SEBI के मुताबिक कौन सी Trading Activities Illegal हैं?

Hemant Saini
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🟢 1. Introduction – ट्रेडिंग में नियमों का महत्व

शेयर बाजार एक ऐसा जीवंत बाजार है जहां पल भर में लाखों लोग खुशियां कमाते हैं और कुछ ही पलों में निराशा भी हाथ लगती है। यह बाजार सपनों का बाजार है, लेकिन इसकी एक अलग ही दुनिया है। यह दुनिया सिर्फ मुनाफे के बारे में नहीं है, बल्कि यह नियमों और अनुशासन के इर्द-गिर्द घूमती है। कल्पना कीजिए, अगर सड़क पर ट्रैफिक लाइट्स न हों, कोई नियम न हों, तो क्या होगा? हड़बड़ी, दुर्घटनाएं और अराजकता फैल जाएगी। ठीक वैसे ही, शेयर बाजार के लिए SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया वह ट्रैफिक पुलिस है, जो यह सुनिश्चित करती है कि बाजार में सब कुछ निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चले।

SEBI की भूमिका केवल नियम बनाने तक सीमित नहीं है। यह एक संरक्षक की तरह काम करता है, जो छोटे और बड़े हर निवेशक के हितों की रक्षा करता है। यह सुनिश्चित करता है कि बाजार में सभी को बराबर का मौका मिले और कोई भी व्यक्ति या समूह गलत तरीके से दूसरों का नुकसान करके फायदा न उठा पाए। अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं या ट्रेडिंग करते हैं, तो SEBI के इन नियमों को समझना आपके लिए सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि एक जरूरत है। ❓ क्यों? क्योंकि अगर आप नहीं जानेंगे कि क्या गलत है, तो हो सकता है आप अनजाने में ही किसी गैरकानूनी गतिविधि का शिकार हो जाएं या फिर उसका हिस्सा बन जाएं।

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गलत ट्रेडिंग गतिविधियों में शामिल होने के परिणाम बहुत भारी हो सकते हैं। इसमें सिर्फ पैसे का नुकसान ही नहीं, बल्कि भारी जुर्माना, ट्रेडिंग पर प्रतिबंध, और यहां तक कि जेल की सजा भी हो सकती है। ऐसी किसी भी स्थिति में फंसने से बेहतर है कि हम पहले से ही जागरूक हो जाएं।

इस लेख में, हम कदम-दर-कदम चलेंगे और SEBI द्वारा परिभाषित सभी प्रमुख गैरकानूनी ट्रेडिंग गतिविधियों को बहुत ही आसान भाषा में समझेंगे। हम उदाहरणों के साथ जानेंगे कि ये गतिविधियां कैसे काम करती हैं, SEBI इन्हें कैसे पकड़ती है, और सबसे महत्वपूर्ण, आप खुद को इनसे कैसे बचा सकते हैं। तो चलिए, इस जरूरी सफर की शुरुआत करते हैं और अपने निवेश को सुरक्षित और सफल बनाने की दिशा में पहला कदम उठाते हैं। 🚀


🟣 2. SEBI क्या है और इसका अधिकार क्षेत्र

SEBI को समझे बिना हम शेयर बाजार के नियमों को ठीक से नहीं समझ सकते। तो आइए, सबसे पहले जानते हैं कि SEBI आखिर है कौन।

SEBI की स्थापना कब और क्यों हुई?
SEBI की स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई थी। शुरुआत में इसे सिर्फ एक अर्ध-वैधानिक दर्जा मिला था, यानी इसके पास नियम बनाने की पूरी शक्ति नहीं थी। लेकिन 1992 में SEBI Act पारित होने के बाद, इसे एक स्वतंत्र और पूर्ण अधिकार वाले वैधानिक बोर्ड का दर्जा मिल गया। क्यों? क्योंकि 80 और 90 के दशक में भारतीय शेयर बाजार में बहुत सारे घोटाले और हेराफेरी की घटनाएं हुईं। निवेशकों का विश्वास डगमगा रहा था। ऐसे में एक ऐसे मजबूत नियामक की जरूरत थी जो बाजार पर नजर रख सके, निवेशकों के हितों की रक्षा कर सके और बाजार को स्थिरता प्रदान कर सके। और इस तरह SEBI एक पूर्ण शक्ति संपन्न संस्था बनकर उभरी।

SEBI का मुख्य उद्देश्य: निवेशक सुरक्षा, निष्पक्ष ट्रेडिंग, पारदर्शिता
SEBI के तीन मुख्य उद्देश्य हैं जो इसकी हर गतिविधि का आधार हैं:

  1. निवेशकों के हितों का संरक्षण: यह SEBI का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। SEBI यह सुनिश्चित करती है कि निवेशकों के साथ किसी प्रकार का कोई धोखा न हो, उन्हें सही और पूरी जानकारी मिले, और अगर उनके साथ कोई अन्याय हो तो उसकी सुनवाई का एक मंच उपलब्ध हो।
  2. प्रतिभूति बाजार (Securities Market) का विकास: SEBI बाजार में नई और अच्छी प्रथाओं को बढ़ावा देती है, ताकि बाजार आधुनिक और कुशल बना रहे। यह नई तकनीकों और उत्पादों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
  3. बाजार को विनियमित करना: SEBI ब्रोकर्स, म्यूचुअल फंड, कंपनियों और अन्य सभी बाजार सहभागियों पर नजर रखती है, ताकि यह पक्का हो सके कि सब कानून का पालन कर रहे हैं और कोई गैरकानूनी गतिविधि नहीं चल रही।

SEBI किन Entities को Regulate करता है?
SEBI का दायरा बहुत विशाल है। यह निम्नलिखित सभी पर नजर रखती है और उनके लिए नियम बनाती है:

  • स्टॉक ब्रोकर और डिपॉजिटरी प्रतिभागी: जैसे Zerodha, Upstox, Angel One, आदि।
  • म्यूचुअल फंड हाउस: जैसे SBI Mutual Fund, HDFC Mutual Fund, ICICI Prudential, आदि।
  • पोर्टफोलियो मैनेजर: जो आपकी ओर से पैसा लगाते हैं।
  • इन्वेस्टमेंट एडवाइजर: जो निवेश की सलाह देते हैं।
  • कंपनियां: जो स्टॉक एक्सचेंजों में लिस्टेड हैं।
  • क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां: जैसे CRISIL, CARE।
  • मर्चेंट बैंकर: जो कंपनियों के IPO लाने में मदद करते हैं।

कौन से कानून SEBI को Power देते हैं?
SEBI को उसका अधिकार कई कानूनों से मिलता है, जिनमें से प्रमुख हैं:

