शेयर बाजार का असली Risk क्या है?: हकीकत जो किताबों में नहीं मिलती

Hemant Saini
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शेयर बाजार में असली Risk क्या है? – वो हकीकत जो किताबों में नहीं मिलती 📈⚠️

एक निवेशक की सबसे बड़ी ताकत उसके पैसे नहीं, बल्कि उसकी समझ होती है। और यह समझ तब आती है जब आप जोखिम को सही मायने में पहचानते और समझते हैं।

जब भी शेयर बाजार में 'Risk' यानी 'जोखिम' की बात होती है, ज़्यादातर लोगों के दिमाग में सिर्फ एक ही तस्वीर आती है - "पैसा डूब जाना" 💸। लेकिन क्या सच में जोखिम की परिभाषा इतनी संकीर्ण और सीमित है? बिल्कुल नहीं।

किताबें आपको बताएंगी कि "रिस्क वोलैटिलिटी है," यानी कीमतों का उछल-कूद। लेकिन असल दुनिया का निवेशक जानता है कि असली जोखिम "पूंजी का स्थायी नुकसान (Permanent Capital Loss)" है। यही वो मूलभूत अंतर है जिसे समझना हर निवेशक के लिए ज़रूरी है।

इस लेख में, हम उन सभी छुपे हुए, अनकहे और गहरे जोखिमों पर विस्तार से चर्चा करेंगे, जिनके बारे में न तो कोई कोर्स सिखाता है, न कोई किताब बताती है और न ही कोई "गुरु" बताना चाहता है। हम SEBI के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए, आपको जमीनी हकीकत से रूबरू कराएंगे। तो चलिए, इस सफर की शुरुआत करते हैं।

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🟢 सेक्शन 1: मार्केट रिस्क बनाम असली जोखिम - भ्रम का भंडार

किताबी दुनिया कहती है - "रिस्क का मतलब है वोलैटिलिटी (Volatility)।" यानी शेयर की कीमत में短 समय में होने वाला उतार-चढ़ाव। इसलिए, वे एक ग्राफ दिखाकर बताएंगे कि कौन सा शेयर ज़्यादा "रिस्की" है।

लेकिन जमीनी सच्चाई यह है - वोलैटिलिटी जोखिम नहीं, एक अवसर है। कीमतों का गिरना एक अस्थायी घटना है, बशर्ते आपने एक अच्छा business चुना हो। असली जोखिम तो तब है जब आपका पैसा हमेशा के लिए डूब जाए और वापस आने की कोई उम्मीद न रहे।

📉 Short-Term Volatility (अल्पकालिक उतार-चढ़ाव)

यह वो दैनिक, साप्ताहिक या monthly उछाल-कूद है जो खबरों, मार्केट के मूड या Global घटनाओं की वजह से आती है। एक Smart Investor इसे Discount Sale की तरह देखता है, न कि नुकसान की तरह।

💀 Permanent Capital Loss (पूंजी का स्थायी नुकसान)

यह वो स्थिति है जब आपका शेयर या तो डूब जाता है (जैसे Satyam) या फिर उसकी कीमत decades तक वापस नहीं आ पाती (जैसे कई PSU बैंकों के शेयर)। यही असली जोखिम है।

⏳ Opportunity Cost (अवसर की हानि)

यह एक छुपा हुआ जोखिम है। मान लीजिए आपने कोई शेयर 5 साल पहले 100 रुपये में खरीदा और आज वह 110 रुपये है। technically, आपको नुकसान नहीं हुआ। लेकिन अगर आपने वही पैसा Fixed Deposit में लगाया होता तो वह 140 रुपये हो जाता। यानी, आपने एक अवसर खो दिया। यह भी एक तरह का जोखिम है।

Example: 2020 में COVID की वजह से Nifty 40% गिरा, लेकिन फिर नए उचाइयों पर पहुंच गया। यह Market Risk था। वहीं, एक कंपनी like जेस्सोप (Jessop) का शेयर गिरा और कभी वापस नहीं आया। यह Permanent Loss Risk था।


