एसएमई आईपीओ में पैसा लगाने से पहले ये 12 सावधानियाँ जानना जरूरी है
नमस्कार दोस्तों! 🙏
आज के समय में निवेश के बहुत सारे विकल्प हैं। उन्हीं में से एक है आईपीओ यानी इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग। अक्सर आपने बड़ी-बड़ी कंपनियों के आईपीओ के बारे में सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छोटे और मध्यम उद्यम (एसएमई) भी अब शेयर बाजार में अपना आईपीओ ला रहे हैं? जी हाँ! एसएमई आईपीओ भारतीय शेयर बाजार का एक दिलचस्प और संभावनाओं से भरा हिस्सा बन गया है।
लेकिन यहाँ एक बात समझनी बहुत जरूरी है। एसएमई आईपीओ में निवेश करना, बड़ी कंपनियों के आईपीओ से काफी अलग होता है। इसमें अवसर भी हैं तो जोखिम भी कम नहीं हैं। बहुत से निवेशक केवल कम कीमत या तेजी से लिस्टिंग गेन के चक्कर में बिना सोचे-समझे इनमें पैसा लगा देते हैं और फिर पछताते हैं। 😟
इसलिए आज हम आपके लिए एक ऐसा लेख लेकर आए हैं, जो आपकी आँखें खोल देगा। हम बात करेंगे एसएमई आईपीओ में पैसा लगाने से पहले आपको किन 12 सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए। यह लेख पूरी तरह से सेबी के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए, आपको एक जिम्मेदार निवेशक बनने का रास्ता दिखाएगा।
तो चलिए, बिना समय गंवाए शुरू करते हैं। याद रखें, अच्छा निवेश वही है जो सूचना और सावधानी के साथ किया जाए। 💡
एसएमई आईपीओ क्या है? पहले इसे समझें
इससे पहले कि हम सावधानियों की बात करें, जरूरी है कि हम यह समझें कि एसएमई आईपीओ आखिर है क्या।
एसएमई का मतलब है लघु और मध्यम उद्यम। ये वे छोटे-मध्यम आकार के व्यवसाय होते हैं जो आमतौर पर अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए पूंजी जुटाना चाहते हैं। जब ये कंपनियाँ पहली बार आम जनता से पैसा जुटाने के लिए शेयर जारी करती हैं, तो इसे एसएमई आईपीओ कहते हैं।
भारत में, इन एसएमई आईपीओ को एसएमई एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाता है, जैसे कि बीएसई एसएमई और एनएसई इमर्ज। ये मंच विशेष रूप से छोटी कंपनियों के लिए बनाए गए हैं, ताकि उन्हें बड़े स्टॉक एक्सचेंजों की कड़ी शर्तों से थोड़ी राहत मिल सके।
लेकिन ध्यान रहे, यह "राहत" केवल लिस्टिंग के नियमों में है, निवेशकों की जिम्मेदारी में नहीं। निवेशक को हमेशा पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए।
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सावधानी 1: कंपनी के व्यवसाय को गहराई से समझें (Business Model Samjhein)
पहली और सबसे महत्वपूर्ण सावधानी है – कंपनी क्या करती है, यह समझना।
कई बार निवेशक केवल नाम सुनकर या किसी की सलाह पर शेयर खरीद लेते हैं। एसएमई आईपीओ में ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। आपको यह पता होना चाहिए कि जिस कंपनी में आप पैसा लगा रहे हैं, उसका मुख्य व्यवसाय क्या है।
क्या वह मैन्युफैक्चरिंग करती है? क्या सर्विस प्रोवाइड करती है? उसका उत्पाद या सेवा बाजार में कितनी मांग में है? क्या भविष्य में इस व्यवसाय के बढ़ने की संभावना है?