  • SEBI Act, 1992: यह SEBI का मुख्य कानून है जिसने इसे कानूनी शक्ति प्रदान की।
  • Securities Contracts (Regulation) Act, 1956: यह स्टॉक एक्सचेंजों और सिक्योरिटीज की ट्रेडिंग को रेगुलेट करता है।
  • Depositories Act, 1996: यह डीमैट खातों और डिपॉजिटरीज (NSDL, CDSL) के कामकाज को नियंत्रित करता है।
  • SEBI (Prohibition of Fraudulent and Unfair Trade Practices relating to Securities Market) Regulations, 2003: यह धोखाधड़ी और अनुचित ट्रेडिंग प्रथाओं पर रोक लगाता है। इसे हम अक्सर PFUTP Regulations कहते हैं।
  • SEBI (Prohibition of Insider Trading) Regulations, 2015: यह इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकने के लिए बना एक बहुत ही सख्त कानून है।

2025 तक हुए नए सुधार (RegTech, Algorithm Monitoring, Fake Guru Crackdown)
SEBI समय के साथ खुद को अपडेट करती रहती है। हाल के वर्षों में, इसने टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल करते हुए कई नए सुधार किए हैं:

  • RegTech (Regulatory Technology): SEBI ने खुद की निगरानी प्रणाली को और मजबूत किया है। अब AI और मशीन लर्निंग की मदद से बाजार के डेटा का रियल-टाइम विश्लेषण किया जाता है, ताकि संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न को तुरंत पकड़ा जा सके।
  • Algorithm Monitoring: Algo ट्रेडिंग के बढ़ते चलन के बीच, SEBI ने सख्त नियम बनाए हैं। अब हर Algo को SEBI और एक्सचेंजों के पास रजिस्टर्ड करना जरूरी है, ताकि कोई स्पूफिंग (Spoofing) या लेयरिंग (Layering) जैसी हेराफेरी न कर पाए।
  • Fake Guru Crackdown: 2023-24 में SEBI ने सोशल मीडिया पर 'फाइनेंसियल इन्फ्लुएंसर्स' या 'फेक गुरुओं' पर बड़ी कार्रवाई की। ऐसे सैकड़ों अनरजिस्टर्ड एडवाइजर्स के खिलाफ कार्यवाही की गई जो YouTube, Telegram और WhatsApp पर गैरकानूनी स्टॉक टिप्स दे रहे थे और निवेशकों को ठग रहे थे। SEBI ने साफ कर दिया है कि बिना RIA (Registered Investment Adviser) रजिस्ट्रेशन के कोई भी पैसे लेकर निवेश की सलाह नहीं दे सकता।

इस तरह, SEBI एक सजग और सक्रिय संस्था के रूप में लगातार बाजार की निगरानी कर रही है ताकि हर निवेशक सुरक्षित महसूस कर सके। 🛡️

यह भी पढ़ें: 👉👉 शेयर मार्केट में फ्रॉड से बचें – SEBI के Fraud Detection Rules समझें


🔴 3. Illegal Trading Activities – पूरी लिस्ट और Examples

अब हम उन गैरकानूनी गतिविधियों की गहराई में जाएंगे, जिन्हें SEBI सख्ती से प्रतिबंधित करती है। इनमें से कुछ नाम आपने पहले भी सुने होंगे, लेकिन यहां हम हर एक को विस्तार से समझेंगे।

🔹 (A) Insider Trading (अंदरूनी सूचना का गलत इस्तेमाल)

परिभाषा: इनसाइडर ट्रेडिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी की 'अनपब्लिश्ड प्राइस सेंसिटिव इनफार्मेशन' (UPSI) का इस्तेमाल खुद के फायदे या किसी और के फायदे के लिए शेयरों में ट्रेडिंग करने में करता है। यह शायद सबसे गंभीर वित्तीय white-collar crimes में से एक माना जाता है।

  • अनपब्लिश्ड: वह जानकारी जो अभी तक आम जनता तक नहीं पहुंची है।
  • प्राइस सेंसिटिव इनफार्मेशन: वह जानकारी जो सार्वजनिक होते ही कंपनी के शेयर की कीमत को प्रभावित कर सकती है। जैसे: तिमाही नतीजे, बोनस शेयर, विलय या अधिग्रहण, बड़ा ऑर्डर मिलना, सीईओ का इस्तीफा, आदि।

उदाहरण: मान लीजिए, कंपनी ABC Ltd. के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) को पता है कि कंपनी के इस साल के नतीजे बहुत खराब आने वाले हैं। यह जानकारी अभी सार्वजनिक नहीं हुई है। वह इस जानकारी का इस्तेमाल करते हुए, नतीजे आने से पहले ही, बाजार में अपने सारे शेयर बेच देता है। नतीजे आने के बाद जब शेयर की कीमत गिरती है, तो उसने अपने आप को नुकसान से बचा लिया। यहीं पर वह गलत कर रहा है। उसने आम निवेशकों, जिन्हें यह जानकारी नहीं थी, के मुकाबले एक अनुचित लाभ ले लिया। यही इनसाइडर ट्रेडिंग है।

SEBI Regulation 2015 के तहत सज़ा: SEBI (Prohibition of Insider Trading) Regulations, 2015 इस मामले में बहुत सख्त है। सजा के तौर पर 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना या इनसाइडर ट्रेडिंग से हुए मुनाफे/नुकसान से तीन गुनी रकम (इनमें से जो भी अधिक हो) वसूली की जा सकती है। इसके अलावा, अदालत द्वारा जेल की सजा भी हो सकती है।

कैसे SEBI इसे ट्रैक करता है: SEBI के पास बहुत शक्तिशाली टूल्स हैं। वह कंपनी के अंदरूनी लोगों (Insiders) की सूची रखती है। जब भी कोई बड़ी कीमत में उतार-चढ़ाव होता है, SEBI उन सभी लोगों की ट्रेडिंग हिस्ट्री चेक करती है जिनके पास उस जानकारी तक पहुंच थी। वह कॉल रिकॉर्ड्स, ईमेल, और ट्रेडिंग के पैटर्न का विश्लेषण करती है कि क्या ट्रेडिंग सार्वजनिक जानकारी से पहले हुई थी।

Real Case: Infosys Insider Trading Case (2020): SEBI ने Infosys के कुछ अधिकारियों पर इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप लगाया था। आरोप था कि उन्होंने कंपनी के वित्तीय मापदंडों (Margins) के बारे में अंदरूनी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए, उस जानकारी के सार्वजनिक होने से पहले शेयर बेचे थे। इस मामले में SEBI ने कड़ी कार्रवाई की।

🔹 (B) Front Running (ब्रोकर्स द्वारा पहले खरीद लेना)