🟢 सेक्शन 2: Business Risk & Company Risk - कंपनी का दम तोड़ देना

यह शेयर बाजार का सबसे बड़ा और सबसे खतरनाक जोखिम है। इसमें Market नहीं, बल्कि वो Business ही Fail हो जाता है जिसमें आपने पैसा लगाया था।

☠️ Sector Death (उद्योग का अंत)

समय के साथ technology और लोगों की जरूरतें बदलती हैं। जो Business खुद को बदल नहीं पाते, वे इतिहास बन जाते हैं।

  • Kodak: Digital Camera के आविष्कार के बावजूद उसे Embrace नहीं किया और डूब गया।
  • Nokia: Smartphone की दौड़ में पिछड़ गया और उसका Empire टूट गया।
  • RCom (Reliance Communications): Jio के 4G disruption के आगे टिक नहीं पाई।

🎭 Promoter Fraud & Corporate Governance Issues (मैनेजमेंट की बेईमानी)

यह सबसे डरावना Risk है। अगर कंपनी चलाने वाले ही बेईमान हैं, तो Business चाहे कितना भी अच्छा क्यों न हो, वह डूबेगा ही।

  • Satyam Scam (2009): रामलिंग राजू ने accounts में हेराफेरी करके हज़ारों investors का पैसा डुबो दिया।
  • Yes Bank (2020): Rana Kapoor और Management के गलत decisions, बड़े-बड़े Bad Loans की वजह से बैंक दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया।
  • Signals: Auditor का resign करना, Board Members का अचानक इस्तीफा देना, SEBI की जांच, Accounts में देरी।

🏦 Debt Trap & Promoter Pledging (कर्ज का जाल)

जिस कंपनी पर कर्ज़ा बहुत ज़्यादा हो, उसके लिए मुश्किल वक्त में बच पाना मुश्किल होता है।

  • Suzlon Energy: भारी कर्जे और Market में मंदी की वजह से कभी उबर नहीं पाई।
  • DHFL: Housing Finance का दिग्गज, कर्ज और घोटाले की वजह से Collapse हो गया।
  • Promoter Pledging: जब Promoters अपने शेयरों को गिरवी रखकर Loan लेते हैं। अगर शेयर की कीमत गिरती है, तो Bank उन शेयरों को बेच देता है, जिससे शेयर की कीमत और गिरती है। यह एक खतरनाक Cycle है।

सीख: Business Risk से बचने का सबसे अच्छा तरीका है "Strong Management + Low Debt + Good Business Model" वाली कंपनियों में निवेश करना।

यह भी पढ़ें: 👉👉 Stock Market में Risk Management – Capital बचाने के 10 पक्के नियम


🟢 सेक्शन 3: Economic Risk & Inflation Risk - मंहगाई का भूत

आपके पोर्टफोलियो पर Number बढ़ते दिखें, इसका मतलब यह नहीं है कि आपका असली पैसा बढ़ रहा है। आपकी Real Wealth तभी बढ़ती है जब आपका Return, Inflation Rate से ज़्यादा हो।

📉 Inflation Risk (मुद्रास्फीति का जोखिम)

Inflation वो दर है जिससे हर साल चीजों की कीमतें बढ़ती हैं। अगर आपका निवेश Inflation को मात नहीं दे पा रहा, तो आपकी Purchasing Power (खरीदने की क्षमता) घट रही है।

  • Case Study: मान लीजिए आपको 10% का return मिला। लेकिन Inflation 6% है। तो आपका Real Return (असली return) सिर्फ 4% है। अगर आपका Return 6% या उससे कम है, तो आपका पैसा डूब रहा है।

📈 Interest Rate Cycle (ब्याज दरों का चक्र)

