीकरण करें: अलग-अलग श्रेणियों के फंड्स (लार्ज, मिड, फ्लेक्सी कैप) में निवेश करें। पूरा पैसा एक ही फंड हाउस में भी न डालें।
📊 कारण 6: एसआईपी की तारीख और रकम में बार-बार फेरबदल
कुछ लोग एसआईपी की तारीख (जैसे 1st, 5th, 10th) को लेकर बहुत ज्यादा सोचते हैं। सच्चाई यह है कि लंबी अवधि में, एसआईपी की तारीख का रिटर्न पर कोई खास असर नहीं पड़ता।
इसी तरह, बाजार की स्थिति देखकर हर महीने एसआईपी रकम घटाना-बढ़ाना भी रुपया लागत औसतन के सिद्धांत को बिगाड़ता है।
समाधान:
- एक सुविधाजनक तारीख तय कर लें और उसे भूल जाएं।
- एसआईपी रकम बढ़ाने का सही तरीका है सालाना वृद्धि। हर साल, अपनी तनख्वाह बढ़ने के साथ, अपने एसआईपी की रकम को 5-10% जरूर बढ़ाएं। इसे स्टेप-अप एसआईपी या टॉप-अप एसआईपी कहते हैं। यह चक्रवृद्धि ब्याज को रॉकेट की गति दे देता है! 🚀
🧾 कारण 7: रिटर्न को गलत तरीके से देखना और समझना
हो सकता है आपका रिटर्न शून्य न हो, बल्कि आप उसे गलत तरीके से देख रहे हों।
- निरपेक्ष रिटर्न बनाम XIRR: आप स्टेटमेंट के पहले पन्ने पर सिर्फ "Absolute Return" देख रहे हैं, जोकि सही तरीका नहीं है। चूंकि एसआईपी में हर महीने पैसा जाता है, हर निवेश की समय अवधि अलग होती है। एसआईपी का रिटर्न निकालने का सही तरीका है XIRR (एक्सटेंडेड इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न)। आप Google Sheets या Excel में XIRR फॉर्मूले का इस्तेमाल करके अपना सही वार्षिक रिटर्न पता कर सकते हैं।
- सही बेंचमार्क पर नजर न रखना: अगर आपका लार्ज-कैप फंड है, तो उसका रिटर्न निफ्टी 50 TRI से तुलना करें। अगर आप उसे निफ्टी स्मॉल-कैप 250 TRI से तुलना करेंगे, तो वह कम ही लगेगा, जोकि गलत है।
समाधान:
- एसआईपी का रिटर्न निकालने के लिए XIRR विधि का ही इस्तेमाल करें।
- रिटर्न की तुलना सही बेंचमार्क और साथी समूह (उसी श्रेणी के दूसरे फंड्स) से करें।
✅ निष्कर्ष (Conclusion)
तो दोस्तों, अगर आपके एसआईपी का रिटर्न अभी शून्य या नकारात्मक है, तो घबराएं नहीं। जरूरी नहीं कि आपने कोई गलत फंड चुना है। ज्यादातर मामलों में, इसकी वजह छोटी निवेश अवधि, बाजार का चक्रीय व्यवहार और हमारी अपनी व्यवहारिक गलतियाँ होती हैं।
एसआईपी की सफलता के तीन मंत्र हैं:
- अनुशासन (Discipline): लगातार निवेश करते रहना।
- धैर्य (Patience): बाजार के चक्रों को पूरा होने देना।
- लंबी दृष्टि (Long-Term Vision): कम से कम 7-10 साल का नजरिया रखना।
अपने लक्ष्य को याद रखें, अपने फंड का नियमित समीक्षा (साल में एक बार) जरूर करें, और बिना भावनाओं के अपनी वित्तीय योजना पर टिके रहें। समय आने पर बाजार आपको जरूर इनाम देगा। 💪✨
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❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
प्रश्न 1: क्या मुझे अपना एसआईपी बंद कर देना चाहिए अगर रिटर्न नकारात्मक है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं! यह सबसे बड़ी गलती होगी। नकारात्मक रिटर्न का मतलब है कि आप सस्ते भाव पर यूनिट्स खरीद रहे हैं। यही वो समय है जब आपको अपना एसआईपी जारी रखना चाहिए, ताकि जब बाजार में सुधार हो, तो आप ज्यादा मुनाफा कमा सकें।
प्रश्न 2: एसआईपी में कितना रिटर्न की उम्मीद करना यथार्थवादी है?