परिभाषा: फ्रंट रनिंग एक ऐसी अवैध प्रथा है जिसमें कोई ब्रोकर, पोर्टफोलियो मैनेजर, या कोई अन्य फाइनेंसियल प्रोफेशनल, अपने क्लाइंट के बड़े ऑर्डर (जो शेयर की कीमत को प्रभावित कर सकता है) से पहले, खुद के लिए या किसी रिश्तेदार के लिए उसी शेयर में ट्रेड करता है।

उदाहरण: मान लीजिए, एक बड़ा म्यूचुअल फंड (जैसे HDFC Mutual Fund) किसी छोटे शेयर 'XYZ Ltd.' के 10 लाख शेयर खरीदने का ऑर्डर देने वाला है। इस बड़े ऑर्डर के बाजार में आते ही शेयर की कीमत बढ़ने की उम्मीद है। अब, अगर उस म्यूचुअल फंड में काम करने वाला कोई कर्मचारी या उससे जुड़ा ब्रोकर इस ऑर्डर के बारे में जानता है और ऑर्डर देने से ठीक पहले खुद के लिए XYZ Ltd. के शेयर खरीद लेता है। जब म्यूचुअल फंड का बड़ा ऑर्डर मार्केट में आता है और कीमत बढ़ती है, तो वह व्यक्ति अपने शेयर ऊंचे दाम पर बेचकर मुनाफा कमा लेता है। यहां उसने अपने क्लाइंट (म्यूचुअल फंड के यूनिट होल्डर्स) के हितों के साथ विश्वासघात किया है।

SEBI Front Running Guidelines और Penalties: SEBI फ्रंट रनिंग को 'फ्रॉडलेंट एंड अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस' मानती है। इसके लिए सजा में जुर्माना, ट्रेडिंग बैन, और किसी भी वित्तीय संस्था में काम करने पर प्रतिबंध शामिल हो सकता है।

Real Case: Axis Mutual Fund Front Running Case (2022): यह मामला काफी चर्चा में रहा। Axis Mutual Fund के एक फंड मैनेजर और एक डीलर पर आरोप लगे कि उन्होंने फंड के बड़े ऑर्डर्स से पहले अपने और अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रेडिंग की थी। इसकी शिकायत फंड हाउस ने खुद SEBI से की थी। इस मामले ने पूरे म्यूचुअल फंड उद्योग में हलचल मचा दी थी और इस बात का अलर्ट दिया कि किस तरह अंदरूनी लोग सिस्टम का गलत फायदा उठा सकते हैं।

🔹 (C) Pump and Dump Schemes (बढ़ावा और फेंकना)

परिभाषा: यह एक ऐसी साजिश है जहां एक समूह पहले से ही किसी छोटे और कम ट्रेडिंग वॉल्यूम वाले शेयर (अक्सर पेनी स्टॉक) को कम दाम पर खरीद लेता है। फिर वे उस शेयर के बारे में झूठी और अतिशयोक्तिपूर्ण अच्छी खबरें फैलाकर उसकी कीमत को Artificial तरीके से बढ़ाते (Pump) हैं। जब आम निवेशक इस झांसे में आकर ऊंचे दामों पर शेयर खरीदने लगते हैं, तो यह समूह अपने सारे शेयर बेच (Dump) देता है, जिससे कीमत अचानक गिर जाती है और आम निवेशक फंस जाते हैं।

कैसे यह "Retail Investors Trap" बन जाता है: यह स्कीम सीधे-सीधे छोटे निवेशकों को निशाना बनाती है। सोशल मीडिया के जमाने में ऐसा करना और भी आसान हो गया है। ऑपरेटर Telegram Groups, YouTube Channels, WhatsApp Messages के जरिए झूठे टिप्स फैलाते हैं, जैसे "यह शेयर 100% अगले हफ्ते Upper Circuit जाएगा", "बड़ा Multibagger स्टॉक", आदि। भोले-भाले निवेशक लालच में आकर इन शेयरों में पैसा लगा देते हैं और फिर जब ऑपरेटर बेचकर निकल जाते हैं, तो उनका पैसा डूब जाता है।

SEBI की नयी सोशल मीडिया गाइडलाइन और Crackdown Action: SEBI ने इस मामले में बहुत सतर्कता बरती है। उसने साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दी जा रही 'टिप्स' भी SEBI के नियमों के दायरे में आती हैं। बिना RIA रजिस्ट्रेशन के कोई भी पैसे लेकर या पैसे कमाने के इरादे से सलाह नहीं दे सकता। हाल में, SEBI ने सैकड़ों अनरजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनमें कई लोकप्रिय सोशल मीडिया 'फाइनेंस इन्फ्लुएंसर्स' भी शामिल थे। SEBI ने उनके खिलाफ जुर्माना लगाया और उन्हें सलाह देने से रोक दिया।

Example: किसी पेनी स्टॉक 'ABC Infra' का शेयर 10 रुपये का है। एक ऑपरेटर ग्रुप इसे खरीद लेता है। फिर वे फेक न्यूज फैलाते हैं कि "ABC Infra को सरकार से 500 करोड़ का ऑर्डर मिला है"। यह खबर वायरल होती है और लोग 15, 20, 25 रुपये में शेयर खरीदने लगते हैं। जब कीमत 30 रुपये पहुंचती है, तो ऑपरेटर ग्रुप अपने सारे शेयर बेच देता है। अब कोई खरीदार नहीं होता और शेयर वापस 10 रुपये या उससे भी नीचे आ जाता है। आम निवेशकों का पैसा लॉक हो जाता है।

🔹 (D) Circular Trading & Wash Trades (गोलाकार व्यापार और दिखावटी सौदे)

परिभाषा: सर्कुलर ट्रेडिंग और वॉश ट्रेड्स वे सौदे होते हैं जहां ट्रेडिंग का उद्देश्य वास्तव में शेयर का मालिकाना हक बदलना नहीं, बल्कि बाजार में कृत्रिम ट्रेडिंग वॉल्यूम (Artificial Volume) पैदा करना होता है।

  • वॉश ट्रेड: एक ही व्यक्ति या समूह एक ही शेयर को एक ही कीमत पर खरीदता और बेचता है। जैसे, A, B को शेयर बेचता है और फिर B वही शेयर वापस A को बेच देता है। इससे बाजार में वॉल्यूम तो बढ़ता दिखता है, लेकिन शेयर की असल मालकियत नहीं बदलती।
  • सर्कुलर ट्रेडिंग: इसमें दो या दो से अधिक लोग शामिल होते हैं। जैसे, A, B को शेयर बेचता है, B, C को बेचता है, और C वही शेयर वापस A को बेच देता है। इस तरह एक गोलाकार चक्र बन जाता है।