RBI जब ब्याज दरें बढ़ाता है, तो Loan महंगे हो जाते हैं। इससे Companies के Expansion के Plans धीमे पड़ सकते हैं, जिसका असर उनके Profit और Stock Price पर पड़ता है। विशेष रूप से Real Estate और Auto जैसे sectors पर इसका सीधा असर पड़ता है।

💱 Currency Devaluation (मुद्रा का अवमूल्यन)

जब Rupee की value Dollar के मुकाबले कमजोर होती है, तो Oil, Electronics, Chemicals आयात करने वाली Companies का Input Cost बढ़ जाता है। इससे उनका Profit Margin कम हो जाता है। हालांकि, Export करने वाली Companies को इससे फायदा होता है।

सीख: अपने निवेश का लक्ष्य सिर्फ 'Positive Return' नहीं, बल्कि 'Inflation-beating Return' रखना चाहिए।

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🟢 सेक्शन 4: Policy & Regulatory Risk - सरकार का हस्तक्षेप

Business चल रहा है, Fundamentals strong हैं, लेकिन अचानक सरकार कोई नया Rule, Tax या Policy ला देती है, जो पूरे Industry का Game ही बदल देती है। यह जोखिम बहुत ही Unpredictable (अनिश्चित) होता है।

🏛️ Government Policy Changes (सरकारी नीतियों में बदलाव)

  • Telecom AGR Case: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद Telecom Companies पर AGR का भारी बकाया आ गया, जिससे Vodafone Idea जैसी कंपनी बर्बादी के कगार पर पहुंच गई।
  • Ban on Sectors: जैसे भारत में Crypto पर Ban, या Liquor और Tobacco कंपनियों पर लगातार बढ़ते Taxes। इन Sectors में निवेश करना हमेशा एक Policy Risk रहता है।

💰 Taxation Changes (करों में बदलाव)

  • LTCG Tax (दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर): 2018 में फिर से LTCG Tax लगाए जाने से Market में एक झटका लगा। इससे Investors के Net Return कम हो गए।
  • STT (Security Transaction Tax): हर Trade पर लगने वाला यह Tax आपके Returns को थोड़ा-थोड़ा करके कम करता रहता है।

सीख: किसी एक Sector या Industry में over-invest न करें। Policy Risk से Diversification ही बचा सकता है। SEBI की website पर Policy updates पर नज़र बनाए रखें।


🟢 सेक्शन 5: Liquidity Risk - फंसा हुआ पैसा

"Buy तो कर लिया, बेचने वाला कोई नहीं" - यह Liquidity Risk की सबसे सटीक परिभाषा है।

यह Risk उन छोटे (Small-Cap, Micro-Cap) और Penny Stocks में सबसे ज़्यादा होता है, जिनमें Trading Volume बहुत कम होता है।

📊 Low Trading Volume (कम ट्रेडिंग वॉल्यूम)

किसी शेयर में रोजाना सिर्फ कुछ हज़ार शेयरों की ही Trading होती है। अगर आपके पास बड़ी मात्रा में शेयर हैं, तो आप उन्हें एक साथ बेच नहीं पाएंगे। बेचने की कोशिश करेंगे तो कीमत और नीचे गिरती चली जाएगी।

💸 Wide Bid-Ask Spread (खरीद-बिक्री के भाव में बड़ा अंतर)

कई illiquid शेयरों में Buy Price (Bid) और Sell Price (Ask) में बहुत बड़ा अंतर होता है। मान लीजिए एक शेयर का "Buy" Price 100 रुपये है और "Sell" Price 105 रुपये है। मतलब आप उसे 105 में खरीदेंगे और अगले ही पल अगर बेचना चाहें, तो सिर्फ 100 में ही बेच पाएंगे। आपको तुरंत 5% का नुकसान होगा। यह एक Hidden Cost है।

📉 Example: 2008 की मंदी

2008 के Financial Crisis में बड़े-बड़े Blue-Chip Stocks तो बाद में उबर गए, लेकिन कई छोटे शेयरों में इतनी Liquidity नहीं थी कि लोग उन्हें बेच पाते। निवेशकों का पैसा वहीं फंसकर रह गया।

