Gold ETF क्या होता है? | Gold ETF Meaning, Benefits, Types in Hindi

Hemant Saini
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Gold ETF क्या होता है? | डिजिटल गोल्ड में निवेश की A to Z गाइड - Meaning, Benefits, Types in Hindi 🪙📊

🧭 1. Introduction (परिचय)

आपने अक्सर अपने बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा, "सोना सबसे सुरक्षित निवेश है।" जी हाँ, सदियों से सोना न सिर्फ गहनों का, बल्कि एक मजबूत निवेश का भी प्रतीक रहा है। लेकिन जमाना बदल गया है। आज के इस डिजिटल युग में सोने की भौतिक सलाखों या सिक्कों को संभालकर रखना, उनकी सुरक्षा का चिंता करना, और शुद्धता को लेकर आशंकाएं होना आम बात है।

इन्हीं चुनौतियों का समाधान लेकर आया है Gold ETF यानी गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड। यह एक ऐसा जरिया है जो पारंपरिक सोने की खूबियों को आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ता है। आज के निवेशक गोल्ड ईटीएफ को इसलिए पसंद कर रहे हैं क्योंकि यह उन्हें बिना भौतिक सोना खरीदे, उसमें निवेश करने का मौका देता है।

Gold ETF को अक्सर "डिजिटल गोल्ड" भी कहा जाता है। क्यों? क्योंकि आपका सोना अब लॉकर में नहीं, बल्कि आपके डीमैट अकाउंट में सुरक्षित रहता है। जैसे आप शेयर खरीदते और बेचते हैं, ठीक वैसे ही आप गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स को भी शेयर बाजार में खरीद और बेच सकते हैं।

इस लेख में हम आपको गोल्ड ईटीएफ के बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी देंगे। आप जानेंगे कि गोल्ड ईटीएफ क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके क्या फायदे और नुकसान हैं, इसमें निवेश कैसे करें, टैक्स कैसे लगता है और भारत के टॉप गोल्ड ईटीएफ कौन से हैं। तो चलिए, इस डिजिटल गोल्ड की दुनिया की सैर शुरू करते हैं।

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🟡 2. Gold ETF क्या होता है? (Meaning & Concept)

Gold ETF की परिभाषा

सरल शब्दों में कहें तो, गोल्ड ईटीएफ (Gold Exchange Traded Fund) एक तरह का म्यूचुअल फंड है जो पूरी तरह से शुद्ध सोने पर आधारित होता है। जब आप गोल्ड ईटीएफ का एक यूनिट खरीदते हैं, तो इसका मतलब है कि आपने उस फंड में रखे गए भौतिक सोने का एक छोटा सा हिस्सा खरीद लिया है। इसे शेयर बाजार (जैसे BSE और NSE) में बिल्कुल किसी कंपनी के शेयर की तरह ही खरीदा और बेचा जा सकता है।

इसका working structure कैसे होता है?

गोल्ड ईटीएफ का पूरा ढांचा काफी सरल और पारदर्शी है। एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) जैसे कि SBI, HDFC, या Nippon, गोल्ड ईटीएफ लॉन्च करती है। यह कंपनी भौतिक सोना खरीदकर उसे अत्यधिक सुरक्षित वॉल्टों (जैसे बैंक की तिजोरियों) में जमा कर देती है। फिर, उस भौतिक सोने के against, वह ईटीएफ के यूनिट्स जारी करती है। इन यूनिट्स को निवेशक शेयर बाजार से खरीद लेते हैं।

इसे शेयर बाजार में कैसे trade किया जाता है?

जैसे ही कोई कंपनी आईपीओ (IPO) लाती है, उसी तरह गोल्ड ईटीएफ भी शुरुआत में एनएफओ (NFO) के जरिए आता है। उसके बाद, यह स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हो जाता है। अब कोई भी निवेशक अपने ट्रेडिंग अकाउंट से, ट्रेडिंग घंटों के दौरान, ऑर्डर लगाकर गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकता है। इसकी कीमत बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर घटती-बढ़ती रहती है।

Physical Gold से यह कैसे अलग है?

  • सुरक्षा: फिजिकल गोल्ड को आपको अपने पास सुरक्षित रखना होता है, जबकि गोल्ड ईटीएफ का गोल्ड बैंक की वॉल्ट में सुरक्षित रहता है।
  • शुद्धता: फिजिकल गोल्ड खरीदते समय शुद्धता (purity) की चिंता रहती है, जबकि गोल्ड ईटीएफ 99.5% शुद्ध (24 कैरेट) सोने पर आधारित होता है।
  • लिक्विडिटी: फिजिकल गोल्ड बेचने के लिए आपको ज्वैलर या सराफा बाजार जाना पड़ सकता है, जबकि गोल्ड ईटीएफ को एक क्लिक में बेचा जा सकता है।
  • मूल्य: फिजिकल गोल्ड में मेकिंग चार्ज और जीएसटी (GST) जुड़ता है, जबकि गोल्ड ईटीएफ में सिर्फ एक छोटा सा एक्सपेंस रेशियो लगता है।
Goldbees ETF long term chart
Goldbees ETF long term chart

💹 3. Gold ETF कैसे काम करता है? (How It Works)

Gold ETF के पीछे actual gold कैसे store किया जाता है?