उदाहरण: मान लीजिए, कोई ऑपरेटर किसी शेयर 'PQR Ltd.' में दिलचस्पी पैदा करना चाहता है ताकि दूसरे निवेशक उसे खरीदें। वह अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर एक प्लान बनाता है। वह 1000 शेयर अपने दोस्त A को 50 रुपये में बेचता है। फिर A वही 1000 शेयर दोस्त B को 50 रुपये में बेचता है। फिर B वही शेयर वापस ऑपरेटर को 50 रुपये में बेच देता है। बाहर से देखने पर लगेगा कि PQR Ltd. के 3000 शेयर का कारोबार हुआ है और वॉल्यूम बढ़ गया है। यह एक झूठा संकेत है जो दूसरे निवेशकों को आकर्षित करता है।

SEBI Surveillance Systems इसे कैसे पकड़ते हैं: SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों के पास ऐसे Advance Algorithm हैं जो ऐसे ट्रेडिंग पैटर्न को आसानी से पकड़ लेते हैं। वे उन ट्रेड्स को देखते हैं जहां एक ही शेयर एक ही कीमत पर बार-बार खरीदा-बेचा जा रहा है, या फिर एक ही ग्रुप के लोग आपस में ट्रेड कर रहे हैं। ऐसे पैटर्न मिलते ही अलर्ट जारी हो जाता है और जांच शुरू हो जाती है।

🔹 (E) Fake Research Reports / Stock Tips (नकली रिसर्च रिपोर्ट और शेयर सलाह)

परिभाषा: बिना किसी ठोस रिसर्च के, सिर्फ मुनाफे के लिए, निवेशकों को गलत शेयर सलाह देना या नकली रिसर्च रिपोर्ट बेचना एक गैरकानूनी गतिविधि है।

यह समस्या Telegram, YouTube, और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर बहुत तेजी से फैली है। कई 'गुरु' और 'एनालिस्ट' खुद को विशेषज्ञ बताकर सब्सक्रिप्शन फीस लेते हैं और ऐसे शेयरों के टिप्स देते हैं जिनमें वे खुद पहले से ही निवेश कर चुके होते हैं (Pump and Dump का ही एक रूप)।

SEBI (Investment Adviser) Regulations 2013 के तहत कौन सलाह दे सकता है?
SEBI ने साफ नियम बना रखे हैं कि कोई भी व्यक्ति या संस्था जो पेशेवर रूप से निवेश की सलाह देती है, उसका RIA (Registered Investment Adviser) के तौर पर SEBI के पास रजिस्टर्ड होना जरूरी है। RIA बनने के लिए उसे शैक्षणिक योग्यता, अनुभव और एक परीक्षा पास करनी होती है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सलाह देने वाला व्यक्ति योग्य और जिम्मेदार है।

Fake Guru Crackdown (SEBI's Unregistered Advisors Ban List): जैसा कि पहले बताया, SEBI ने हाल के सालों में इस पर बड़ी कार्रवाई की है। उसने सैकड़ों अनरजिस्टर्ड एडवाइजर्स की एक लिस्ट जारी की है जिन पर कार्रवाई की गई है। SEBI की वेबसाइट पर जाकर कोई भी निवेशक चेक कर सकता है कि जिससे वह सलाह ले रहा है, वह रजिस्टर्ड है या नहीं।

Legal तरीका क्या है Genuine Advisor बनने का? अगर कोई व्यक्ति वास्तव में निवेश सलाह देना चाहता है, तो उसे SEBI की वेबसाइट पर दिए गए प्रोसेस को फॉलो करते हुए RIA रजिस्ट्रेशन लेना होगा। इसके बाद ही वह कानूनी तौर पर फीस लेकर सलाह दे सकता है।

🔹 (F) Price Manipulation via Bulk Deals & Block Deals

परिभाषा: बल्क डील और ब्लॉक डील बड़े सौदे होते हैं जिनकी सूचना एक्सचेंज को देनी होती है। कुछ ऑपरेटर इन बड़े सौदों का इस्तेमाल शेयर की कीमत को मनचाही दिशा में ले जाने के लिए करते हैं। वे जानबूझकर ऊंचे दाम पर बल्क डील करके यह संकेत देते हैं कि शेयर में 'स्मार्ट मनी' आ रही है, जबकि असल में वे खुद ही खरीद और बिक्री कर रहे होते हैं।

कैसे SEBI Volume Spikes और Order-Book Analysis से इनको पकड़ता है: SEBI की सर्विलांस टीम बाजार के असामान्य वॉल्यूम स्पाइक्स (अचानक वॉल्यूम बढ़ना) पर नजर रखती है। वह यह भी देखती है कि बल्क डील किन पार्टियों के बीच हो रही है। अगर एक ही समूह की कंपनियां या एक-दूसरे से जुड़े लोग बार-बार आपस में ही बल्क डील कर रहे हैं, तो यह एक मैनिपुलेशन का संकेत हो सकता है। ऑर्डर बुक का विश्लेषण करके यह पता लगाया जा सकता है कि कौन से ऑर्डर असली हैं और कौन से सिर्फ कीमत को प्रभावित करने के लिए लगाए गए हैं।

Example: Karvy Stock Broking Case: कर्वी के मामले में, ब्रोकरेज ने क्लाइंट के शेयरों का गलत इस्तेमाल करते हुए खुद के लिए ट्रेडिंग की और लोन लिए। इसमें ब्लॉक डील और बल्क डील जैसे रास्ते भी इस्तेमाल किए गए थे, जिससे बाजार में कीमतों को प्रभावित करने की कोशिश की गई।

🔹 (G) Algorithmic & High-Frequency Manipulation

परिभाषा: अल्गोरिदम ट्रेडिंग के जमाने में, हैकर्स और स्मार्ट ट्रेडर्स ने मार्केट को मैनिपुलेट करने के नए तरीके ईजाद किए हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  • स्पूफिंग (Spoofing): इसमें एक ट्रेडर बाजार में झूठे ऑर्डर (जिन्हें वह execute नहीं करना चाहता) लगाता है ताकि दूसरे ट्रेडर्स को कीमत के बारे में गलत संकेत मिलें। जैसे, वह बिक्री के लिए बड़े-बड़े ऑर्डर लगाकर यह दिखाता है कि बिकवाली का दबाव है, जबकि असल में वह खुद खरीदारी करना चाहता है। जैसे ही कीमत गिरती है, वह अपने झूठे ऑर्डर वापस ले लेता है और सस्ते में शेयर खरीद लेता है।
  • लेयरिंग (Layering): यह स्पूफिंग का ही एक जटिल रूप है, जहां एक ही शेयर की अलग-अलग कीमतों पर कई सारे झूठे ऑर्डर लगाए जाते हैं ताकि ऑर्डर बुक को Artificial तरीके से भरा हुआ दिखाया जा सके।

