IPO Allotment Algorithm में होता क्या है? – System का काला सच!

Hemant Saini
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 🔍 “Zero Allotment फिर से!” — हर Retail Investor का दर्द

सोचिए… आपने 4 Demat अकाउंट से apply किया, पैसा भी सही से ब्लॉक हुआ, IPO भी high quality था, फिर भी “Sorry, no shares allotted” का मैसेज आ गया?

हर बार यही होता है ना?

क्या आप अकेले हैं? नहीं! 80% से ज़्यादा रिटेल निवेशक को हर बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। पर ऐसा क्यों होता है?

क्या ये सब luck based है? या इस सिस्टम में कुछ ऐसा है जो हमें बताया ही नहीं गया?

आज हम खोलेंगे IPO Allotment के इस काले सिस्टम का राज़।

IPO Allotment Algorithm, IPO Allotment Process, IPO में शेयर क्यों नहीं मिलता, IPO Lottery System, IPO Allotment कैसे होता है

🤖 कैसे काम करता है IPO Allotment Algorithm?

SEBI के नियमों के अनुसार अगर रिटेल श्रेणी (₹2 लाख तक) में IPO oversubscribed हो जाता है, तो shares का allocation “lottery system” से होता है।

यह lottery पूरी तरह से computerized और random मानी जाती है। यानी…

  • कोई भी आदमी इसमें interfere नहीं कर सकता।
  • आपके Demat अकाउंट की उम्र, broker, या bank irrelevant होते हैं।
  • बस एक lot को एक unique application को देना है।

लेकिन यहीं से शुरू होता है असली खेल।


🧩 “Random” system में भी hidden biases?

कुछ रिपोर्ट्स और पुराने RTI खुलासों से यह सामने आया है कि—

✔️ “Allotment system technically fair है, लेकिन practically unfair feel होता है।”

क्यों?

क्योंकि system उन applicants को prefer कर सकता है:

  • जिनके bank/DP/Broker की back-end connectivity allotment system से ज़्यादा stable हो।
  • जिनके applications पहले process हो जाएं।
  • जिनका PAN clean हो और history अच्छी हो।

यानि सब कुछ luck नहीं है। Backend connectivity और system integration भी silently affect करता है।


⚠️ Multiple Demat से भी क्यों नहीं मिलता Allotment?

कई लोग apply करते हैं:

  • खुद के नाम से
  • पिता के नाम से
  • पत्नी के नाम से
  • दोस्तों के नाम से

लेकिन फिर भी एक भी शेयर नहीं मिलता।

ऐसा इसलिए क्योंकि:

  • PAN duplication से system reject कर देता है।
  • Bank UPI delays या time-out से application invalid हो जाती है।
  • Zerodha, Groww जैसे apps में हर दिन लाखों लोग apply करते हैं—competition खतरनाक होता है।


🧠 System flaws जो कोई नहीं बताता

Hidden Factorअसर
UPI mandate delayAuto-reject by system
Bank HolidaysMandate process incomplete
Server lagApplication miss हो जाता है
PAN mismatchesHidden rejection
Same IP से कई applicationSystem suspicious हो जाता है

💔 “Retail ke liye ये System नहीं, साज़िश लगता है…”

हर बार Zero Allotment मिलना एक investor के confidence को तोड़ देता है। वो सोचता है:

  • “क्या सच में सब कुछ computerized है?”
  • “HNI को ही क्यों मिलता है हमेशा?”
  • “क्या ये किसी game का हिस्सा है?”
  • “मुझे तो बस 1 lot चाहिए था…”

Emotionally, ये सिस्टम trust तोड़ देता है। और इसी टूटे भरोसे पर grow करते हैं grey markets, premium tips, और गलत apps।


🛡️ क्या कोई तरीका है allotment chances बढ़ाने का?

Yes, कुछ तरीके हैं जिससे आप अपने chances थोड़ा बढ़ा सकते हैं:

  1. ⏰ जल्दी Apply करें – पहले दिन, पहले घंटे
  2. ✅ UPI Approval 3 घंटे के अंदर दें
  3. 📱 अलग-अलग PAN, mobile, bank और IP इस्तेमाल करें
  4. 💼 Bank-based ASBA से apply करें (जैसे SBI net banking)
  5. 🧾 PAN की KYC updated रखें

याद रखें: यह tricks surety नहीं हैं, बस possibility बढ़ा सकती हैं।


🎯 क्या Solution है?

SEBI को चाहिए कि:

  • System को और transparent बनाया जाए
  • हर application की status report सार्वजनिक की जाए
  • Oversubscription के बाद rotation allotment भी consider किया जाए
  • Retail Investors को priority दी जाए – उन्हें trust चाहिए, luck नहीं।


📘 निष्कर्ष: क्या System सच में Fair है?

तकनीकी रूप से हां, लेकिन भावनात्मक रूप से नहीं।

System सबके लिए same rule apply करता है, लेकिन इसका output हर बार “unfair” लगता है। खासकर जब कोई महीनों तक apply करता रहे और फिर भी कुछ न मिले।

शायद वक्त आ गया है कि हम सिर्फ IPO की listing gains के पीछे न भागें – बल्कि उस system को समझें जिसमें हम पैसा डाल रहे हैं।


❓FAQs

Q. क्या Zerodha या Groww से Apply करने पर chance कम हो जाता है?

A. नहीं, ऐसा कोई official bias नहीं है। पर high volume की वजह से delay संभव है।

Q. क्या 3 UPI IDs से एक ही PAN पर apply कर सकते हैं?

A. नहीं, system PAN-based tracking करता है। Rejection का खतरा होता है।

Q. क्या ASBA better है?

A. हां, direct bank ASBA applications ज़्यादा stable होती हैं।


📌 Disclaimer:

यह लेख केवल शैक्षिक और जानकारीपूर्ण उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी निवेश सलाह नहीं है। कृपया निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से संपर्क करें। लेखक या वेबसाइट किसी भी वित्तीय नुकसान के लिए ज़िम्मेदार नहीं है।

लेखक: हेमंत सैनी (Hemant Saini)

हेमंत सैनी एक SEBI Guidelines, IPO Research और Trading Psychology में विशेषज्ञ हैं।
🧠 पिछले 5+ सालों से शेयर मार्केट इन्वेस्टिंग और ट्रेडिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं।
💬 Har Ghar Trader के माध्यम से, उद्देश्य है – भारत के हर घर तक सुरक्षित और समझदारी से निवेश की जानकारी पहुंचाना।

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⚠️ अस्वीकरण (Disclaimer): यह जानकारी केवल शिक्षा और रिसर्च उद्देश्यों के लिए है। निवेश से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श करें। SEBI Registered Advisor की सलाह लेना हमेशा बेहतर है।

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