यह इस पूरी प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा सीधे भौतिक सोना खरीदने में लगता है। एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) इस पैसे से शुद्ध (99.5% 24 कैरेट) सोने की सलाखें (bars) खरीदती है। इन सलाखों को भारत में ही सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त, उच्च सुरक्षा वाली वॉल्ट्स में रखा जाता है। एक कस्टोडियन (जैसे कोई बड़ा बैंक) इस सोने की सुरक्षा और देखभाल की जिम्मेदारी लेता है।

Fund house और Stock exchange की भूमिका

  • फंड हाउस (AMC): यह गोल्ड ईटीएफ का निर्माता और प्रबंधक है। इसका काम सोना खरीदना, स्टोर करना, ईटीएफ यूनिट्स जारी करना और उनका दैनिक प्रबंधन करना है।
  • स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE): एक्सचेंज एक बाजार की तरह काम करता है जहां खरीदार और विक्रेता आपस में मिलते हैं। यह गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स की ट्रेडिंग को संभव बनाता है और कीमतों में पारदर्शिता लाता है।

NAV (Net Asset Value) क्या होती है?

NAV यानी नेट एसेट वैल्यू। इसे समझना बहुत जरूरी है। NAV का मतलब है फंड की कुल संपत्ति की कुल कीमत को, फंड के बकाया यूनिट्स की संख्या से भाग देने पर प्राप्त मूल्य। सीधे शब्दों में कहें तो, एक यूनिट की वास्तविक कीमत ही NAV है।

उदाहरण: अगर किसी गोल्ड ईटीएफ फंड के पास 100 किलो सोना है और सोने की कीमत 6000 रुपये प्रति ग्राम है, तो फंड की कुल संपत्ति = 100 * 1000 * 6000 = 60,00,00,000 (60 करोड़) रुपये। अगर इस फंड के 1 करोड़ यूनिट्स बाजार में हैं, तो NAV होगी = 60 करोड़ / 1 करोड़ = 60 रुपये प्रति यूनिट।

Gold ETF का price कैसे तय होता है?

गोल्ड ईटीएफ की बाजार कीमत दो चीजों पर निर्भर करती है:

  1. अंतर्निहित सोने की कीमत: अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव।
  2. मांग और आपूर्ति: शेयर बाजार में उस विशेष ईटीएफ के यूनिट्स की मांग कितनी है।

आमतौर पर, गोल्ड ईटीएफ की बाजार कीमत उसकी NAV के बहुत करीब होती है, लेकिन कभी-कभी मांग ज्यादा होने पर यह NAV से ऊपर (Premium) और आपूर्ति ज्यादा होने पर NAV से नीचे (Discount) भी ट्रेड कर सकती है।

Example 

मान लीजिए, Nippon India Gold ETF का 1 यूनिट, 1 ग्राम सोने के बराबर है। अगर आज सोने की कीमत 6000 रुपये प्रति ग्राम है, तो इस ईटीएफ का NAV लगभग 6000 रुपये के आसपास होगा। अगर बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा है, तो आप देख सकते हैं कि इसकी ट्रेडिंग कीमत 6020 रुपये हो गई है (प्रीमियम)। और अगर मांग कम है, तो कीमत 5980 रुपये (डिस्काउंट) पर भी हो सकती है।

यह भी पढ़ें: 👉👉 ETFs vs Mutual Funds vs Direct Stocks – असली गेम कौन जीतता है?


🪙 4. Gold ETF में निवेश कैसे करें? (How to Invest in Gold ETF)

गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना बहुत ही आसान है अगर आपके पास जरूरी चीजें हैं। चलिए स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

Demat और Trading account की जरूरत

चूंकि गोल्ड ईटीएफ शेयर बाजार में ट्रेड होता है, इसलिए इसके लिए डीमैट अकाउंट (Dematatisation Account) और ट्रेडिंग अकाउंट (Trading Account) का होना अनिवार्य है। डीमैट अकाउंट एक डिजिटल लॉकर की तरह है जहां आपके गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स इलेक्ट्रॉनिक रूप में स्टोर रहते हैं। ट्रेडिंग अकाउंट वह जरिया है जिसके through आप खरीदने और बेचने का ऑर्डर देते हैं।

Zerodha, Groww, Upstox जैसे platforms से खरीदने का तरीका

आजकल ऑनलाइन डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स ने इस प्रक्रिया को बेहद सरल बना दिया है। Zerodha, Groww, Upstox, Angel One जैसे प्लेटफॉर्म्स पर आप आसानी से डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोल सकते हैं।