SEBI का नया "Algo Registration Framework" क्या कहता है: SEBI ने Algo ट्रेडिंग पर पूरी नजर रखने के लिए नियम बनाए हैं। अब हर ब्रोकर को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके क्लाइंट्स द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे Algos सही तरीके से एक्सचेंज के पास रजिस्टर्ड हों। ब्रोकर को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी Algo स्पूफिंग या लेयरिंग जैसी गतिविधि नहीं कर रहा है। अगर ऐसा पाया जाता है, तो ब्रोकर और ट्रेडर दोनों पर कार्रवाई हो सकती है।

🔹 (H) Misuse of Client Funds by Brokers (ब्रोकर्स द्वारा क्लाइंट के फंड्स का दुरुपयोग)

परिभाषा: कई बार ब्रोकर्स क्लाइंट्स के पैसे (जो शेयर खरीदने के लिए होते हैं) या क्लाइंट्स के शेयरों (जो डीमैट खाते में होते हैं) का इस्तेमाल खुद के व्यापार के लिए या किसी और को लोन देने के लिए कर लेते हैं। यह बेहद गंभीर गलत काम है।

SEBI Circular: Client vs Pool Account Rules: SEBI ने इस मामले में सख्त नियम बना रखे हैं। ब्रोकर्स के लिए यह जरूरी है कि वे हर क्लाइंट के पैसे और शेयरों को अलग-अलग रखें (Segregation)। उन्हें सभी क्लाइंट्स के पैसे एक साथ मिलाकर एक 'Pool Account' में नहीं रखने चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होता है कि अगर ब्रोकरेज कंपनी को कोई फाइनेंशियल दिक्कत हो भी, तो क्लाइंट के शेयर और पैसे सुरक्षित रहें।

Zerodha / Upstox जैसे Brokers ने इसे कैसे Rectify किया: कर्वी जैसे घोटालों के बाद, सभी बड़े ब्रोकर्स ने अपने सिस्टम को और पारदर्शी बनाया है। अब ज्यादातर डिस्काउंट ब्रोकर्स क्लाइंट के पैसे सीधे एक अलग 'Client Nodal Bank Account' में रखते हैं और शेयर सीधे क्लाइंट के डीमैट खाते में। ब्रोकर का उन पर कोई अधिकार नहीं होता। क्लाइंट्स को भी चाहिए कि वे समय-समय पर अपना Consolidated Account Statement (CAS) डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (NSDL/CDSL) से डाउनलोड करके चेक करते रहें कि उनके सारे शेयर सही हैं या नहीं।

🔹 (I) Unauthorized Trading in Client Accounts (क्लाइंट के खातों में बिना अनुमति के ट्रेडिंग)

परिभाषा: जब एक ब्रोकर बिना क्लाइंट की स्पष्ट अनुमति के उसके खाते में कोई ट्रेडिंग करता है, तो इसे अनऑथराइज्ड ट्रेडिंग कहते हैं। यह क्लाइंट के ट्रस्ट के साथ सीधा विश्वासघात है।

Investor के पास क्या अधिकार हैं? हर निवेशक को यह अधिकार है कि उसके खाते में सिर्फ वही ऑर्डर execute हों जो उसने खुद दिए हों। अगर ब्रोकर ने बिना पूछे कोई ट्रेड किया है और उससे नुकसान हुआ है, तो निवेशक उस नुकसान की भरपाई की मांग कर सकता है।

Complaint कैसे करें? अगर किसी निवेशक के साथ ऐसा होता है, तो उसके पास शिकायत दर्ज करने के कई रास्ते हैं:

  1. ब्रोकरेज कंपनी: सबसे पहले खुद ब्रोकर से शिकायत करें।
  2. स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE): अगर ब्रोकर ने सुनवाई नहीं की, तो NSE या BSE के इन्वेस्टर ग्रिवेंस सेल से संपर्क करें।
  3. SCORES पोर्टल: यह SEBI का ऑनलाइन शिकायत पोर्टल है (https://scores.sebi.gov.in)। यहां आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसकी प्रक्रिया तेज और पारदर्शी है।
  4. Arbitration Process: अगर शिकायत का निपटारा नहीं होता, तो निवेशक आर्बिट्रेशन का रास्ता अपना सकता है, जहां एक तटस्थ अधिकारी दोनों पक्षों की बात सुनकर फैसला सुनाता है।

🔹 (J) Rumor-Based Trading / Fake News Spread (अफवाह और फेक न्यूज)

परिभाषा: सोशल मीडिया के दौर में, अफवाहें फैलाकर शेयर बाजार को प्रभावित करना एक आम बात हो गई है। कोई व्यक्ति या समूह ट्विटर, YouTube, या Telegram पर किसी कंपनी के बारे में झूठी खबर फैलाता है (जैसे कंपनी बंद हो रही है, या कंपनी को बहुत बड़ा ऑर्डर मिला है) ताकि शेयर की कीमत को गिराया या बढ़ाया जा सके।

SEBI का नया AI Surveillance System कैसे Fake News Detect करता है: इस चुनौती से निपटने के लिए SEBI ने Artificial Intelligence (AI) और Natural Language Processing (NLP) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल शुरू किया है। यह सिस्टम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, न्यूज वेबसाइट्स, और अन्य ऑनलाइन स्रोतों पर Real-time में नजर रखता है। जैसे ही कोई ऐसी खबर या ट्रेंड देखता है जो किसी शेयर की कीमत को प्रभावित कर रहा है, वह उसकी सत्यता जांचने लगता है और उसके स्रोत का पता लगाता है।

Example: Adani-related Rumor Cases (2023): 2023 में, अडानी ग्रुप कंपनियों के शेयरों के बारे में कई अफवाहें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थीं। SEBI ने तुरंत इसकी जांच शुरू की और निवेशकों को अफवाहों पर ध्यान न देने की चेतावनी जारी की। इस तरह की त्वरित कार्रवाई बाजार में स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है।

यह भी पढ़ें: 👉👉 SEBI Settlement Scheme Explained – निवेशकों को क्या फायदा?