सीख: हमेशा उन्हीं शेयरों में निवेश करें जिनमें अच्छा Daily Trading Volume हो। Nifty 50, Nifty Next 50 जैसे Index के Stocks में Liquidity Risk बहुत कम होता है।


🟢 सेक्शन 6: Psychological & Behavioral Risk - आपका अपना दिमाग, आपका सबसे बड़ा दुश्मन

यह शायद सबसे कम समझा जाने वाला, लेकिन सबसे खतरनाक जोखिम है। आपका अपना दिमाग, Fear (डर) और Greed (लालच) के चलते, आपको गलत फैसले लेने पर मजबूर कर देता है।

😨 Fear & Greed Cycle (डर और लालच का चक्र)

  • Greed: जब Market ऊपर जा रहा होता है, तो लालच में आकर लोग Top पर पैसा लगा देते हैं।
  • Fear: जब Market गिरता है, तो डर के मारे लोग Bottom पर सारे शेयर बेच देते हैं।
  • यह Cycle बार-बार दोहराता है।

🧠 Behavioral Biases (मनोवैज्ञानिक पूर्वाग्रह)

  • Overconfidence (अति आत्मविश्वास): कुछ Trade सफल हो जाने पर लगता है कि हम सब कुछ जानते हैं, जो बड़े नुकसान की वजह बनता है।
  • Anchoring Bias (लंगर प्रभाव): किसी शेयर को 200 रुपये में खरीदने के बाद, जब वह 150 रुपये पर आता है तो Investor उसे नहीं बेचता, क्योंकि उसके दिमाग में वह "लंगर" 200 रुपये का अटक गया है। वह 150 रुपये को "कम" price समझकर बेचने से हिचकिचाता है, भले ही कंपनी का Business ख़राब हो चुका हो।
  • Herd Mentality (झुंड की मानसिकता): WhatsApp Groups, TV Experts या दोस्तों की Tips पर बिना सोचे-समझे पैसा लगा देना। "सब कर रहे हैं तो मैं भी कर लेता हूँ"।

📱 Case Study: IPO Oversubscription Craze

हाल के सालों में देखें, कैसे लोग बिना Company के Business को समझे, महज Hype के आधार पर IPO में लाखों रुपये लगा देते हैं। कई IPO Listing के बाद नीचे आ जाते हैं, और Investors को नुकसान होता है। यह शुद्ध रूप से Herd Mentality और Greed का उदाहरण है।

सीख: एक Written Investment Plan बनाएं। Emotional होने के बजाय Disciplined बनें। Market के Noise (शोर) से दूर रहें।


🟢 सेक्शन 7: Hidden Costs & Structural Risk - छुपे हुए चार्ज

आपके द्वारा कमाए गए Returns में से Brokerage, Taxes और other charges एक बड़ा हिस्सा काट लेते हैं। ये छोटे-छोटे Charges long term में आपके Portfolio पर भारी असर डालते हैं।

🧾 Visible Costs (दिखने वाले खर्च)

  • Brokerage: हर Trade पर दी जाने वाली Fee।
  • STT (Security Transaction Tax): हर Transaction पर Government को दिया जाने वाला Tax।
  • GST: Brokerage पर लगने वाला Goods and Services Tax।
  • DP Charges: Demat Account में शेयर रखने के Yearly Charges।

🔍 Invisible Costs (न दिखने वाले खर्च)

  • Slippage Cost: Market Order देने पर, जो Price आपको मिलती है वह आपके Intended Price से थोड़ी अलग हो सकती है, especially in volatile markets.
  • Impact Cost: बड़ी मात्रा में Order देने पर Market Price अपने आप बदल जाती है। आपका अपना Order Price को प्रभावित कर देता है।