Step-by-step guide

  1. अकाउंट खोलें: सबसे पहले किसी भी रजिस्टर्ड ब्रोकर के साथ अपना डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें। इसके लिए आपको पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक की डिटेल्स और कुछ बुनियादी दस्तावेजों की जरूरत होगी।
  2. अकाउंट फंड करें: अपने ट्रेडिंग अकाउंट में उतने पैसे ट्रांसफर करें (जमा करें) जितने से आप गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स खरीदना चाहते हैं।
  3. लॉगिन करें: अपने ब्रोकर के ऐप या वेबसाइट पर लॉगिन करें।
  4. Gold ETF ढूंढें: सर्च बार में उस गोल्ड ईटीएफ का नाम टाइप करें जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं, जैसे "NIPPON GOLD ETF"।
  5. ऑर्डर दें: उसके ट्रेडिंग पेज पर जाएं। 'BUY' का ऑप्शन चुनें।
  6. ऑर्डर कन्फर्म करें: सभी डिटेल्स चेक करने के बाद 'Buy' बटन पर क्लिक कर दें।
  7. आपके डीमैट में जोड़: एक बार ऑर्डर execute होने के बाद, खरीदे गए यूनिट्स आपके डीमैट अकाउंट में T+2 दिनों के अंदर जमा हो जाएंगे। (T= ट्रेडिंग का दिन)।

Minimum investment amount और charges

1.) न्यूनतम निवेश: गोल्ड ईटीएफ में निवेश की कोई फिक्स्ड लिमिट नहीं है। चूंकि आप एक यूनिट भी खरीद सकते हैं, इसलिए न्यूनतम निवेश 1 यूनिट की कीमत के बराबर होगा, जो लगभग 5000-6000 रुपये के आसपास हो सकता है।

2.) चार्जेस:

  • ब्रोकरेज: खरीदने और बेचने पर एक छोटा सा ब्रोकरेज चार्ज लगता है। (Zerodha, Groww जैसे प्लेटफॉर्म्स पर यह बहुत कम है)।
  • एक्सपेंस रेशियो: यह एएमसी को दिया जाने वाला वार्षिक शुल्क है, जो आमतौर पर 0.3% से 0.5% के बीच होता है। यह सीधे NAV में से काट लिया जाता है, इसलिए आपको अलग से भुगतान नहीं करना पड़ता।
  • स्टांप ड्यूटी, GST, आदि: कुछ मामूली सरकारी चार्जेस भी लगते हैं।


💼 5. Gold ETF में निवेश के फायदे (Benefits of Gold ETF)

गोल्ड ईटीएफ में निवेश के कई ठोस फायदे हैं जो इसे फिजिकल गोल्ड से बेहतर बनाते हैं।

✅ Physical gold से बेहतर liquidity
फिजिकल गोल्ड को बेचने में समय लग सकता है और आपको सही कीमत नहीं मिल पाती। वहीं, गोल्ड ईटीएफ को आप शेयर बाजार के खुलने के समय किसी भी पल, एक क्लिक में बेच सकते हैं और पैसा अगले ही दिन आपके बैंक अकाउंट में आ सकता है।

✅ Storage & safety issues खत्म
सोने की सलाखों या गहनों को सुरक्षित रखने की चिंता अब नहीं रहेगी। गोल्ड ईटीएफ का सोना बैंक की वॉल्ट में सुरक्षित रहता है और आपके यूनिट्स आपके डीमैट अकाउंट में सुरक्षित रहते हैं।

✅ Purity assurance (24K 99.5%)
फिजिकल गोल्ड खरीदते समय हमेशा शुद्धता की शंका बनी रहती है। गोल्ड ईटीएफ हमेशा 99.5% शुद्ध (24 कैरेट) सोने पर आधारित होता है। इसमें मिलावट की कोई गुंजाइश नहीं है।

✅ Easy buy/sell via stock exchange
खरीदारी और बिकवाली की प्रक्रिया बिल्कुल सरल है। आप घर बैठे-बैठे अपने मोबाइल फोन से ही कुछ ही सेकंड में ट्रेड कर सकते हैं।

✅ Transparent pricing
गोल्ड ईटीएफ की कीमत पूरी तरह से पारदर्शी है। आप रियल टाइम में देख सकते हैं कि आपके यूनिट्स की कीमत क्या है। NAV रोजाना declare की जाती है और सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमत भी सार्वजनिक होती है।

✅ Tax benefits & diversification
हालांकि गोल्ड ईटीएफ पर सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) जैसी टैक्स छूट नहीं मिलती, लेकिन लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है, जिससे टैक्स का बोझ कम हो सकता है। साथ ही, यह आपके पोर्टफोलियो को Diversify करने का बेहतरीन तरीका है।

✅ SIP के जरिए systematic investment
अब आप गोल्ड ईटीएफ में भी SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कर सकते हैं। इसका मतलब है कि आप हर महीने एक फिक्स रकम का निवेश कर सकते हैं। इससे रुपये की लागत कम होती है और बड़ा कोष बनाने में मदद मिलती है।

यह भी पढ़ें: 👉👉 क्या ETF SIP, म्यूचुअल फंड SIP से बेहतर है?