अगर आप उस सेक्टर या उद्योग को नहीं समझते, जिसमें कंपनी काम करती है, तो निवेश करने से पहले उसके बारे में शोध जरूर करें। साधारण सा सिद्धांत है – जिस चीज को आप नहीं समझते, उसमें कभी निवेश न करें। 🤔
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सावधानी 2: ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) जरूर पढ़ें
यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसे अक्सर निवेशक नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह आपकी सबसे अच्छी दोस्त हो सकती है!
ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) कंपनी का एक ऐसा दस्तावेज है जो सेबी के पास आईपीओ की मंजूरी के लिए जमा किया जाता है। इसे आप सेबी की वेबसाइट या कंपनी की वेबसाइट पर आसानी से पा सकते हैं।
इस दस्तावेज में कंपनी के बारे में हर जरूरी जानकारी होती है:
- कंपनी का पूरा इतिहास और व्यवसाय।
- जोखिम कारक (Risk Factors) – यह सेक्शन बहुत महत्वपूर्ण है, इसमें कंपनी खुद अपने व्यवसाय से जुड़े जोखिम बताती है।
- वित्तीय हालात (Financial Statements)।
- आईपीओ से जुटाई गई राशि का उपयोग कहाँ किया जाएगा (Objects of the Issue)।
- प्रमोटर्स और प्रबंधन के बारे में जानकारी।
DRHP पढ़ना थोड़ा तकनीकी लग सकता है, लेकिन आजकल कई वित्तीय वेबसाइटें इसकी सरल समीक्षा प्रकाशित करती हैं। कम से कम उन्हें जरूर पढ़ें। यह आपको एक स्पष्ट तस्वीर देगा। 📄
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सावधानी 3: कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य की जांच करें (Financial Health)
किसी भी कंपनी में निवेश का सबसे बुनियादी आधार उसके वित्तीय आंकड़े होते हैं। एसएमई आईपीओ में यह और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि छोटी कंपनियों की वित्तीय स्थिति अक्सर बहुत जटिल और अस्थिर हो सकती है।
आपको क्या देखना चाहिए:
- रेवेन्यू ग्रोथ: क्या कंपनी के राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है?
- मुनाफा (Profit): क्या कंपनी लगातार मुनाफा कमा रही है? नेट प्रॉफिट मार्जिन क्या है?
- कर्ज (Debt): कंपनी पर कितना कर्ज है? क्या कर्ज बहुत ज्यादा है? ऊंचा कर्ज भविष्य में मुसीबत का कारण बन सकता है।
- नकदी प्रवाह (Cash Flow): कंपनी के पास ऑपरेशन से आने वाली नकदी कैसी है? केवल कागजों पर मुनाफा होना काफी नहीं है, नकदी का आना जरूरी है।
अगर आप इन आंकड़ों को समझने में असहज हैं, तो किसी वित्तीय विश्लेषक की रिपोर्ट पढ़ें या किसी विश्वसनीय वित्तीय सलाहकार से सलाह लें। कभी भी केवल अटकलों या उम्मीदों के आधार पर वित्तीय आंकड़ों को नजरअंदाज न करें। 💰
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सावधानी 4: प्रमोटर्स और प्रबंधन टीम पर रिसर्च करें (Promoters & Management)
एसएमई कंपनियों में प्रमोटर्स (संस्थापक/मालिक) की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। अक्सर यह कंपनी उनकी ही मेहनत, दृष्टि और ईमानदारी पर चलती है।
इन बातों पर गौर करें:
- अनुभव: प्रमोटर्स और प्रबंधन टीम को उस उद्योग में कितना अनुभव है? क्या उनकी पृष्ठभूमि संबंधित क्षेत्र की है?
- ट्रैक रिकॉर्ड: क्या प्रमोटर्स की कोई पिछली कंपनी है? उसका प्रदर्शन कैसा रहा? क्या उन पर कोई कानूनी मामला चल रहा है? सेबी या किसी अन्य नियामक संस्था ने उन पर कोई प्रतिबंध लगाया है?