📉 Case Study: Intraday Trader vs Long-Term Investor

एक Intraday Trader जो दिन में 4 Trades करता है, उसपर Brokerage, STT, GST का burden बहुत ज्यादा होता है। उसका Break-Even Point बहुत ऊंचा हो जाता है। मतलब, उसे केवल Charges निकालने के लिए ही कम से कम 1-2% profit चाहिए होता है हर दिन! वहीं, एक Long-Term Investor जो साल में सिर्फ 4-5 Trades करता है, उस पर यह burden नगण्य होता है।

सीख: Overtrading से बचें। Long-Term Investing, Trading के मुकाबले Hidden Costs को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है।


🟢 सेक्शन 8: Global & Geopolitical Risk - दुनिया के मामले का असर

आज का Stock Market पूरी तरह से Global है। अमेरिका, यूरोप या चीन में होने वाली एक घटना का सीधा असर भारतीय बाजार पर पड़ता है।

🌍 Geopolitical Tensions (भू-राजनीतिक तनाव)

  • Russia-Ukraine War (2022): इस युद्ध की वजह से Global Level पर Crude Oil, Natural Gas और Food Items की कीमतें आसमान पर पहुंच गईं। भारत जैसे Oil Importing देश के लिए इसका सीधा मतलब था Higher Inflation और Current Account Deficit का बढ़ना। इससे Market में गिरावट आई।
  • Trade Wars: अमेरिका और चीन के बीच Trade War का असर Global Supply Chain पर पड़ा, जिससे कई भारतीय IT और Manufacturing Companies प्रभावित हुईं।

💸 FIIs Flow (विदेशी निवेशक)

भारतीय Stock Market में FIIs (Foreign Institutional Investors) का पैसा एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। जब Global में मुश्किल समय होता है (जैसे US में ब्याज दरें बढ़ना), तो FIIs अपना पैसा निकालकर अपने देश ले जाते हैं। इससे Market में भारी बिकवाली (Selling) होती है और Index नीचे आ जाते हैं। 2008 की Global Financial Crisis में FIIs की Selling की वजह से Sensex लगभग 60% गिर गया था।

सीख: Global News पर नज़र रखें, खासकर US Federal Reserve के फैसलों और Oil Prices पर। लेकिन इनके चलते panic selling न करें। Long-Term View बनाए रखें।


🟢 सेक्शन 9: Technology & Disruption Risk - नई Technology का तूफान

आज Technology इतनी तेजी से बदल रही है कि कोई Business चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर वह खुद को नहीं बदलता, तो उसे बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता।

📱 Disruption of Old Business Models (पुराने Business Models का टूटना)

  • Telecom: Landline → Mobile → 4G (Jio) के disruption ने पुरानी कंपनियों like RCom, Aircel को खत्म कर दिया।
  • Digital Cameras: Kodak, जो Film Camera का राजा था, Digital Camera के आगे Fail हो गया क्योंकि उसने नई Technology को Embrace नहीं किया।
  • Electric Vehicles (EV): आने वाले समय में EVs, Petrol-Diesel cars की जगह ले सकती हैं। इससे Oil Companies और Traditional Auto Parts Manufacturers पर Risk मंडरा रहा है। वहीं, बैटरी बनाने वाली कंपनियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है।

🏦 Digital Shift in Banking & Finance

FinTech Companies और Digital Payment Apps (like PhonePe, Google Pay) ने Traditional Banking के तरीकों को चुनौती दी है। जो Banks खुद को Tech-Savvy नहीं बना पा रहे, उनके लिए मुश्किल समय आ सकता है।

सीख: उन Companies में निवेश करें जो Research & Development (R&D) पर खर्च करती हैं और Future के लिए तैयार हैं। जो Companies पुराने तरीकों पर अटकी हैं, उनसे दूर रहें।


🟢 सेक्शन 10: Case Studies & Data - हकीकत की पड़ताल

आइए, अब कुछ Real-Life Indian Examples देखते हैं जो इन जोखिमों को समझने में हमारी मदद करेंगे।

📉 5 Stocks जो जोखिम की वजह से Collapse हुए:

  1. Satyam Computers: Corporate Governance Risk.
  2. Yes Bank: Business Risk, Bad Loans, Management Failure.
  3. DHFL: Debt Trap, Fraud.
  4. Suzlon Energy: Huge Debt, Sectoral Slowdown.
  5. Vodafone Idea: Policy Risk (AGR Case), Fierce Competition.