⚠️ 6. Gold ETF में निवेश के नुकसान (Risks & Disadvantages)

हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। गोल्ड ईटीएफ के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है।

❌ Annual expense ratio (management charges)
गोल्ड ईटीएफ मुफ्त में मैनेज नहीं होता। एएमसी इसके लिए एक वार्षिक शुल्क (एक्सपेंस रेशियो) लेती है, जो आमतौर पर 0.3% से 0.5% तक होता है। यह चार्ज सीधे आपके रिटर्न को थोड़ा सा कम कर देता है।

❌ Market price vs NAV difference
कई बार शेयर बाजार में गोल्ड ईटीएफ की ट्रेडिंग कीमत उसकी वास्तविक कीमत (NAV) से कम (डिस्काउंट) या ज्यादा (प्रीमियम) पर हो सकती है। अगर आप प्रीमियम पर खरीदारी करते हैं तो आपको नुकसान हो सकता है।

❌ No physical delivery option
गोल्ड ईटीएफ में निवेश का सबसे बड़ा नुकसान कुछ लोगों के लिए यही है कि आप इसे भौतिक सोने में बदल नहीं सकते। आपके पास हमेशा डिजिटल यूनिट्स ही रहेंगे, सोने की कोई सलाख या सिक्का नहीं।

❌ Stock market dependency
चूंकि गोल्ड ईटीएफ शेयर बाजार के through खरीदे-बेचे जाते हैं, इसलिए आपको निवेश करने के लिए डीमैट/ट्रेडिंग अकाउंट की जरूरत होती है, जो एक अतिरिक्त कदम है। साथ ही, आप सिर्फ ट्रेडिंग घंटों के दौरान ही ट्रेड कर सकते हैं।

❌ Tracking error risk
कभी-कभी, गोल्ड ईटीएफ का performance अंतर्निहित सोने की कीमतों के performance से थोड़ा अलग हो सकता है। इसे ही ट्रैकिंग एरर कहते हैं। यह एसेट मैनेजमेंट की लागतों या अन्य तकनीकी कारणों से हो सकता है।


📊 7. भारत के टॉप Gold ETFs (Top Gold ETFs in India 2025)

अब हम भारत में उपलब्ध कुछ प्रमुख और विश्वसनीय गोल्ड ईटीएफ के बारे में जानेंगे। यह जानकारी आपको सही ईटीएफ चुनने में मदद करेगी। (नोट: सभी डेटा उदाहरण के लिए हैं और समय के साथ बदल सकते हैं। निवेश से पहले लेटेस्ट डेटा जरूर चेक करें)।

ETF NameFund HouseAUM (करोड़ ₹)1-Year ReturnExpense RatioLaunch Year
Nippon India Gold ETFNippon India AMC~2,50013.5%0.40%2007
HDFC Gold ETFHDFC AMC~1,80013.3%0.35%2010
SBI Gold ETFSBI Mutual Fund~2,20013.2%0.42%2009
ICICI Prudential Gold ETFICICI Prudential AMC~1,50013.6%0.50%2010
Axis Gold ETFAxis Mutual Fund~90013.4%0.38%2011
Kotak Gold ETFKotak Mahindra AMC~70013.1%0.45%2010

Performance analysis (past 3–5 years return comparison)

पिछले 5 वर्षों में गोल्ड ईटीएफ ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। कोविड-19 महामारी के दौरान अनिश्चितता बढ़ने के कारण सोना एक सुरक्षित पनाहगाह (safe haven) के रूप में उभरा और इसकी कीमतों में तेजी आई। उदाहरण के लिए, Nippon India Gold ETF ने पिछले 5 वर्षों में लगभग 12-14% का annualized return दिया है।

किस ETF में consistency ज्यादा है?

जब consistency की बात आती है, तो Nippon India Gold ETF और SBI Gold ETF जैसे पुराने और बड़े AUM (Assets Under Management) वाले फंड्स ने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। बड़ा AUM इस बात का संकेत है कि निवेशकों का इन फंड्स पर भरोसा है।

Long-term performance insights

लंबे समय (10 साल या उससे अधिक) के नजरिए से देखें तो, गोल्ड ईटीएफ ने मुद्रास्फीति (inflation) को मात देने वाले रिटर्न दिए हैं। यह महंगाई के खिलाफ एक अच्छे हेज (बचाव) के रूप में काम करता है। हालांकि, यह याद रखना जरूरी है कि सोना short-term में उतार-चढ़ाव से गुजर सकता है, इसलिए इसे हमेशा long-term perspective से ही देखना चाहिए।


💰 8. Gold ETF vs Physical Gold vs Sovereign Gold Bond

अब हम गोल्ड ईटीएफ की तुलना सोने में निवेश के दो अन्य लोकप्रिय तरीकों – फिजिकल गोल्ड और सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) – से करेंगे।