- शेयरहोल्डिंग पैटर्न: आईपीओ के बाद प्रमोटर्स के पास कितने प्रतिशत शेयर रहेंगे? अगर प्रमोटर्स अपनी हिस्सेदारी बहुत ज्यादा बेच रहे हैं, तो यह एक चेतावनी का संकेत हो सकता है।
एक ईमानदार और योग्य प्रबंधन टीम कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है, जबकि खराब ट्रैक रिकॉर्ड वाले प्रमोटर्स आपका निवेश डूबो सकते हैं। 👨💼👩💼
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सावधानी 5: आईपीओ के पैसे का इस्तेमाल कहाँ होगा? (Use of Proceeds)
जब आप एक एसएमई आईपीओ में पैसा लगाते हैं, तो आप मूल रूप से कंपनी को उसकी योजनाओं को पूरा करने के लिए पूंजी दे रहे होते हैं। इसलिए, यह जानना बेहद जरूरी है कि कंपनी आईपीओ से जुटाए गए पैसे का उपयोग कैसे करेगी।
DRHP में "Objects of the Issue" सेक्शन में यह स्पष्ट रूप से बताया जाता है। आप देखें:
- क्या ज्यादातर पैसा नए प्लांट, मशीनरी या तकनीक में लगेगा? (यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि इससे भविष्य में ग्रोथ होगी)।
- क्या पैसे का एक बड़ा हिस्सा पुराने कर्ज (Debt Repayment) चुकाने में जाएगा? (यह ठीक है, लेकिन यह ग्रोथ के लिए नया पैसा नहीं है)।
- क्या प्रमोटर्स शेयर बेचकर पैसा निकाल रहे हैं? (Offer for Sale - OFS)। इसे सावधानी से देखें। अगर OFS का आकार बहुत बड़ा है, तो हो सकता है प्रमोटर्स मौके का फायदा उठा रहे हों।
एक स्पष्ट और ग्रोथ-ओरिएंटेड योजना अच्छे भविष्य की ओर इशारा करती है। 🏭
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सावधानी 6: कीमत (प्राइस बैंड) और वैल्यूएशन का आकलन करें
कई निवेशक सोचते हैं कि कम कीमत वाला एसएमई आईपीओ सस्ता और अच्छा सौदा है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं! ₹10 के फेस वैल्यू वाला शेयर ₹100 पर भी महंगा हो सकता है अगर कंपनी का वैल्यूएशन (मूल्यांकन) उसके वित्तीय प्रदर्शन के हिसाब से ज्यादा है।
वैल्यूएशन क्या है?
सीधे शब्दों में, यह कंपनी के कुल बाजार मूल्य का उसके मुनाफे (EPS), बुक वैल्यू आदि से तुलना है।
क्या देखें:
- P/E Ratio (Price to Earnings): यह बताता है कि कंपनी के एक रुपये के मुनाफे के लिए बाजार कितना भुगतान कर रहा है। इसकी तुलना उसी सेक्टर की दूसरी लिस्टेड कंपनियों से करें। अगर एसएमई आईपीओ का P/E Ratio पहले से लिस्टेड बड़ी कंपनियों से भी ज्यादा है, तो यह चिंता का विषय है।
- P/B Ratio (Price to Book Value): यह शेयर की कीमत और कंपनी की बुक वैल्यू (नेट एसेट) का अनुपात है।
कीमत चाहे कम हो, लेकिन अगर वैल्यूएशन पहले से ही बहुत ऊंचा है, तो लिस्टिंग के बाद गिरावट का जोखिम रहता है। कभी भी "सस्ते" के चक्कर में फंसने से बचें। ⚖️
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सावधानी 7: बाजार की स्थिति और सेक्टर के रुझान को समझें
कोई भी कंपनी अलग-थलग नहीं चलती। उसका प्रदर्शन समग्र बाजार की स्थिति और उसके सेक्टर के रुझानों से प्रभावित होता है।
- सेक्टर का चक्र (Sector Cycle): क्या वह सेक्टर जिसमें कंपनी काम करती है, विकास के दौर में है? उदाहरण के लिए, अगर IT सेक्टर में मंदी है और आप एक छोटी IT कंपनी के आईपीओ में निवेश करते हैं, तो चुनौतियाँ ज्यादा हो सकती हैं।
- बाजार का मिजाज (Market Sentiment): कुल मिलाकर शेयर बाजार तेजी (बुलिश) में है या मंदी (बियरिश) में? मंदी के दौर में लिस्ट होने वाले आईपीओ अक्सर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।
- प्रतिस्पर्धा (Competition): कंपनी का बाजार में कितना दबदबा है? क्या प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा कड़ी है? क्या उसके पास कोई खास तकनीक या फायदा (Competitive Advantage) है?