📈 5 Stocks जो जोखिमों को Manage करके Multibagger बने:

  1. Reliance Industries: Technology Disruption (Jio) को Embrace किया, Debt कम किया।
  2. Infosys/TCS: Global Changes के साथ खुद को ढाला, Strong Governance।
  3. Bajaj Finance: Financial Sector में Innovation करता रहा।
  4. Asian Paints: Strong Brand, Low Debt, Consistent Performance.
  5. Page Industries: Monopoly-like business, Exceptional Management.

Graphical Representation (कल्पना करें):

  • Graph 1: 2000-2023 के बीच Sensex का Returns vs Inflation Rate। दिखाएगा कि Long Term में Equity ने Inflation को हराया।
Sensex long term return chart
Sensex long term return chart

  • Graph 2: Policy Announcements (जैसे Demonetization, LTCG Tax) के बाद Market की Short-Term Reaction और Long-Term Recovery।


🟢 सेक्शन 11: Solutions & Risk Management - जोखिम को कैसे करें कम?

जोखिम को पूरी तरह से ख़त्म तो नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे Manage ज़रूर किया जा सकता है।

📊 Diversification (विविधीकरण) - "सारे अंडे एक टोकरी में मत रखो"

Diversification का मतलब सिर्फ 20-30 शेयर खरीद लेना नहीं है। असली Diversification है:

  • Different Sectors: IT, FMCG, Banking, Pharma आदि अलग-अलग Sectors में निवेश।
  • Different Asset Classes: सिर्फ Shares ही नहीं, बल्कि Debt (Bonds, FDs), Gold, और Real Estate में भी पैसा लगाएं।
  • Market Cap Diversification: Large-Cap (Stable), Mid-Cap (Growth), Small-Cap (Risky) का mix।

🧾 Risk Profiling (अपनी Risk Profile पहचानें)

आपकी उम्र, Income, Financial Goals और Risk लेने की क्षमता के आधार पर आपकी एक Risk Profile बनेगी।

  • Young Investor: Long Time Horizon की वजह से ज़्यादा Equity में निवेश कर सकता है।
  • Retired Person: उसे Regular Income चाहिए, इसलिए उसे Debt और Dividend Stocks पर Focus करना चाहिए।

🎯 Asset Allocation (सम्पत्ति का बंटवारा)

यह Risk Management का सबसे Powerful Tool है। अपने पोर्टफोलियो का एक Fixed Ratio तय करें।

  • Example: 60% Equity, 30% Debt, 10% Gold।
  • Market के उतार-चढ़ाव पर इस Ratio को बनाए रखने के लिए Rebalancing करें (जैसे Equity बढ़ने पर कुछ Profit Book करके Debt में डालें)।

🚦 Exit Plan & Stop Loss

किसी भी शेयर को खरीदने से पहले तय कर लें कि आप किस Price पर उसे बेचकर बाहर निकलेंगे अगर Things go wrong.

  • Stop Loss: Technical Analysis के आधार पर एक Price तय करें, जहां आप अपना नुकसान कम करके निकल जाएंगे।
  • Fundamental Deterioration: अगर कंपनी के Fundamentals बिगड़ते हैं (जैसे Debt बढ़ना, Management में scam), तो बिना देर किए उसे बेच दें, भले ही नुकसान क्यों न हो।

🧠 Mindset Control: Investor vs Trader

  • Investor: Business का हिस्सा मालिक है। वह Long-Term (5-10+ years) के लिए सोचता है। Short-Term Noise को ignore करता है।
  • Trader: Price Movements से पैसा बनाता है। वह Short-Term (दिन, हफ्ते, महीने) के लिए trade करता है। उसके लिए Discipline और Stop Loss बहुत ज़रूरी है।