FeatureGold ETFPhysical GoldSovereign Gold Bond (SGB)
Form (रूप)डिजिटल यूनिट्सगहने, सिक्के, बिस्कुटगवर्नमेंट बॉन्ड
Liquidity (तरलता)बहुत High (स्टॉक एक्सचेंज पर)Medium (ज्वैलर पर निर्भर)Medium (स्टॉक एक्सचेंज पर, लेकिन लिक्विडिटी कम)
Safety (सुरक्षा)बहुत High (वॉल्ट + डीमैट में)चोरी/गुम होने का डरसबसे Safe (सरकार द्वारा जारी)
Purity (शुद्धता)गारंटीड (99.5%)शंका बनी रहती हैगारंटीड
Making Charges/Expense Ratio0.3%-0.5% p.a.8-15% (मेकिंग चार्ज + GST)कोई नहीं
Tax Benefit (टैक्स लाभ)LTCG पर इंडेक्सेशनकोई नहींब्याज और LTCG दोनों पर छूट
Physical Deliveryनहींहाँनहीं
न्यूनतम निवेश~1 यूनिट (~₹5000)~1 ग्राम (~₹6000+)1 ग्राम यूनिट (~₹5000)
अवधिकोई लॉक-इन नहींकोई लॉक-इन नहीं8 साल (5वें साल के बाद एग्जिट)
अतिरिक्त आयकोई नहींकोई नहीं2.5% p.a. का फिक्स्ड ब्याज

कौन किसके लिए बेहतर है?

  • Gold ETF: उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो शुद्ध, लिक्विड और सुरक्षित तरीके से सोने में निवेश करना चाहते हैं और जिन्हें फिजिकल डिलीवरी की जरूरत नहीं है। ट्रेडर्स और एक्टिव इन्वेस्टर्स के लिए आदर्श।
  • Physical Gold: उन लोगों के लिए जो गहने के रूप में सोना पसंद करते हैं या भौतिक रूप से सोना रखना चाहते हैं। जरूरत पड़ने पर तुरंत गिरवी रखा जा सकता है।
  • Sovereign Gold Bond (SGB): लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर्स के लिए सबसे बेहतर विकल्प। अगर आप 8 साल तक निवेश रोक सकते हैं, तो टैक्स फ्री रिटर्न और फिक्स्ड ब्याज के कारण SGB सबसे ज्यादा फायदेमंद है।


🧩 9. Gold ETF के प्रकार (Types of Gold ETF)

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि गोल्ड ईटीएफ बस एक ही तरह का होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। मुख्य रूप से इसके निम्नलिखित प्रकार हैं:

Pure Gold ETFs (based on gold price)
यह सबसे आम और लोकप्रिय प्रकार का गोल्ड ईटीएफ है। ये ईटीएफ सीधे तौर पर भौतिक सोने की कीमतों से जुड़े होते हैं। जैसे ही सोने की कीमत बढ़ती है, इस ईटीएफ के यूनिट्स की कीमत भी बढ़ती है। हमने अभी तक जिन ईटीएफ के बारे में चर्चा की है, वे सभी इसी श्रेणी में आते हैं।

International Gold ETFs (exposure to global gold markets)
ये ईटीएफ भारतीय सोने की कीमतों पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार (जैसे लंदन या न्यूयॉर्क) में सोने की कीमतों पर आधारित होते हैं। ये इन्वेस्टर्स को वैश्विक सोने की कीमतों में एक्सपोजर देते हैं। भारत में ये अभी उतने आम नहीं हैं।

Gold Mining ETFs (companies related to gold mining)
ये ईटीएफ सीधे सोने पर नहीं, बल्कि उन कंपनियों के शेयरों पर आधारित होते हैं जो सोना खोदने (Gold Mining) का काम करती हैं। इनका performance सोने की कीमत और कंपनी के प्रबंधन दोनों पर निर्भर करता है, इसलिए ये Pure Gold ETFs की तुलना में थोड़े जोखिम भरे हो सकते हैं।

Hybrid ETFs (gold + debt combination)
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, ये हाइब्रिड ईटीएफ सोने और डेट (ऋण) सिक्योरिटीज दोनों में निवेश करते हैं। इसका मकसद सोने के जोखिम को डेट की स्थिरता के साथ संतुलित करना है। यह उन इन्वेस्टर्स के लिए अच्छा विकल्प है जो थोड़ा कम जोखिम लेना चाहते हैं।


🔍 10. Gold ETF की Taxation (Tax Rules & Returns)

गोल्ड ईटीएफ पर टैक्स का नियम दूसरे इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स से अलग है। इसे एक नॉन-इक्विटी (Debt-like) asset के रूप में माना जाता है।

Short Term vs Long Term Capital Gains

  • Short Term Capital Gain (STCG): अगर आप गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स को खरीदने की तारीख से 3 साल के अंदर बेचते हैं, तो इस पर मिलने वाला लाभ Short Term Capital Gain माना जाएगा। यह लाभ आपकी सामान्य आय में जुड़ जाएगा और आपकी इनकम टैक्स स्लैब के according टैक्स लगेगा।
  • Long Term Capital Gain (LTCG): अगर आप गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स को 3 साल बाद बेचते हैं, तो इस पर मिलने वाला लाभ Long Term Capital Gain माना जाएगा।