एक अच्छा एसएमई आईपीओ वह है जो एक अच्छे सेक्टर में हो, जहां ग्रोथ के मौके हों और कंपनी की अपनी एक मजबूत जगह हो। 📈📉
सावधानी 8: लिस्टिंग के बाद की तरलता जोखिम को न भूलें (Liquidity Risk)
यह एसएमई शेयरों में सबसे बड़े जोखिमों में से एक है – तरलता का जोखिम यानी लिक्विडिटी रिस्क।
क्या होता है?
बीएसई एसएमई या एनएसई इमर्ज पर लिस्ट होने के बाद, कई शेयरों में खरीदने-बेचने (ट्रेडिंग वॉल्यूम) की मात्रा बहुत कम होती है। मतलब, बाजार में उस शेयर को खरीदने या बेचने वाले लोग बहुत कम होते हैं।
इसके नुकसान:
- बेचने में दिक्कत: अगर आपको शेयर बेचने हों और खरीदार न मिलें, तो आप मनचाही कीमत पर शेयर नहीं बेच पाएंगे। कीमत कम करनी पड़ सकती है।
- ज्यादा उतार-चढ़ाव (High Volatility): कम ट्रेडिंग की वजह से थोड़ी सी खरीद-फरोख्त से भी शेयर की कीमत में तेज उछाल या गिरावट आ सकती है।
इसलिए, एसएमई आईपीओ में निवेश करते समय यह मानकर चलें कि आपका पैसा लंबे समय (3-5 साल या उससे अधिक) के लिए बंध सकता है। शॉर्ट-टर्म के लिए यहाँ पैसा लगाना रिस्की हो सकता है। 💧
सावधानी 9: ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) पर निर्भर न रहें
ग्रे मार्केट एक अनौपचारिक बाजार है जहां आईपीओ लिस्ट होने से पहले ही उसके शेयरों की खरीद-बिक्री होती है। यहाँ जो प्रीमियम (GMP) चल रहा होता है, उसके आधार पर लोग अंदाजा लगाते हैं कि लिस्टिंग के दिन शेयर कितने प्रतिशत ऊपर या नीचे खुलेगा।
सावधानी:
- GMP पूरी तरह से अनौपचारिक और अनियमित है। इसे कोई नियंत्रित नहीं करता।
- यह बहुत हेरफेर (Manipulation) के अधीन होता है। बड़े खिलाड़ी इसे कृत्रिम रूप से ऊँचा या नीचा दिखा सकते हैं।
- GPM हमेशा सही नहीं होता। कई बार ऊँचे GPM के बावजूद शेयर लिस्टिंग के दिन गिरावट में खुलते हैं।
इसलिए, GPM को केवल एक संदर्भ के रूप में देखें, आपकी निवेश रणनीति का आधार कभी न बनाएं। अपना शोध और विश्लेषण ही मुख्य हथियार रखें। 🎭
सावधानी 10: निवेश की सीमा तय करें और डायवर्सिफाई करें
यह सुनहरा नियम हर निवेश के लिए लागू होता है, और एसएमई आईपीओ के लिए तो यह और भी जरूरी है।
- सीमा तय करें (Allocation): अपने कुल निवेश पोर्टफोलियो का कितना प्रतिशत हिस्सा आप एसएमई आईपीओ जैसे उच्च जोखिम वाले निवेश में लगाना चाहते हैं? एक समझदार सलाह यह है कि यह हिस्सा 5-10% से ज्यादा न हो। इनमें पूरी बचत या बड़ी रकम झोंकना खतरनाक हो सकता है।
- विविधीकरण करें (Diversification): अगर आप कई एसएमई आईपीओ में निवेश कर रहे हैं, तो कोशिश करें कि वे अलग-अलग सेक्टर की कंपनियाँ हों। सारा पैसा एक ही सेक्टर (जैसे सिर्फ टेक्सटाइल या सिर्फ फूड प्रोसेसिंग) में लगाने से जोखिम बढ़ जाता है। अलग-अलग सेक्टर में निवेश करने से अगर एक सेक्टर बुरा प्रदर्शन करे तो दूसरा संतुलन बना सकता है।
