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शेयर बाजार का "इमरजेंसी ब्रेक" ⚠️
Lower Circuit और Upper Circuit का मतलब: जब कोई शेयर बिना रुके गिरता या चढ़ता चला जाए, तो क्या होगा? 😱 2008 के मार्केट क्रैश में अमेरिकी शेयर 50% तक गिरे थे! ऐसी आपदाओं से बचाने के लिए SEBI ने सर्किट फिल्टर सिस्टम बनाया। ये Upper/Lower Circuit बाजार के "अदृश्य गार्ड" हैं जो अचानक उठती तूफानी लहरों को रोक देते हैं।
🔍 सर्किट फिल्टर: परिभाषा और बेसिक कॉन्सेप्ट
सरल शब्दों में:
"Upper Circuit = शेयर की मैक्सिमम चढ़ाई की लिमिट"
"Lower Circuit = शेयर की मैक्सिमम गिरावट की लिमिट"
क्यों जरूरी है ये सिस्टम? (SEBI की नजर से)
- 🛑 पैनिक सेलिंग रोकना: जब कोई बुरी खबर आती है, तो निवेशक बिना सोचे शेयर बेचने लगते हैं।
- 🛑 अटकलबाजी कंट्रोल करना: बड़े ऑपरेटर शेयर को कृत्रिम रूप से ऊपर/नीचे न धकेल सकें।
- 🛑 छोटे निवेशकों की सुरक्षा: जिनके पास मार्केट न्यूज तक रियल-टाइम एक्सेस नहीं है।
📊 रोचक तथ्य: 21 नवंबर 2024 को Adanient पर 5% का Lower Circuit लगा था जब मार्केट में भारी बिकवाली हुई।
यह भी पढ़ें: 👉 What is Share Market in Hindi? शेयर बाजार की A to Z जानकारी
📈 Upper Circuit: जब शेयर "रॉकेट मोड" में चला जाए
कैसे पहचानें?
- शेयर के नाम के आगे 'UC' लिखा दिखे
- प्राइस लाल या हरे बॉक्स में फंसी दिखे
- वॉल्यूम शून्य के करीब हो
क्यों लगता है Upper Circuit?
कारण | उदाहरण |
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बेहतरीन क्वार्टरली रिजल्ट 🏆 | टाटा मोटर्स ने Q1 2024 में 74% प्रॉफिट ग्रोथ दर्ज की |
बड़ा ऑर्डर/अधिग्रहण 💼 | L&T को बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट का ₹14,000 करोड़ ऑर्डर |
सेक्टर में अचानक तेजी 🔥 | 2023 में रिन्यूएबल एनर्जी शेयर 20% UC हिट कर गए |
FII/DII की भारी खरीदारी 💰 | 2024 में FIIs ने 3 दिन में ₹12,000 करोड़ की निवेश किया |
💡 प्रैक्टिकल टिप: UC में फंसे शेयर को खरीदने के लिए AMO (After Market Order) डालें। कई बार अगले दिन सर्किट खुलते ही आपका ऑर्डर एक्जीक्यूट हो सकता है।
📉 Lower Circuit: जब शेयर "फ्री फॉल" में चला जाए
कैसे पहचानें?
- शेयर के नाम के आगे 'LC' लिखा हो
- प्राइस लाल बॉक्स में अटकी हो
- बायर्स बिल्कुल न दिखें
क्यों लगता है Lower Circuit?
कारण | उदाहरण |
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घटिया रिजल्ट/लॉस 📉 | Vodafone Idea ने Q4 2024 में ₹7,000 करोड़ घाटा दर्ज किया |
प्रमोटर्स का शेयर बेचना 🏃♂️ | 2023 में RVNL प्रमोटर्स ने 1.5% हिस्सा बेचा तो 10% LC लगा |
सेक्टर क्रैश 🚑 | 2020 में COVID के दौरान ऑटो सेक्टर के सभी शेयर LC में गए |
ग्लोबल मार्केट डाउनट्रेंड 🌍 | अमेरिकी ब्याज दर बढ़ने पर IT शेयरों पर LC लगे |
⚠️ गंभीर चेतावनी: LC लगने पर कभी भी घबराकर सेल न करें! 2020 में Yes Bank के शेयर 8 दिन तक LC में फंसे थे, फिर 110% रिकवरी हुई।
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upper circuit and lower circuit chart example |
🔧 सर्किट लिमिट कैसे तय होती है? (BSE/NSE रूल्स)
कीमत के आधार पर:
शेयर प्राइस रेंज | सर्किट लिमिट |
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₹0 - ₹10 तक 🟢 | 20% या 0.50 में जो भी कम हो |
₹10 - ₹20 🟡 | 20% |
₹20 - ₹100 🔴 | 10% |
₹100 से ऊपर ⚫ | 5% |
विशेष केस:
- इंडेक्स पर मार्केट-वाइड सर्किट (सुबह 10% गिरावट पर 45 मिनट ट्रेडिंग रुकती है)
- नए लिस्टेड शेयर्स पर अलग नियम (NSE गाइडलाइन्स)
💼 निवेशकों के लिए सर्किट सर्वाइवल गाइड
Upper Circuit में क्या करें?