LTCG Tax with Indexation (after 3 years)

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है, लेकिन इसमें इंडेक्सेशन (Indexation) का फायदा मिलता है। इंडेक्सेशन का मतलब है, महंगाई के हिसाब से आपकी खरीदारी की कीमत (Cost of Acquisition) को बढ़ा दिया जाता है, जिससे टैक्सेबल लाभ (Taxable Gain) कम हो जाता है।

उदाहरण: मान लीजिए आपने 2020 में एक गोल्ड ईटीएफ का यूनिट 4000 रुपये में खरीदा। आप इसे 2024 में 6000 रुपये में बेचते हैं। बिना इंडेक्सेशन के लाभ = 2000 रुपये।
इंडेक्सेशन के बाद: सरकार द्वारा जारी कॉस्ट इनफ्लेशन इंडेक्स (CII) के आधार पर आपकी एडजस्टेड खरीद कीमत बढ़कर, मान लेते हैं, 4800 रुपये हो जाती है।
अब टैक्सेबल लाभ = 6000 - 4800 = 1200 रुपये।
इस 1200 रुपये पर 20% की दर से टैक्स लगेगा = 240 रुपये। बिना इंडेक्सेशन के 2000 रुपये पर 20% = 400 रुपये टैक्स लगता।

Gold ETF vs SGB taxation difference

यह एक बहुत बड़ा अंतर है। SGB में अगर आप पूरी 8 साल की अवधि तक निवेश रखते हैं, तो मैच्योरिटी पर मिलने वाला पूरा लाभ पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। साथ ही, हर साल मिलने वाला 2.5% ब्याज भी टैक्सेबल होता है। वहीं, गोल्ड ईटीएफ में चाहे आप कितने भी साल तक रख लें, LTCG टैक्स तो देना ही पड़ेगा।


🏦 11. Gold ETF में SIP कैसे करें? (Systematic Investment Plan in Gold ETF)

गोल्ड ईटीएफ में SIP करना बहुत ही आसान और फायदेमंद है। SIP का मतलब है कि आप हर महीने एक निश्चित रकम का निवेश करते हैं।

SIP के जरिए छोटा निवेश कैसे बड़ा बनता है

SIP की मदद से आप रुपये की औसत लागत (Rupee Cost Averaging) का फायदा उठाते हैं। जब कीमत कम होती है तो आपके पैसे से ज्यादा यूनिट्स खरीदे जाते हैं और जब कीमत ज्यादा होती है तो कम यूनिट्स। इससे आपकी एक यूनिट की औसत खरीद कीमत कम रहती है।

Monthly SIP example calculation

मान लीजिए आप हर महीने गोल्ड ईटीएफ में 5000 रुपये की SIP करते हैं।

महीनाNAV (₹)खरीदे गए यूनिट्स
जनवरी50001.000
फरवरी48001.042
मार्च52000.962
कुल-3.004

3 महीने बाद आपके कुल 3.004 यूनिट्स हैं। आपकी औसत लागत = 15000 / 3.004 = ₹4993.34। जबकि औसत NAV (5000+4800+5200)/3 = 5000 रुपये था। आपने औसत से कम कीमत पर यूनिट्स खरीदे।

Compounding benefit explain करें

जब आप लंबे समय तक SIP जारी रखते हैं, तो आपके द्वारा कमाए गए रिटर्न पर भी रिटर्न मिलने लगता है। इसे चक्रवृद्धि ब्याज (Compounding) कहते हैं। 10-15 साल की SIP एक बहुत बड़ा कोष बना सकती है।


📈 12. Gold ETF से कितना Return मिल सकता है?

गोल्ड ईटीएफ से मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह से सोने की वैश्विक कीमतों पर निर्भर करता है। सोना एक volatile asset है, इसलिए इसके रिटर्न साल-दर-साल अलग-अलग हो सकते हैं।

पिछले 5–10 सालों के ऐतिहासिक रिटर्न

पिछले 10 वर्षों (2014-2024) में गोल्ड ईटीएफ ने लगभग 8-10% का annualized return दिया है। हालांकि, कुछ विशेष सालों में यह रिटर्न 20% से भी ऊपर गया है (जैसे 2019-2020 में), तो कुछ सालों में यह नेगेटिव भी रहा है। लंबी अवधि में देखें तो सोना हमेशा ही एक स्थिर और मजबूत निवेश साबित हुआ है।

Expert forecast for 2025–2030

ज्यादातर वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति का दबाव और केंद्रीय बैंकों द्वारा सोना खरीदने जैसे कारणों से सोने की कीमतों में मध्यम से लंबी अवधि में तेजी बनी रह सकती है। हालांकि, कोई भी पूर्वानुमान पूरी तरह सही नहीं होता, इसलिए निवेश हमेशा अपने जोखिम सहनशीलता के according ही करें।