याद रखें, "अंडे एक ही टोकरी में मत रखो" यह कहावत शेयर बाजार के लिए बिल्कुल सही है। 🥚🧺
सावधानी 11: लिस्टिंग के बाद के प्रदर्शन पर नजर रखें (Post-Listing Monitoring)
बहुत से निवेशकों की आदत होती है कि आईपीओ में पैसा लगाने के बाद वे भूल जाते हैं। वे शेयर लिस्ट होने के बाद उसे देखते तक नहीं हैं। यह एक बड़ी गलती है।
- क्वार्टरली नतीजे देखें: कंपनी हर तीन महीने में अपने नतीजे (Quarterly Results) घोषित करती है। इन्हें जरूर ट्रैक करें। देखें कि कंपनी ने जो वादे किए थे, उस पर वह खरी उतर रही है या नहीं।
- खबरों पर नजर रखें: कंपनी से जुड़ी कोई बड़ी खबर, नई परियोजना, ऑर्डर मिलना, या कोई नकारात्मक घटना (जैसे अधिकारियों की छापा, मुकदमा) आदि पर ध्यान दें।
- लक्ष्य बनाएं: निवेश करते समय ही तय कर लें कि आप किस कीमत पर मुनाफा वसूल करेंगे (टार्गेट प्राइस) और किस कीमत पर नुकसान सहकर बाहर निकलेंगे (स्टॉप-लॉस)। भावनाओं में बहकर शेयर को पकड़े न रहें।
निवेश एक बार की घटना नहीं, एक चलने वाली प्रक्रिया है। 👀
सावधानी 12: सेबी के दिशानिर्देशों और कानूनी पहलुओं को जानें
एक जिम्मेदार निवेशक के रूप में, आपको बाजार नियामक सेबी (SEBI - Securities and Exchange Board of India) के नियमों की भी बुनियादी समझ होनी चाहिए।
- सेबी ने आईपीओ प्रक्रिया को पारदर्शी और निवेशक-हितैषी बनाने के लिए कई नियम बनाए हैं। उदाहरण के लिए, DRHP में सभी जोखिमों का खुलासा करना अनिवार्य है।
- एसएमई आईपीओ के लिए भी सेबी के विशेष नियम हैं। कंपनी को अपने वित्तीय विवरणों का ऑडिट करवाना अनिवार्य है।
- अगर आपको किसी कंपनी या ब्रोकर के काम में कोई गड़बड़ी लगे, तो आप सेबी के पास शिकायत कर सकते हैं।
नियमों की जानकारी आपको धोखाधड़ी से बचाती है और आत्मविश्वास से निर्णय लेने की शक्ति देती है। आप सेबी की आधिकारिक वेबसाइट www.sebi.gov.in पर जाकर निवेशकों के लिए जारी सलाह पढ़ सकते हैं। ⚖️🛡️
निष्कर्ष: सूचित निर्णय ही है सफलता की चाबी
दोस्तों, एसएमई आईपीओ भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले छोटे-मध्यम उद्यमों को बढ़ने का एक शानदार मौका देते हैं। इनमें निवेश करके आप न सिर्फ अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं, बल्कि किसी होनहार कंपनी के शुरुआती सफर का हिस्सा बनकर अच्छा रिटर्न भी कमा सकते हैं। 🚀
लेकिन, जैसा कि हमने ऊपर की 12 सावधानियों में विस्तार से चर्चा की है, इस रास्ते में कांटे भी हैं। जोखिम बड़े आईपीओ की तुलना में अधिक हैं। तरलता की कमी, वैल्यूएशन का जोखिम, और सीमित जानकारी जैसी चुनौतियाँ आपका इंतजार कर रही हैं।