🟡 4. SEBI की Action Mechanism और Punishment System

अब सवाल उठता है कि आखिर SEBI इन गैरकानूनी गतिविधियों को पकड़ती कैसे है और दोषी पाए जाने पर क्या सजा देती है? आइए जानते हैं।

Surveillance & Alerts System कैसे काम करता है?
SEBI की निगरानी प्रणाली दुनिया की सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक है। यह NSE और BSE के सर्विलांस सिस्टम के साथ पूरी तरह से एकीकृत है। इस सिस्टम में कई लेयर्स हैं:

  • स्मार्ट सर्विलांस सिस्टम: यह सिस्टम रियल-टाइम में हर शेयर की कीमत, वॉल्यूम, ऑर्डर बुक, और ट्रेडिंग पैटर्न को स्कैन करता रहता है। यह पहले से सेट किए गए Parameters के आधार पर काम करता है। जैसे ही कोई असामान्य गतिविधि (जैसे कीमत में एकदम उछाल, वॉल्यूम में अचानक बढ़ोतरी, बार-बार एक ही तरह के ट्रेड) होती है, सिस्टम Automatically एक अलर्ट जनरेट कर देता है।
  • डेटा एनालिटिक्स टीम: इस अलर्ट को SEBI की एक विशेषज्ञ टीम मिलती है, जो डीप एनालिसिस करती है। वे ट्रेडर्स की पहचान, उनके आपसी संबंध, पिछले ट्रेडिंग पैटर्न, और कॉल डिटेल आदि चेक करते हैं।
  • इन्टीग्रेटed मार्केट वॉच टीम: यह टीम पूरे बाजार पर मैक्रो लेवल पर नजर रखती है, ताकि कोई बड़ी साजिश या समन्वित हमला (Coordinated Attack) न चल रहा हो।

Adjudication Process – Show Cause Notice से लेकर Ban तक
जब जांच के बाद SEBI को लगता है कि कानून का उल्लंघन हुआ है, तो वह एक कानूनी प्रक्रिया शुरू करती है:

  1. शो-कॉज नोटिस (Show Cause Notice): SEBI दोषी व्यक्ति या संस्था को एक नोटिस जारी करती है, जिसमें उनसे पूछा जाता है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का क्या जवाब है और वे खुद को क्यों न दोषी मानें।
  2. निजी सुनवाई (Personal Hearing): दोषी व्यक्ति को SEBI के अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है।
  3. आदेश (Order): सभी सबूतों और दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद, SEBI एक आदेश जारी करती है। इसमें दोषी पाए जाने पर सजा सुनाई जाती है।

Penalties: Fine, Account Freeze, Trading Ban, Jail Term
SEBI द्वारा दी जाने वाली सजाएं काफी कठोर होती हैं और अपराध की गंभीरता पर निर्भर करती हैं:

  • जुर्माना (Monetary Penalty): लाखों से लेकर करोड़ों रुपये तक का जुर्माना। इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे मामलों में तो यह अनुमानित मुनाफे/नुकसान से तीन गुना तक हो सकता है।
  • ट्रेडिंग पर प्रतिबंध (Trading Ban): व्यक्ति या संस्था को किसी निश्चित अवधि के लिए या हमेशा के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
  • खाता जमना (Account Freeze): दोषी के डीमैट और ट्रेडिंग खातों को जब्त किया जा सकता है।
  • जेल की सजा (Imprisonment): गंभीर मामलों में, SEBI मामला आगे केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) या अन्य कानूनी अदालतों में भेज सकती है, जहां दोषी को जेल की सजा भी हो सकती है।
  • अन्य प्रतिबंध: किसी भी रजिस्टर्ड इकाई (जैसे ब्रोकर, म्यूचुअल फंड) का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है।


🔵 5. Investor को कैसे पहचानना चाहिए Illegal Activities?

एक आम निवेशक के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि वह खुद को इन गैरकानूनी गतिविधियों से कैसे बचाए। कुछ सरल उपाय इस प्रकार हैं:

Telegram, YouTube या WhatsApp Tips से कैसे बचें?

  • लालच से दूर रहें: अगर कोई आपको "Guaranteed Return", "Sure Shot Tip", "Multibagger in 1 Week" जैसे वादे कर रहा है, तो समझ जाएं कि यह या तो बहुत बड़ा जोखिम है या फिर एक साजिश। शेयर बाजार में कुछ भी गारंटीड नहीं होता।
  • रजिस्ट्रेशन चेक करें: जिससे भी आप पैसे लेकर सलाह लें, सबसे पहले SEBI की वेबसाइट पर जाकर चेक करें कि क्या वह RIA (Registered Investment Adviser) है।
  • फ्री लंच से सावधान: याद रखें, कोई भी आपको मुफ्त में पैसा कमाने का जरिया नहीं देगा। फ्री टिप्स के पीछे अक्सर कोई न कोई मंशा होती है।

कैसे पहचानें कि कोई Operator Manipulation कर रहा है?

  • अचानक बढ़ता वॉल्यूम: अगर किसी छोटे शेयर का वॉल्यूम बिना किसी ठोस खबर के अचानक बहुत ज्यादा बढ़ जाए, तो सतर्क हो जाएं।
  • Media Hype: किसी शेयर के बारे में अचानक सभी न्यूज़ चैनल्स, अखबारों और सोशल मीडिया पर ज्यादा चर्चा होने लगे, तो उसकी वजह जानने की कोशिश करें। कई बार यह प्रचार जानबूझकर कराया जाता है।
  • Upper/Lower Circuit का लगातार लगना: अगर कोई शेयर लगातार कई दिनों तक अपर सर्किट या लोअर सर्किट में ही चल रहा है, तो यह मैनिपुलेशन का संकेत हो सकता है।

Trustworthy Sources कहाँ से लें?

  • आधिकारिक वेबसाइट्स: कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट, NSE, BSE, और SEBI की वेबसाइट सबसे विश्वसनीय स्रोत हैं।
  • Registered Advisors: सिर्फ SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स (RIA) या रजिस्टर्ड रिसर्च एनालिस्ट्स की रिपोर्ट्स पर भरोसा करें।
  • समझदारी से सीखें: निवेश से पहले खुद की जानकारी बढ़ाएं। किताबें पढ़ें, SEBI की इन्वेस्टर एजुकेशन वेबसाइट (https://investor.sebi.gov.in) पर जाएं।


🟢 6. Legal Trading Practices (Safe Side Guide)

गैरकानूनी चीजों से दूर रहने का सबसे अच्छा तरीका है कानूनी रास्ते पर चलना। कुछ सुरक्षित निवेश प्रथाएं इस प्रकार हैं:

Proper Advisor से Consult करना: अगर आपको लगता है कि आप खुद सही निर्णय नहीं ले पा रहे, तो एक SEBI रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर (RIA) की मदद लें। वह आपकी वित्तीय स्थिति और जोखिम लेने की क्षमता के हिसाब से सलाह देगा।