दोनों अलग-अलग Mindset हैं। आपको तय करना है कि आप कौन हैं और उसी के according Strategy बनानी है।

यह भी पढ़ें: 👉👉 Long Term Investors की असफलता: 7 छुपे कारण जो कोई नहीं बताता


🟢 निष्कर्ष (Conclusion)

शेयर बाजार एक खेल नहीं है, बल्कि Wealth Creation का एक Serious Tool है। और इस Tool को इस्तेमाल करने की कुंजी है "जोखिम को समझना"

इस लंबी चर्चा से एक बात तो स्पष्ट है कि शेयर बाजार में असली जोखिम सिर्फ कीमतों का गिरना नहीं है। यह एक Multilayered (बहु-स्तरीय) concept है, जिसमें Business Risk, Psychological Risk, Policy Risk जैसे कई पहलू शामिल हैं।

जोखिम से डरना नहीं चाहिए, क्योंकि "बिना जोखिम के कोई इनाम नहीं मिलता"। बस, उसे पहचानकर, Understand करके और Manage करके ही आप Long Term में Successful Investor बन सकते हैं।

Market के Winners वो नहीं होते जो जोखिम से भागते हैं, बल्कि वो होते हैं जो उसे अपने terms पर Manage करना जानते हैं। शेयर बाजार की जिंदगी में जोखिम एक दोस्त की तरह है, जिसे अगर आप समझ गए, तो सफलता आपके कदम चूमेगी।

अंतिम संदेश: जानकार बनिए, निवेश कीजिए, और सुरक्षित रहिए। ✅


❓ Frequently Asked Questions (FAQ)

Q1: क्या शेयर बाजार risk-free हो सकता है?
Ans: जी नहीं। कोई भी Investment जो Return देती है, उसमें कुछ न कुछ Risk ज़रूर होता है। शेयर बाजार में Risk को पूरी तरह ख़त्म नहीं किया जा सकता, बस Manage किया जा सकता है। Fixed Deposit जैसे Safe Options में भी Inflation Risk और Low Return का Risk होता है।

Q2: Market Risk और Business Risk में मुख्य अंतर क्या है?
Ans: Market Risk पूरे Market के गिरने का Risk है, जो Temporary होता है। जब Market सुधरता है तो अच्छे Stocks recover कर जाते हैं। Business Risk किसी specific कंपनी या Industry के Fail होने का Risk है, जो Permanent Loss का कारण बन सकता है।

Q3: क्या Long-Term Investing risk-free है?
Ans: Long-Term Investing Risk को कम ज़रूर करती है, लेकिन खत्म नहीं करती। अगर आपने गलत Business (जैसे Kodak) में Long-Term Investment कर दी, तो आपका पैसा डूब सकता है। इसलिए, Long-Term Investing तभी काम करती है जब आप Strong Fundamentals वाली कंपनियों में निवेश करें।

Q4: Inflation के Risk से कैसे बचा जा सकता है?
Ans: Inflation से बचने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसी Assets में निवेश करना जो Inflation से faster Rate पर Grow करती हों। ऐतिहासिक रूप से, Equity (Shares) और Real Estate ने Long Term में Inflation को मात दी है। अपने Portfolio में Equity की Allocation बनाए रखें।


⚠️ Disclaimer (अस्वीकरण)

यह लेख सिर्फ Educational Purpose के लिए है। यह Stock Recommendations या Financial Advice नहीं है। शेयर बाजार में निवेश Market Risks के अधीन है। निवेश करने से पहले अपने Financial Advisor से सलाह ज़रूर लें या खुद की पूरी Research (अनुसंधान) करें। लेख में दिए गए Examples पुराने Performance पर आधारित हैं, Future Results की कोई गारंटी नहीं है। SEBI की website (https://www.sebi.gov.in/) पर Investor Resources का इस्तेमाल करें।

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