इन सबका समाधान एक ही है – सावधानी, शोध और अनुशासन। किसी के कहने पर, किसी के चक्कर में, या केवल लालच में आकर निवेश न करें। कंपनी के व्यवसाय, उसके वित्तीय स्वास्थ्य, प्रबंधन और भविष्य की योजनाओं को गहराई से समझें। अपनी जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार ही पैसा लगाएं और हमेशा लंबी अवधि के नजरिए से सोचें।
आशा करते हैं कि यह लेख आपके लिए मार्गदर्शक की तरह काम करेगा। निवेश का सफर शुभ हो! 👍
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
1. क्या एसएमई आईपीओ में निवेश करना सुरक्षित है?
कोई भी निवेश पूरी तरह "सुरक्षित" नहीं होता, खासकर शेयर बाजार। एसएमई आईपीओ में जोखिम बड़ी कंपनियों के आईपीओ से अधिक होते हैं। लेकिन उचित शोध और सावधानियाँ बरतकर इन जोखिमों को कम किया जा सकता है।
2. क्या एसएमई आईपो में निवेश के लिए न्यूनतम रकम होती है?
आमतौर पर, एसएमई आईपीओ का लॉट साइज छोटा होता है, जिसकी कीमत कुछ हजार से लेकर दस-पंद्रह हजार रुपये के बीच हो सकती है। यह प्रति आईपीओ अलग-अलग होता है।
3. एसएमई आईपीओ के शेयर कहाँ लिस्ट होते हैं?
यह शेयर मुख्य रूप से बीएसई एसएमई (BSE SME) या एनएसई इमर्ज (NSE Emerge) प्लेटफॉर्म पर लिस्ट होते हैं। इन्हें ट्रेड करने के लिए आपको अपने डीमैट/ट्रेडिंग अकाउंट में इन एक्सचेंजों को एक्टिवेट करना पड़ सकता है।
4. क्या एसएमई आईपीओ में लिस्टिंग गेन की संभावना ज्यादा होती है?
कई बार ऐसा देखा गया है कि एसएमई आईपीओ को लिस्टिंग के दिन अच्छा प्रीमियम मिलता है, लेकिन यह हमेशा या हर आईपीओ के साथ नहीं होता। कई आईपीओ लिस्टिंग के दिन नीचे भी खुलते हैं। इसलिए केवल लिस्टिंग गेन के लालच में निवेश न करें।
5. अगर मुझे कंपनी का DRHP समझ न आए तो क्या करूं?
आप वित्तीय समाचार वेबसाइट्स (जैसे मनीकंट्रोल, इकनोमिक टाइम्स, etc.) पर आईपीओ की विश्लेषण रिपोर्ट पढ़ सकते हैं। इसके अलावा, किसी योग्य और रजिस्टर्ड वित्तीय सलाहकार से सलाह ले सकते हैं।
अस्वीकरण (Disclaimer):
यह लेख केवल सूचनात्मक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी को निवेश की सलाह, सिफारिश, अनुरोध या वकालत नहीं माना जाना चाहिए। शेयर बाजार में निवेश बाजार जोखिम के अधीन है, निवेश के पहले सभी संबंधित दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें। एसएमई आईपीओ में निवेश में उच्च जोखिम शामिल है, जिसमें मूलधन के नुकसान की संभावना है। कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें या स्वतंत्र रूप से अपना शोध करें। लेखक और प्रकाशक किसी भी तरह के नुकसान या हानि के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