खुद Research करना: अपने निवेश के लिए खुद जिम्मेदार बनें।

  • कंपनी के फंडामेंटल्स देखें: उसके नतीजे, मुनाफा, कर्ज, और प्रबंधन के बारे में पढ़ें।
  • कंपनी की Filings पढ़ें: कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट (Annual Report), तिमाही नतीजे, और एक्सचेंजों को भेजे गए अन्य बयान जरूर पढ़ें।

Transparent Brokers और Exchanges का चुनाव: केवल SEBI रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के साथ ही काम करें। Zerodha, Upstox, ICICI Securities, HDFC Securities जैसे बड़े और पारदर्शी ब्रोकर्स पर भरोसा करें।

Complaint और Redressal System का इस्तेमाल करना: अगर आपके साथ कोई अन्याय होता है, तो डरें नहीं। SCORES पोर्टल, स्टॉक एक्सचेंजों की ग्राहक सेवा, और आर्बिट्रेशन जैसे मंचों का इस्तेमाल करके अपनी बात जरूर रखें।

SEBI Scores Portal
SEBI Scores Portal

यह भी पढ़ें: 👉👉 शेयर मार्केट में फ्रॉड से बचें – SEBI के Fraud Detection Rules समझें


🟠 7. Case Studies (वास्तविक मामले)

आइए, अब कुछ ऐतिहासिक मामलों पर नजर डालते हैं, जिनसे हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है।

1. Karvy Stock Broking Scam (2019)

  • क्या हुआ? कर्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड, एक बड़ी ब्रोकरेज कंपनी, पर आरोप लगा कि उसने हजारों क्लाइंट्स के शेयरों को बिना अनुमति के गिरवी रखकर बैंकों से हज़ारों करोड़ रुपये का लोन ले लिया। उसने क्लाइंट्स के पैसे और शेयरों का सीधा दुरुपयोग किया।
  • SEBI ने क्या किया? SEBI ने कर्वी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। उसके ट्रेडिंग और डीमैट खातों को फ्रीज कर दिया, और आखिरकार उसका ब्रोकर लाइसेंस रद्द कर दिया। साथ ही, कंपनी को क्लाइंट्स के शेयर वापस लौटाने के आदेश दिए।
  • क्या सीख मिली? इस मामले ने निवेशकों को सिखाया कि वे समय-समय पर अपना Consolidated Account Statement (CAS) जरूर चेक करते रहें। साथ ही, बड़े और भरोसेमंद ब्रोकर्स का ही चुनाव करें।

2. NSE Co-location Case (2015-2017)

  • क्या हुआ? यह मामला तकनीकी हेराफेरी का था। आरोप लगे कि NSE के कुछ चुनिंदा ब्रोकर्स को को-लोकेशन सर्विस (जहां उनके सर्वर NSE के सर्वर के पास ही रखे जाते हैं) में गलत फायदा दिया गया। इससे उन्हें बाजार के दूसरे सहभागियों से मिलiseconds पहले मार्केट डेटा मिल जाता था, जिससे वह फ्रंट रनिंग जैसी गतिविधियां कर पाते थे।
  • SEBI ने क्या किया? SEBI ने लंबी जांच के बाद NSE पर भारी जुर्माना लगाया और उन ब्रोकर्स के खिलाफ भी कार्रवाई की जो इससे जुड़े थे। NSE को अपनी को-लोकेशन प्रणाली में सुधार करने के आदेश दिए गए।
  • क्या सीख मिली? इस मामले ने बाजार में तकनीकी पारदर्शिता के महत्व को उजागर किया। SEBI ने इसके बाद Algo ट्रेडिंग और को-लोकेशन सर्विसेज के लिए और सख्त नियम बनाए।

3. Telegram Stock Tips Ban (2023-24)

  • क्या हुआ? SEBI ने पाया कि Telegram और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर सैकड़ों ग्रुप चल रहे हैं, जहां अनरजिस्टर्ड लोग पैसे लेकर स्टॉक टिप्स दे रहे थे और Pump and Drop स्कीम चला रहे थे।
  • SEBI ने क्या किया? SEBI ने ऐसे 89 अनरजिस्टर्ड एडवाइजर्स की एक सूची जारी की और उन पर जुर्माना लगाया। उन्हें निवेश सलाह देने से प्रतिबंधित कर दिया गया। SEBI ने सार्वजनिक रूप से चेतावनी दी कि ऐसे ग्रुप्स में शामिल होने से बचें।
  • क्या सीख मिली? निवेशकों को यह सीख मिली कि सोशल मीडिया पर मिलने वाली "सलाह" पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। हमेशा सलाहकार के रजिस्ट्रेशन की जांच करें।


🔵 8. SEBI के Future Reforms & Technology

SEBI भविष्य की चुनौतियों के लिए लगातार तैयारी कर रही है। आने वाले समय में हम कुछ और बदलाव देख सकते हैं:

SEBI की Roadmap – AI Surveillance, Influencer Regulation, Algorithm Transparency

  • AI और मशीन लर्निंग: SEBI अपनी सर्विलांस क्षमता को और बढ़ाने के लिए AI का और गहन इस्तेमाल करेगी। यह सिस्टम और भी जटिल मैनिपुलेशन पैटर्न को पहचान पाएगा।
  • इन्फ्लुएंसर रेगुलेशन: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर नजर और सख्त होगी। हो सकता है कि भविष्य में फाइनेंसियल कंटेंट पोस्ट करने वाले हर इन्फ्लुएंसर के लिए कुछ दिशा-निर्देश बनाए जाएं।
  • Algorithmic Trading का पूर्ण पारदर्शीकरण: Algo ट्रेडिंग को और ज्यादा Regulate किया जाएगा। हो सकता है कि ब्रोकर्स को यह साबित करना होगा कि उनके Algos किसी भी तरह की मैनिपुलेटिव प्रैक्टिस में शामिल नहीं हैं।

Investor Safety के लिए नया RegTech System: SEBI 'RegTech' और 'SupTech' (Supervisory Technology) को बढ़ावा दे रही है। इससे न केवल निगरानी आसान होगी, बल्कि कंपनियों और ब्रोकर्स के लिए कानूनों का पालन करना भी सरल हो जाएगा।

Future Trend: Full Digital Regulation & Investor Awareness: भविष्य में, शिकायत दर्ज करना, आर्बिट्रेशन, और यहां तक कि SEBI के सामने सुनवाई भी पूरी तरह से डिजिटल हो सकती है। साथ ही, SEBI निवेशक शिक्षा पर और जोर देगी ताकि हर नागरिक एक जागरूक निवेशक बन सके।


⚫ 9. Conclusion (निष्कर्ष)