उत्तर: लंबी अवधि (10-15+ साल) में, इक्विटी एसआईपी से 12-15% प्रति वर्ष का वार्षिक रिटर्न एक यथार्थवादी उम्मीद है। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहेंगे, लेकिन लंबी अवधि में औसत रिटर्न इसी के आसपास रहता है। कोई भी 20%+ का गारंटीड रिटर्न देता है, तो उस पर भरोसा न करें।
प्रश्न 3: क्या एसआईपी करने से पैसा डूब भी सकता है?
उत्तर: अगर आप एक अच्छे फंड में लंबी अवधि के लिए एसआईपी कर रहे हैं, तो पैसा डूबने की संभावना लगभग न के बराबर है। हां, कम समय में कीमत कम ज़रूर हो सकती है। म्यूचुअल फंड में निवेश शेयर बाजार में होता है, जिसमें जोखिम जुड़ा है, लेकिन सेबी के सख्त दिशा-निर्देशों की वजह से पूरा पैसा डूबने का जोखिम नहीं होता।
प्रश्न 4: क्या मुझे कम प्रदर्शन वाले फंड को बदल देना चाहिए?
उत्तर: तुरंत नहीं। पहले विश्लेषण करें कि फंड का प्रदर्शन कम क्यों है।
- अगर फंड की शैली (वैल्यू/ग्रोथ) बाजार की स्थिति के अनुकूल नहीं है और फंड मैनेजर अपनी रणनीति पर टिका है, तो थोड़ा इंतजार करें।
- अगर फंड लगातार 3-4 साल से अपने बेंचमार्क और साथी समूह से कम रिटर्न दे रहा है, फंड मैनेजर बदल गया है, या पोर्टफोलियो की गुणवत्ता खराब हो गई है, तब आप बदलाव के बारे में सोच सकते हैं। किसी वित्तीय सलाहकार की सलाह लें।
प्रश्न 5: क्या एसआईपी करते समय बाजार का स्तर मायने रखता है?
उत्तर: बिल्कुल नहीं! यही तो एसआईपी की खूबसूरती है। आप उच्च बाजार स्तर से शुरू करें या निचले स्तर से, लंबी अवधि में रुपया लागत औसतन अपना काम करेगी और औसत लागत को नियंत्रित करेगी। एसआईपी शुरू करने का सबसे अच्छा समय कल था। अगला सबसे अच्छा समय आज है।
प्रश्न 6: क्या ईएलएसएस फंड की एसआईपी करना टैक्स बचत के लिए अच्छा है?
उत्तर: हां, बिल्कुल। ईएलएसएस फंड एक इक्विटी म्यूचुअल फंड ही है जिसमें धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक टैक्स छूट मिलती है और इसकी लॉक-इन अवधि सिर्फ 3 साल की है। यह दीर्घकालिक धन निर्माण के साथ-साथ टैक्स बचत का भी बेहतरीन जरिया है।
प्रश्न 7: क्या एसआईपी में सिर्फ लार्ज-कैप फंड ही सुरक्षित हैं?
उत्तर: लार्ज-कैप फंड अपेक्षाकृत स्थिर और कम उतार-चढ़ाव वाले होते हैं, लेकिन सिर्फ लार्ज-कैप में निवेश करना विविधीकरण के नियम के खिलाफ है। अपनी जोखिम सहनशीलता के अनुसार मिड-कैप, फ्लेक्सी-कैप या मल्टी-कैप फंड्स में भी विविधीकरण करना चाहिए बेहतर रिटर्न के लिए।
प्रश्न 8: क्या मैं एसआईपी को रोक (Pause) सकता हूँ?
उत्तर: जी हां, ज्यादातर फंड्स में आप एसआईपी को रोक सकते हैं (आमतौर पर 1 महीने से 6 महीने के लिए)। लेकिन बाजार का समय निकालने के लिए ऐसा करना अच्छा विचार नहीं है। वित्तीय आपात स्थिति होने पर ही एसआईपी रोकें या बंद करें।
अस्वीकरण: यह लेख सिर्फ शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है। यह निवेश सलाह नहीं है। म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। कृपया सभी योजना संबंधित दस्तावेज ध्यान से पढ़ें। पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं है। किसी भी फंड में निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से जरूर सलाह लें।