💬 13. Gold ETF से जुड़ी सामान्य गलतफहमियाँ (Myths vs Reality)

गोल्ड ईटीएफ को लेकर कई तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं। आइए उन्हें दूर करते हैं।

❌ Myth: Gold ETF = Physical Gold?
Reality: बिल्कुल नहीं। गोल्ड ईटीएफ में आपके पास सोने का भौतिक स्वामित्व नहीं होता। आपके पास सिर्फ एक डिजिटल यूनिट होता है जो सोने की कीमत से जुड़ा होता है।

❌ Myth: Delivery possible है क्या?
Reality: नहीं, गोल्ड ईटीएफ के यूनिट्स को भौतिक सोने में बदलना (physical delivery लेना) संभव नहीं है।

❌ Myth: High risk वाला product है क्या?
Reality: गोल्ड ईटीएफ अपेक्षाकृत कम जोखिम वाला उत्पाद है क्योंकि यह सोने पर आधारित है जो आर्थिक मंदी के समय में सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है। हालांकि, कीमतों में उतार-चढ़ाव का जोखिम तो रहता ही है।

❌ Myth: ETFs सिर्फ experts के लिए हैं क्या?
Reality: बिल्कुल नहीं। गोल्ड ईटीएF शुरुआती निवेशकों के लिए भी एक बेहतरीन उत्पाद है क्योंकि यह सरल, पारदर्शी और आसानी से समझ आने वाला है।


🧠 14. Beginner Tips for Gold ETF Investors

अगर आप गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने जा रहे हैं, तो इन बातों का ध्यान रखें:

✅ सही ETF चुनने के तरीके: उस ईटीएफ को चुनें जिसका AUM (Assets Under Management) बड़ा हो और जो किसी विश्वसनीय एएमसी द्वारा मैनेज किया जा रहा हो। बड़ा AUM बेहतर लिक्विडिटी का संकेत है।
✅ Expense ratio और tracking error पर ध्यान दें: कम एक्सपेंस रेशियो वाले ईटीएF को प्राथमिकता दें क्योंकि इसका सीधा असर आपके रिटर्न पर पड़ता है। साथ ही, कम ट्रैकिंग एरर वाला ईटीएफ चुनें।
✅ Short term trading vs long term holding: गोल्ड ईटीएF को शॉर्ट टर्म के लिए ट्रेड करने के बजाय लॉन्ग टर्म (3 साल से ज्यादा) के लिए होल्ड करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। इससे आपको LTCG के टैक्स लाभ भी मिलते हैं।
✅ Portfolio diversification strategy: अपने कुल निवेश का केवल 5-15% हिस्सा ही गोल्ड ईटीएफ में लगाएं। इसे अपने पोर्टफोलियो को Diversify करने के एक टूल के रूप में इस्तेमाल करें, न कि एकमात्र निवेश के रूप में।


🧾 15. Gold ETF खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखें

निवेश का अंतिम फैसला लेने से पहले इन बातों की जांच जरूर कर लें:

🔎 AMC की credibility: एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) कितनी बड़ी और विश्वसनीय है? उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है?
🔎 Fund performance history: ईटीएफ ने पिछले 3, 5 और 10 सालों में कैसा प्रदर्शन किया है? क्या यह लगातार अपने बेंचमार्क (सोने की कीमत) को ट्रैक कर पा रहा है?
🔎 Liquidity और AUM size: ईटीएफ का AUM कितना बड़ा है? बाजार में इसकी ट्रेडिंग वॉल्यूम कितनी है? ज्यादा लिक्विड ईटीएफ खरीदने और बेचने में आसानी देता है।
🔎 Expense ratio comparison: अलग-अलग ईटीएफ के एक्सपेंस रेशियो की तुलना करें और कोशिश करें कि सबसे कम एक्सपेंस रेशियो वाला ईटीएफ चुनें।


🌎 16. Global Gold ETFs (International Perspective)

दुनिया में सबसे बड़े गोल्ड ईटीएफ अमेरिका में हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध हैं:

  • SPDR Gold Shares (GLD): यह दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड ईटीएफ है। इसका AUM सैकड़ों अरबों डॉलर में है।
  • iShares Gold Trust (IAU): यह दूसरा सबसे बड़ा गोल्ड ईटीएफ है और इसका एक्सपेंस रेशियो GLD से कम है।

कैसे Indian investors global ETFs में indirectly invest कर सकते हैं?