शेयर बाजार एक समुद्र की तरह है, जिसमें गहराई में खजाने भी हैं और खतरे भी। ईमानदार और नियमों के भीतर रहकर की गई ट्रेडिंग ही दीर्घकालिक सफलता की कुंजी है। गैरकानूनी गतिविधियां शॉर्टकट लग सकती हैं, लेकिन ये रास्ता अंधेरे की ओर ही जाता है, जहां नुकसान, जुर्माना और जेल जैसे परिणाम छिपे हैं।

SEBI के नियम किसी को डराने के लिए नहीं, बल्कि हर उस निवेशक को सुरक्षा कवच देने के लिए हैं, जो इस बाजार पर भरोसा करता है। एक जिम्मेदार निवेशक बनने का मतलब है बाजार के नियमों को समझना, अपना होमवर्क करना, और लालच से दूर रहना।

याद रखें, शेयर बाजार धैर्य और अनुशासन का खेल है। इसे जुए की तरह नहीं खेलना चाहिए। सही ज्ञान, सही दृष्टिकोण और नैतिकता के साथ निवेश करके आप न केवल अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में भी योगदान दे सकते हैं। सुरक्षित निवेश करें, समृद्ध भविष्य बनाएं। 🌟


🟣 10. FAQs Section (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

1. इनसाइडर ट्रेडिंग क्या होता है?
इनसाइडर ट्रेडिंग तब होती है जब कोई व्यक्ति किसी कंपनी की गैर-सार्वजनिक, महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे तिमाही नतीजे, विलय) का इस्तेमाल करके खुद के या दूसरों के फायदे के लिए शेयर खरीदता या बेचता है। यह एक गंभीर अपराध है।

2. पंप एंड डंप स्कीम से कैसे बचें?
लालच में न आएं। "गारंटीड रिटर्न" के वादों से दूर रहें। किसी भी टिप को फॉलो करने से पहले खुद रिसर्च करें। सोशल मीडिया के अनरजिस्टर्ड "गुरुओं" पर भरोसा न करें।

3. क्या Telegram या WhatsApp से टिप्स लेना Illegal है?
टिप्स लेना Illegal नहीं है, लेकिन यह बहुत जोखिम भरा है। हालांकि, पैसे लेकर बिना RIA रजिस्ट्रेशन के टिप्स देना SEBI के नियमों के खिलाफ है और Illegal है।

4. क्या बिना RIA Registration के सलाह देना जुर्म है?
हां, बिल्कुल। SEBI (Investment Advisers) Regulations, 2013 के तहत, बिना RIA रजिस्ट्रेशन के पेशेवर तौर पर निवेश सलाह देना और उसके लिए फीस लेना एक दंडनीय अपराध है।

5. अगर Broker मेरे पैसे Misuse करे तो क्या करूं?
सबसे पहले ब्रोकर से शिकायत करें। अगर कोई हल नहीं निकलता, तो SEBI के SCORES पोर्टल (https://scores.sebi.gov.in) पर ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं। आप स्टॉक एक्सचेंज (NSE/BSE) की ग्राहक सेवा से भी संपर्क कर सकते हैं।

6. SCORES पर Complaint कैसे करें?
SEBI SCORES पोर्टल पर जाएं, एक अकाउंट बनाएं, और 'File a Complaint' का विकल्प चुनें। आपको ब्रोकर/कंपनी का नाम, अपना विवरण और शिकायत का विवरण दर्ज करना होगा। यह प्रक्रिया बहुत आसान और उपयोगकर्ता-अनुकूल है।

7. सर्कुलर ट्रेडिंग कैसे Detect होती है?
SEBI और स्टॉक एक्सचेंजों के पास Advance Algorithm होते हैं जो ऐसे ट्रेडिंग पैटर्न को पकड़ लेते हैं जहां एक ही शेयर एक ही ग्रुप के लोगों के बीच बार-बार खरीदा-बेचा जा रहा होता है, बिना वास्तविक मालिकाना हक बदले।

8. SEBI को Illegal Activity Report करने की Process क्या है?
आप SEBI की शिकायत प्रकोष्ठ (Complaint Cell) को ईमेल (complaints@sebi.gov.in) कर सकते हैं या SCORES पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आप चाहें तो SEBI के क्षेत्रीय कार्यालयों में भी लिखित शिकायत दे सकते हैं।

9. क्या Algo Trading सबके लिए Allowed है?
जी हां, Algo Trading Retail Investors के लिए allowed है, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। आपका ब्रोकर SEBI और एक्सचेंजों के सामने उस Algo को रजिस्टर करवाएगा। साथ ही, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका Algo स्पूफिंग या लेयरिंग जैसी मैनिपुलेटिव प्रथाओं में शामिल नहीं है।

10. SEBI के नए नियमों में क्या बदलाव आए हैं?
SEBI लगातार नियमों को अपडेट करती रहती है। हाल में, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स पर कार्रवाई, Algo ट्रेडिंग का रजिस्ट्रेशन, और म्यूचुअल फंड में फ्रंट रनिंग रोकने के लिए नए दिशा-निर्देश प्रमुख हैं। नवीनतम जानकारी के लिए SEBI की आधिकारिक वेबसाइट देखते रहें।


🟢 11. Disclaimer

महत्वपूर्ण सूचना: यह लेख पूरी तरह से शैक्षिक और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। यह लेख किसी भी प्रकार की वित्तीय या निवेश सलाह (Financial Advice) नहीं है और इसे किसी निवेश या ट्रेडिंग के लिए सिफारिश के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है और पिछला प्रदर्शन भविष्य के परिणामों का संकेत नहीं है। बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से निवेश का मूल्य घट भी सकता है और बढ़ भी सकता है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले, कृपया अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम सहनशीलता और वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें और एक SEBI रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार (Registered Investment Adviser - RIA) से स्वतंत्र और पेशेवर सलाह अवश्य लें।

लेख में दी गई किसी भी जानकारी के उपयोग से होने वाले किसी भी नुकसान के लिए लेखक या प्रकाशक जिम्मेदार नहीं होंगे। पाठकों से अनुरोध है कि निवेश संबंधी कोई भी कदम उठाने से पहले स्वयं की उचित जांच-पड़ताल (Due Diligence) अवश्य करें।

लेखक: हेमंत सैनी (Hemant Saini)

हेमंत सैनी एक SEBI Guidelines, IPO Research और Trading Psychology में विशेषज्ञ हैं।
🧠 पिछले 5+ सालों से शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
💬 Har Ghar Trader के माध्यम से, उद्देश्य है – भारत के हर घर तक सुरक्षित और समझदारी से निवेश की जानकारी पहुंचाना।

✉️ Contact: iamhsaini@gmail.com
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⚠️ अस्वीकरण (Disclaimer): यह जानकारी केवल शिक्षा और रिसर्च उद्देश्यों के लिए है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। SEBI Registered Advisor की सलाह लेना हमेशा बेहतर है।

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