- ✅ GTT ऑर्डर लगाएं: "Good Till Triggered" ऑर्डर में टार्गेट प्राइस सेट करें
- ❌ ब्लाइंडली न खरीदें: कई बार सर्किट खुलते ही प्राइस गिरती है
- 📊 फंडामेंटल चेक करें: P/E रेशियो, डेट, ग्रोथ सब स्टडी करें
Lower Circuit में क्या करें?
- ✅ डीप रिसर्च करें: कंपनी की बैलेंस शीट और न्यूज एनालाइज करें
- ❌ पैनिक सेलिंग न करें: होल्ड करें यदि फंडामेंटल्स स्ट्रॉन्ग हैं
- 💡 एवरेजिंग का मौका: अगर कंपनी अच्छी है तो डिप पर और शेयर खरीदें
🌟 सफल निवेशक का राज: 2022 में जब टाटा पावर पर 5% LC लगा, स्मार्ट इन्वेस्टर्स ने डिप खरीदारी की और 6 महीने में 40% रिटर्न कमाया!
यह भी पढ़ें: 👉 निवेश में सफलता का राज़: इमोशन कंट्रोल करना सीखें
📜 SEBI के नए नियम (2024 अपडेट)
- वोलेटाइल स्टॉक्स पर सख्ती: जिन शेयर्स में 3 दिन में 20% उतार-चढ़ाव हो, उनकी सर्किट लिमिट कम की जा सकती है।
- SME शेयर्स के लिए अलग नियम: SME प्लेटफॉर्म पर सर्किट लिमिट 5% से 20% तक हो सकती है।
- कूल-ऑफ पीरियड: LC/LC लगने पर 10 मिनट का ब्रेक (SEBI नोटिफिकेशन)
🔥 रियल लाइफ केस स्टडीज
केस 1: Yes Bank डिसास्टर (2020)
- घटना: RBI ने बोर्ड भंग किया, मोरेटोरियम लगाया
- प्रभाव: शेयर 10 दिन तक LC में फंसा रहा
- सीख: बैंक शेयर्स में हमेशा डायवर्सिफिकेशन रखें
केस 2: Adani Group रिकवरी (2023)
- घटना: Hindenburg रिपोर्ट के बाद सभी शेयर LC में गए
- रिकवरी: SEBI हस्तक्षेप के बाद UC सीरीज शुरू हुई
- सीख: स्ट्रॉन्ग ग्रुप्स डिप में खरीदने के मौके देते हैं
🧠 साइकोलॉजिकल टिप्स फॉर सर्किट सिचुएशन
- भीड़ से अलग सोचें: जब सब बेच रहे हों, तब खरीदने के मौके ढूंढें
- न्यूज को वेरिफाई करें: सोशल मीडिया रमर्स पर एक्शन न लें
- लॉन्ग टर्म फोकस: 80% सर्किट सिचुएशन 6 महीने में नॉर्मल हो जाती हैं
✨ याद रखें: "बाजार का सबसे डरावना दिन, स्मार्ट निवेशक के लिए सबसे बड़ा अवसर होता है!" - वॉरेन बफेट
निष्कर्ष: सर्किट फिल्टर आपका दोस्त है! 🤝
सर्किट सिस्टम को "दुश्मन" समझने की गलती न करें। ये आपकी पूंजी को तबाह होने से बचाते हैं जब बाजार पागलपन की हद पार कर जाए। सफल निवेश का राज है:
"LC में घबराएं नहीं, UC में लालच न करें, हमेशा फंडामेंटल्स पर फोकस करें!"
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1: क्या प्री-मार्केट में सर्किट लगता है?
जी हाँ! प्री-ओपन सत्र में भी सर्किट लिमिट एक्टिव रहती हैं। अक्सर कोयला ऊर्जा शेयर प्री-मार्केट में ही UC हिट कर जाते हैं।
Q2: एक ही दिन में कई बार सर्किट लग सकता है?
नहीं। एक बार LC/UC लगने पर पूरे ट्रेडिंग सेशन के लिए प्राइस बैंड लॉक हो जाता है।
Q3: क्या सर्किट लिमिट बदल सकती है?
हाँ, SEBI मार्केट कंडीशन के आधार पर समायोजन कर सकती है। जैसे 2008 क्रैश में लिमिट 20% से घटाकर 10% की गई थी।
Q4: इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए सर्किट कितना रिस्की है?
बहुत रिस्की! अगर आपका शेयर UC/LC में फंस गया तो आप पोजीशन नहीं बदल सकते। इसलिए हमेशा स्टॉप लॉस लगाएँ।
Q5: क्या म्यूचुअल फंड्स भी सर्किट से प्रभावित होते हैं?
जी बिल्कुल! जब कोई स्टॉक LC में फंसता है तो फंड मैनेजर उसे बेच नहीं पाते, जिससे NAV प्रभावित होती है।
📢 डिस्क्लेमर: यह शैक्षिक सामग्री है। निवेश से पहले SEBI रजिस्टर्ड एडवाइजर से सलाह लें। पेस्ट परफॉर्मेंस भविष्य के रिजल्ट्स की गारंटी नहीं है।