भारतीय निवेशक सीधे तौर पर इन ग्लोबल ईटीएफ में निवेश नहीं कर सकते। हालांकि, कुछ भारतीय म्यूचुअल फंड ऐसे फंड ऑफ फंड्स (FoFs) लॉन्च करते हैं जो इन विदेशी गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। इस तरह से आप अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल गोल्ड ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं।


🧮 17. Real-Life Example / Case Study

मान लीजिए रमेश ने जनवरी 2015 में Nippon India Gold ETF के 10 यूनिट्स 2500 रुपये प्रति यूनिट की कीमत पर खरीदे। उसने कुल 25,000 रुपये का निवेश किया।

आज, मार्च 2025 में, मान लेते हैं कि इस ईटीएफ का NAV 6500 रुपये प्रति यूनिट है।

  • रमेश की निवेश की वैल्यू अब = 10 * 6500 = 65,000 रुपये
  • उसका कुल लाभ = 65,000 - 25,000 = 40,000 रुपये

चूंकि उसने 3 साल (वास्तव में 10 साल) से ज्यादा समय तक निवेश रखा, यह लाभ LTCG है। इंडेक्सेशन के बाद उसे लगभग 20% टैक्स देना होगा, जो कि बिना इंडेक्सेशन के टैक्स से कम होगा। फिर भी, उसका निवेश 10 साल में 160% से अधिक बढ़ गया, जो एक शानदार रिटर्न है।


🧩 18. Expert Opinion & Market Trends

Financial experts क्या कहते हैं?

ज्यादातर वित्तीय सलाहकार गोल्ड ईटीएफ को हर पोर्टफोलियो का एक जरूरी हिस्सा मानते हैं। वे कहते हैं कि यह न सिर्फ डायवर्सिफिकेशन करता है बल्कि मार्केट की गिरावट के समय पोर्टफोलियो को स्थिरता भी प्रदान करता है।

Gold ETF future demand

डिजिटलाइजेशन के इस दौर में युवा निवेशकों की पहुंच शेयर बाजार तक आसान हो गई है। ऐसे में, गोल्ड ईटीएफ जैसे उत्पादों की मांग लगातार बढ़ने की उम्मीद है।

RBI और SEBI का regulation role

भारत में सभी गोल्ड ईटीएF सेबी (SEBI - Securities and Exchange Board of India) द्वारा Regulated होते हैं। सेबी यह सुनिश्चित करती है कि हर गोल्ड ईटीएफ के पास उसके AUM के बराबर भौतिक सोना जमा हो। यह निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और पारदर्शिता लाता है।


💬 19. FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1: क्या Gold ETF में physical gold मिलता है?
Ans: नहीं, गोल्ड ईटीएफ में आपको भौतिक सोना नहीं मिलता। आपको सोने की कीमत से जुड़े हुए डिजिटल यूनिट्स मिलते हैं जो आपके डीमैट अकाउंट में स्टोर रहते हैं।

Q2: क्या Demat account जरूरी है?
Ans: हां, गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होना अनिवार्य है।

Q3: क्या Gold ETF safe होता है?
Ans: जी हां, यह एक बहुत ही सुरक्षित निवेश है क्योंकि यह भौतिक सोने पर आधारित है और सेबी द्वारा Regulated है। हालांकि, कीमतों में उतार-चढ़ाव का जोखिम हमेशा रहता है।

Q4: क्या Gold ETF में SIP किया जा सकता है?
Ans: हां, जी हां! अब ज्यादातर ब्रोकर और एएमसी गोल्ड ईटीएफ में SIP की सुविधा देते हैं। आप हर महीने एक फिक्स रकम का निवेश कर सकते हैं।

Q5: Gold ETF बेचने पर tax लगता है क्या?
Ans: हां, लगता है। 3 साल से कम समय में बेचने पर आपकी सामान्य आय पर टैक्स लगेगा। 3 साल बाद बेचने पर 20% की दर से टैक्स लगेगा, लेकिन इंडेक्सेशन का benefit मिलेगा।


🏁 20. Conclusion (निष्कर्ष)

गोल्ड ईटीएफ आधुनिक जमाने के निवेशक के लिए सोने में निवेश का एक बेहतरीन, सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका है। यह फिजिकल गोल्ड की सभी खूबियों को तो रखता ही है, साथ ही उससे जुड़ी परेशानियों जैसे स्टोरेज, शुद्धता और सुरक्षा की चिंता को भी दूर करता है।

अगर आप एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर हैं और अपने पोर्टफोलियो में Diversification चाहते हैं, तो गोल्ड ईटीएF एक शानदार विकल्प है। हालांकि, अगर आप 8 साल तक निवेश को रोक सकते हैं और टैक्स बचाना चाहते हैं, तो सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) पर भी गंभीरता से विचार कर सकते हैं।

आपकी वित्तीय यात्रा में गोल्ड ईटीएफ एक मजबूत और चमकदार स्तंभ साबित हो सकता है। बस याद रखें, किसी भी निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहनशीलता को अवश्य समझ लें।


⚖️ 21. Disclaimer Section

अस्वीकरण (Disclaimer): यह लेख केवल शैक्षणिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। यह किसी भी प्रकार की निवेश सलाह, वित्तीय सलाह या कानूनी सलाह नहीं है। लेख में दी गई किसी भी जानकारी पर अमल करने से पहले अपने योग्य वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से सलाह अवश्य लें। निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है, निवेश करने से पहले सभी संबंधित दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। लेखक और वेबसाइट किसी भी निवेश निर्णय से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।

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